विजयादशमी पर आज होगा रावण दहन:मां सिद्धिदात्री की आराधना के साथ अंतिम दिन ज्योत जवारा का हुआ विसर्जन व पंडालों में हवन

आदि शक्ति मां नवदुर्गा की आराधना का अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री के नाम रहा। अंचल के देवी मंदिरों में 7 अक्टूबर से प्रज्ज्वलित मनोकामना ज्योत कलश और जवारा का विसर्जन किया गया। नवरात्र के अंतिम दिन गुरुवार को भी देवी दरबारों में श्रद्धालु पहुंचकर दर्शन और पूजन किए। दोपहर बाद विसर्जन यात्रा शुरू हुई।

जिले के प्रसिद्ध मां सर्वमंगला मंदिर में दोपहर बाद 4 बजे से ज्योत जवारा विसर्जन की प्रक्रिया शुरू की गई। मंदिर में बैगा द्वारा पूजा विधि संपन्न कराने के साथ महिलाओं की टोली सिर पर ज्योत और जवारा कलश लेकर नदी तट तक गईं, जहां विसर्जन किया गया। उधर दुर्गोत्सव समितियों द्वारा आयोजित देवी पंडालों में हवन अनुष्ठान, कन्या भोजन का सिलसिला सुबह से देर शाम तक चलता रहा। माता की प्रतिमा को मूल स्थल से हटा दिया है। इनका दर्शन लाभ श्रद्धालु विजयादशमी पर भी कर सकेंगे। दशमी पर देवी मां को सिंदूर दान के साथ उल्लासपूर्वक नदी, तालालों जहां विसर्जन के लिए स्थल तय किया जाएगा। यह जिले के कोसगाई, पहाड़ नीचे स्थित मां मंड़वारानी मंदिर, चोढ़ारानी मंदिर, मातिनदाई मंदिर, अष्टभुजी व दीपेश्वरी मंदिर दीपका समेत अन्य मंदिरों में माता को विदाई ज्योत कलश विसर्जन कर दी गई।

पंडालों व उपासकों ने कराया नौ-कन्या भोज
गुरुवार को भी कन्याओं की पूजा कर उन्हें भोजन कराया। कन्याओं को भोजन कराने के बाद महिलाओं ने अपना व्रत पूरा कर प्रसाद ग्रहण किया। मान्यता है कि अगर कोई श्रद्धालु देवी मां की आराधना के लिए व्रत रखा हैं, तो उनका व्रत कन्या भोजन के बाद ही पूरा होता है। इसलिए अंतिम दिन कन्या भोजन के लिए कुवारी कन्याओं की खूब पूछपरख रही।

सांस्कृतिक कार्यक्रम, स्वागत, भंडारा बड़े पंडाल की अनुमति ही नहीं
रावन दहन के लिए प्रशासन की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रम, स्वागत, भंडारा, पंडाल लगाने की अनुमति नहीं है। आयोजन के पहले स्थानीय थाना प्रभारी या संबंधित जोन कार्यालय को सूचित करने को कहा है। रावण दहन स्थल से 100 मीटर के दायरे में बैरिकेडिंग की बाध्यता है। इस दौरान किसी भी प्रकार के ध्वनि विस्तारक यंत्र डीजे धुमाल, बैंड पार्टी बजाने की अनुमति भी नहीं दी है। रावण पुतला दहन में किसी भी प्रकार के अतिरिक्त साज-सज्जा, झांकी की अनुमति नहीं होगी। समिति द्वारा सैनेटाइजर थर्मल स्क्रिनिंग, ऑक्सीमीटर, हैंडवाॅश और क्यू मैनेजमेंट सिस्टम की व्यवस्था की जाएगी। थर्मल स्क्रीनिंग में बुखार पाए जाने अथवा कोरोना से संबंधित कोई भी सामान्य या विशेष लक्षण पाये जाने पर कार्यक्रम में प्रवेश नहीं देने की जिम्मेदारी समिति या आयोजकों की होगी। कार्यक्रम आयोजन के दौरान अग्नि शमन की पर्याप्त व्यवस्था करने को कहा है।

सिंदूर दान के साथ आज होगा प्रतिमा का विसर्जन
नवरात्र समापन के बाद शुक्रवार को विजयादशमी पर विभिन्न समितियों की ओर से प्रतिमा विसर्जन किया जाएगा। विसर्जन के पहले पंडालों में देवी प्रतिमा पर आयोजन समितियों से जुड़ी महिलाएं सिंदूर लगाएंगी। इसके बाद एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर सिंदूर दान की रस्म निभाएंगी। इसी के साथ प्रतिमाओं का विसर्जन सर्वमगला नदीघाट, मानिकपुर पोखरी, दर्री डैम समेत अन्य निर्धारित स्थलों पर किया जाएगा।

रावण दहन के लिए खास होगा कोसाबाड़ी दशहरा मैदान
शहर समेत उपनगरों में रावण दहन के लिए कोविड-19 के कारण पहले की तरह विशेष तैयारियां नहीं की गई हैं। शहर नहीं जिले में सर्वाधिक ऊंचा 150 फीट का रावण पुतला लाल मैदान दर्री में दहन के लिए बनता रहा है, जो इस बार नजर नहीं आएगा। वहीं एमपीनगर दशहरा मैदान इस नवरात्र पूरी तरह आयोजन से दूर रहा है। इसलिए शहर के बीच कोसाबाड़ी दशहरा मैदान में रावण दहन की तैयारियांें को आयोजन समितियां अंतिम रूप दे रही हैं, जो शहरवासियों के लिए खास होगा। इसी तरह सीएसईबी काॅलोनी वार्ड नंबर 19 शिवाजीनगर में रावन दहन होगा। जिला प्रशासन द्वारा दिशा- निर्देश समय पर नहीं आने से रावण दहन के लिए अधिकांश समितियां तैयार नहीं हो पाई।

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