एसईसीएल गेवरा, दीपका खदानों से प्रभावित गांवों के कई भू-विस्थापित आज भी कंपनी में रोजगार पाने संघर्ष कर रहे हैं। इन सबके बीच कोयला उत्खनन के लिए खदानों में हो रही हैवी ब्लास्टिंग से घरों की दीवारों पर दरार और बोर धंसने से करीब 200 घरों में पीने के पानी की आपूर्ति बाधित होने से बढ़ी परेशानी इनकी एक अलग समस्या है।
एसईसीएल गेवरा, दीपका खदान से हरदीबाजार, मलगांव, सराईसिंगार, अमगांव, दर्राखांचा समेत आसपास के गांव प्रभावित हैं, जहां के ग्रामीणों की जिंदगी हैवी ब्लास्टिंग से दहशत में गुजर रही है। दूसरी ओर कई भू-विस्थापित आज भी कंपनी में रोजगार पाने लड़ाई लड़ रहे हैं। हैवी ब्लास्टिंग से न सिर्फ घरों की दीवारों पर दरार आ रही है, बल्कि बोर और कुएं भी धंस रहे हैं। ग्रामीणों की मानें तो पिछले दिनों क्षेत्र में पानी टंकी के धंसने से गिरने की हुई घटना भी खदान में किए जा रहे हैवी ब्लॉस्टिंग का ही परिणाम था। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि पंचायत भवन में 6 इंच की 500 फीट गहरी बोर से करीब 200 घरों को टंकी भरने क बाद पानी आपूर्ति हो रही थी। मगर हफ्ते भर से इन घरों के लोग किसी तरह जुगाड़ कर निस्तारी और पीने के लिए पानी की व्यवस्था कर रहे हैं। इसकी वजह बोर धंसने से टंकी सूखने से पानी नहीं मिलना है।
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