विजयदशमी पर नीलकंठ पक्षी के दर्शन अत्यंत शुभ होते हैं !

नीलकंठ महादेव का मंगलकारी एवं शांत मूर्त के अंतर्गत एक सौम्य स्वरूप माना जाता है, इस सौम्य स्वरूप के विषय में श्रीमद्भागवत के आठवें अध्याय में एक कथा आई है, जिसके अनुसार समुद्र मंथन के समय समुद्र से ‘हलाहल’ नामक विष निकला, उस समय सभी देवों की प्रार्थना तथा पार्वती जी के अनुमोदन से शिवजी ने हलाहल का पान कर लिया और हलाहल को उन्होंने कंठ में ही रोक लिया, जिससे उनका कंठ नीला पड़ गया और उन्हें नीलकंठ कहा जाने लगा।

श्रीमद्भागवत के चौथे अध्याय में- ‘तत्पहेमनिकायाभं शितिकण्ठं त्रिलोचनम्’ कहकर भगवान शिव के नीलकंठ वाले सौम्य रूप का वर्णन किया गया है।

वर्तमान समय में नीलकंठ नामक पक्षी को भगवान शिव (नीलकंठ) का प्रतीक माना जाता है, उड़ते हुए नीलकंठ पक्षी का दर्शन करना सौभाग्य का सूचक माना जाता है। ‘खगोपनिषद्’ के ग्यारहवें अध्याय के अनुसार नीलकंठ साक्षात् शिव का स्वरूप है तथा वह शुभ-अशुभ का द्योतक भी है।

‘खगोपनिषद्’ के अनुसार अगर कोई सम्मुख नीलकंठ को उड़ते देखती है तो, उसकी सौभाग्यशीलता की आयु पांच वर्ष और अधिक बढ़ जाती है। अपने बाएं उडऩे पर प्रिय मिलन, दाएं उड़ते देखने पर पति समागम तथा पीठ पीछे नीलकंठ के उड़ते देखने पर पुराने प्रेमी से मिलने का योग होता है।

नीलकंठ अगर भूमि पर बैठा दिखाई दे तो, उस स्त्री में उदर संबंधी विकार या रोग पनपने की संभावना होती है। अगर नीलकंठ किसी वृक्ष की हरी डाली पर बैठा दिखाई दे तो, यौन सुख, सूखे वृक्ष की डाली पर बैठा दिखाई दे तो यौन व्याधि या दांपत्य कलह, जलाशय के किनारे बैठा दिखाई दे तो, पर-पुरुष गमन की संभावना बढ़ जाती है। नीलकंठ अगर किसी ब्याहता स्त्री सुख रहे, अधोवस्त्र (पेटीकोट, ब्लाऊज, ब्रा) आदि पर आकर बैठ जाए तो, उसे पुत्ररत्न की प्राप्ति अवश्य ही होती है।

कुंआरी कन्या के अधोव पर अगर नीलकंठ आकर बैठ जाता है तो, यह इस बात का सूचक होता है कि, उस कन्या का वैवाहिक जीवन आजीवन सुखमय एवं आनंदमय व्यतीत होगा।

अगर कोई रजस्वला कुंआरी कन्या नीलकंठ पक्षी को अपनी दाईं ओर उड़ते देखती है तो उसका विवाह शीघ्र ही होने का भाव दर्शाता है। इस कन्या के बाईं ओर नीलकंठ के उडऩे पर परभोग्या, सम्मुख उडऩे पर प्रियदर्शन तथा पीठ पीछे उडऩे पर विश्वासघात का योग बनता है।

अविवाहित कन्या के सम्मुख अगर नीलकंठ भूमि पर बैठा दिखाई दे तो, यह इस बात का सूचक है कि, उस कन्या की मनोकामना शीघ्र पूरी होने वाली है। अगर शुष्क काष्ठ पर नीलकंठ बैठा दिखाई दे तो, कौमार्यभंग, जलाशय पर बैठा दिखाई दे तो, प्रिय सहेली या नजदीकी रिश्तेदार से मिलन का योग होता है।

नीलकंठ का जूठा किया हुआ, फल खाने से मनवांछित लाभ, सौभाग्यवृद्धि एवं सुखमय वैवाहिक जीवन का योग बनता है।

पुरुष द्वारा सम्मुख नीलकंठ-दर्शन शुभकारी होता है। उड़ता हुआ नीलकंठ अगर दाएं भाग में दिखाई दे तो, विजय-पराक्रम, बाईं ओर का दर्शन शत्रुनाश, पृष्ठभाग का दर्शन हानिप्रद माना जाता है। भूमि पर बैठा नीलकंठ स्त्री शोक, शुष्ककाष्ठ पर बैठा नीलकंठ पुत्र शोक तथा जलाशय पर बैठा नीलकंठ-दर्शन व्यापार एवं संतति लाभ का सूचक होता है।

अगर नीलकंठ अविवाहित युवक के माथे पर से उड़ता हुआ निकल जाए तो, यह अत्यंत शुभकारी माना जाता है। कामनापूर्ति, आर्थिक स्थिति में दृढ़ता तथा अतिशीघ्र वैवाहिक बंधन में बंधने की भावी सूचना का द्योतक होता है। अधोवस्त्र (जंघिया, लंगोटा, बनियान) आदि पर अगर नीलकंठ आकर बैठ जाए तो, यह इस बात का सूचक होता है कि, उसे स्त्री-सुख प्राप्त होना है। सावन माह में अगर किसी भी स्थिति में नीलकंठ का दर्शन हो जाए तो, वह सुख-सौभाग्य समृद्धिवद्र्धक ही होता है।

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