जमीन के जंजाल से तंग जवान ने छोड़ी नौकरी, सेना आफिसर, पीएमओ का पत्र भी नहीं आया काम

रायपुर 05 अक्टूबर (वेदांत समाचार)  आखिरकार वही हुआ जिसका डर था। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के कोटा निवासी और भारतीय सेना के जवान एनके वर्मा ने सरकारी व्यवस्था से तंग आकर नौकरी छोड़ दी है। भारतीय सेना दिल्ली में पदस्थ जवान एनके वर्मा ने 2012 में जिस जमीन को खरीदा था उसे अब सरकारी जमीन बताया जा रहा है। जवान के सपनों का आशियाना बनने से पहले ही बिखर गया है। इसी बात से आहत होकर आखिरकार जवान ने नौकरी छोड़ दी।

जवान एनके वर्मा ने बताया कि इसके पहले प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और रायपुर कलेक्टर सौरभ कुमार से शिकायत की थी। न्याय नहीं मिला, इतना ही नहीं, पीएमओ से भी जिला प्रशासन को पत्र भेजा गया था। इसके बाद भी जिला प्रशासन के अफसरों ने कोई कार्रवाई नहीं की। न्याय नहीं मिलने के कारण जवान ने नौकरी छोड़ दी है।

  • कोटा में सेना के जवान की जमीन को बता रहे सरकारी, कलेक्टर से मिला न्याय का आश्वासन

वहीं, भारतीय सेना दिल्ली के कमांडिंग आफिसर कर्नल राजेश डब्ल्यू अडयू एसएम ने भी आठ सितंबर 2021 को रायपुर कलेक्टर सौरभ कुमार को पत्र लिखकर इसे सेना के जवान का मानसिक प्रताड़ना बताया था और आग्रह किया था कि जवान प्रताड़ित है कृपया इस मामले में स्वयं ही जांच-पड़ताल करके न्याय कराने का कष्ट करें। इसके बाद भी न्याय नहीं मिला।

मामले में रायपुर कलेक्टर सौरभ कुमार से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन बात नहीं हो पाई। वहीं राजस्व संभाल रहीं अपर कलेक्टर पदमिनी भोई का कहना है कि मामले में अनुविभागीय अधिकारी जांच कर रहे हैं। हालांकि जवान का कहना है कि रायपुर कलेक्टर ने सात दिन के भीतर मामले का निराकरण करने के लिए कहा है।

पहले वीडियो वायरल करके मांगा था न्याय

इसके पहले सेना के जवान ने न्याय नहीं मिलने पर नौकरी छोड़ने की बात करते हुए वीडियो भी वायरल किया था। आरोप है कि कोटा में उनकी जमीन को पहले पटवारी, राजस्व निरीक्षक, नगर निगम के जोन कमिश्नर और राजस्व अधिकारियों निजी बताया और बाद में सरकारी बताकर उनके घर के निर्माण कार्य को रुकवा दिया। जवान की पत्नी रूपाली वर्मा ने बताया कि हमने पाई-पाई जोड़कर 29 मई 2012 को कोटा में करीब एक हजार स्क्वायर फीट जमीन खरीदा था। गोपीकृष्ण के पास 4 हजार स्क्वायर फीट प्लाट का एक टुकड़ा था, जिसे अलग-अलग लोगों ने खरीदा है। रुपाली ने जानकारी देते हुए बताया कि हमने कोटा के रहने वाले निजी व्यक्ति गोपीकृष्ण अग्रवाल से जमीन खरीदी थी।

इसका डायवर्सन और सीमांकन कराया। इसके बाद नया खसरा नंबर मिला है। साल 2015-16 में इसका सीमांकन कराया और इसके लिए अखबारों में इश्तहार भी दिया। पटवारी से रिकार्ड भी चेक करया। उस समय इसे निजी जमीन बताई थी इसके बाद छह मार्च 2020 को भवन अनुज्ञा लेकर निर्माण कार्य शुरू कराया। इसके बाद 16 मार्च 2020 को जोन कमिश्नर आए और हमारे बोर खनन और निर्माण पर रोक लगा दिया।

28 लोगों का बता रहे कब्जा

जानकारी के मुताबिक शिकायत के बाद कलेक्टर ने 2019 में जांच कराई थी। इसमें सीमांकन के बाद खसरा क्रमांक 150/3 में 1.072 हेक्टेयर जमीन में 28 लोगों का कब्जा होने का मामला पर्दाफाश हुआ था। इसके पहले अधिकारियों ने सीमांकन करके इसी जमीन को निजी जमीन बताया था। ऐसे में कई परिवारों के खुद के आशियाना होने का सपना टूट रहा है।

2004 में ज्वाइन की थी नौकरी

सेना के जवान एनके वर्मा ने बताया कि मां-बाप का मैं इकलौता लड़का हूं और मेरी तीन बहने हैं। देश की रक्षा के लिए 2004 में सेना में भर्ती हुआ था। इस जमीन को खून-पसीने की कमाई से खरीदा था इसके बाद लगातार नगर निगम के अधिकारी मेरी पत्नी रुपाली को परेशान कर रहे थे। एक बार घर में पत्नी अकेली थी और अधिकारी दल-बल के साथ आकर घेर लिए। पत्नी की तबियत खराब हो गई। कार्यालयों में भटकना पड़ा इससे मैं परेशान हुआ और नौकरी छोड़नी पड़ी।

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