भोपाल 3 अक्टूबर ( वेदांत समाचार )। वर्ष 2017 में आई अक्षय कुमार और भूमि पेडनेकर स्टारर ‘टायलेट एक प्रेमकथा” फिल्म तो आपने देखी ही होगी, जिसमें एक नवविवाहिता पति का घर छोड़ वापस मायके पहुंच जाती है, क्योंकि घर में टॉयलेट नहीं था। आखिरकार पति समेत ससुराल पक्ष के लोगों को झुकना पड़ता है और तब महिला वापस ससुराल लौट आती है। यह तो हुई फिल्म की बात, लेकिन असल जिंदगी में ऐसा ही एक मामला में सामने आया है। राजधानी के कुटुंब न्यायालय में एक ऐसा ही प्रकरण चार साल तक चला।
एक नवविवाहिता ने घर में अटैच शौचालय न होने के कारण पति के खिलाफ तलाक का केस लगा दिया, ताकि पति व ससुराल वाले उसकी समस्या को समझें और दरअसल, राजधानी से शादी रचाकर विदिशा अपने ससुराल पहुंची एक ऐसी लड़की का मामला कुटुंब न्यायालय में पहुंचा, जिसे शादी के बाद न तो व्यवस्थित घर मिला और न ही उसके कमरे से जुड़ा हुआ शौचालय मिला। उसने अपनी बात पति और ससुराल वालों से कही तो उन्होंने इस बात पर ध्यान नहीं दिया। उन्हें भी अंदाजा नहीं था कि बहू की यह मांग उन पर इतनी भारी पड़ जाएगी कि उन्हें न्यायालय के चक्कर काटने पड़ेंगे।
इस मामले में पत्नी शादी के दो माह बाद अपने मायके चली गई। वह यह सोचकर मायके आ गई कि शायद ससुराल वाले उसकी परेशानी को समझेंगे, लेकिन छह माह बाद भी जब बहू को कमरे से अटैच शौचालय नहीं मिला तो उसका गुस्सा और भी बढ़ गया। अब उसने ठान लिया कि बदलाव लाने के लिए उसे कुटुंब न्यायालय में तलाक का केस लगाना ही पड़ेगा। उसने पति के खिलाफ तलाक का केस लगा दिया। साढ़े चार साल से अधिक समय से पति-पत्नी दोनों अलग रह रहे थे। चार साल की लंबी लड़ाई के बाद पति को लगा कि पत्नी की मांग जायज है। इसके बाद उसने पत्नी की सुख-सविधाओं को ध्यान में रखकर आवश्यकतानुसार घर का दोबारा निर्माण कराया। साथ ही उसके कमरे से जुड़ा हुआ शौचालय का निर्माण भी कराया। इसके बाद पत्नी ने तलाक का केस वापस ले लिया और ससुराल जाने के लिए भी तैयार हो गई। पति ने फिर से पत्नी की विदाई कराई और अपने घर ले आया। हाल ही में आयोजित हुई लोक अदालत में इस मामले का निराकरण हुआ।
ससुराल वाले नहीं थे शौचालय बनवाने के लिए तैयारभोपाल की एक युवती की शादी पांच साल पहले विदिशा में हुई। युवती ने ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई की है और पति सरकारी स्कूल में शिक्षक के पद पर पदस्थ है। युवती जब ससुराल पहुंची तो वहां का घर अव्यवस्थित मिला और शौचालय नहीं था। उसे वहां रहना मुश्किल हो रहा था। शौचालय बनाने को लेकर पति-पत्नी के बीच विवाद भी बढ़ने लगा, जिसके बाद पत्नी रूठकर मायके चली गई। इसके बाद भी ससुराल वाले शौचालय बनाने के लिए तैयार नहीं थे। काउंसिलिंग में पत्नी का कहना था कि वह बचपन से कमरे से जुड़े हुए बाथरूम में जाती रही है, लेकिन ससुराल जाने पर वहां पर शौचालय ही नहीं था। उसने ससुराल वालों और पति के सामने अपनी बात रखी, लेकिन किसी ने भी उसकी बात नहीं मानी। महिला का कहना है कि उसने चार साल तक पति द्वारा शौचालय बनवाने का इंतजार किया।
घर की अन्य महिलाओं को कोई समस्या नहीं आईवहीं, पति का कहना था कि मेरे घर में अन्य महिलाएं भी हैं, लेकिन कभी भी उन्हें कोई समस्या नहीं हुई। अब पत्नी की खातिर अगर शौचालय को कमरे से जुड़ा हुआ बनाता तो घरवालों को अच्छा नहीं लगता। इस कारण वह नहीं बनवा रहा था। काउंसलर के समझाने के बाद और पत्नी की बात सुनकर उसकी मांग जायज लगी तो घर में पत्नी की इच्छानुसार शौचालय बनवाया।
पति-पत्नी के बीच घर में शौचालय बनाने को लेकर विवाद था। पति और ससुराल वालों को काउंसिलिंग कर समझाया गया। जब पति ने शौचालय का निर्माण कराया, तब पत्नी ससुराल जाने के लिए तैयार हुई और केस वापस लिया।
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