कोरबा। जिला आबकारी विभाग की सुस्त कार्यप्रणाली का फायदा मुखबीर जमकर उठा रहे है और अवैध शराब की छापेमारी कर अधिकारी से ज्यादा मुखबीर वसूली कर रहे है। कुल मिलाकर यह कहना अतिश्योक्ति नही होगा कि मुखबीर आबकारी विभाग को चला रहे है और विभाग के अधिकारी पिछलग्गू बनकर काम कर रहे है।
अभी तक खाकी विभाग में ही मुखबीर की भूमिका पर्दे के पीछे रहती थीं। लेकिन आबकारी विभाग में अवैध रूप से शराब बेचने वालों को खुला संरक्षण मिला हुआ है।विभाग के दो मुखबिर अधिकारी की तरह ब्यवहार करते है और अपने आप को अधिकारी से कम नही समझते है। शासकीय गाड़ी में सफर करते है और ग्रामीण क्षेत्रो में बाकायदा अपना मोबाइल नम्बर भी देकर रखा है।
आम तौर पर यह देखा जाता है कि पुलिस आबकारी और वन विभाग में मुखबिरों का तंत्र विकसित किया जाता है।पुलिस और वन विभाग के मुखबिर अंडर कवर के रूप में काम करते है और इनका नाम कंही भी सार्वजनिक नही किया जाता है। सिर्फ पुलिस को सूचना देना और अपराधी का हुलिया बताने तक इनका काम सीमित रहते है। यंहा तक कि पुलिस अधिकारी के सामने ये बैठने का साहस नही जुटा पाते है।
आबकारी विभाग की लीला ही न्यारी है यंहा सिपाही और हवलदार तो दूर एएसआई तक मुखबिरों के सामने कोई वजूद नही रखते है। प्रत्यक्षदर्शियों के कहना है कि जिले भर के लिए दो मुखबिर कार्यरत है जो बाकायदा सुबह दस बजे आबकारी विभाग के कंट्रोल रूम में पहुंच जाते है इसके बाद सर्किल प्रभारी को सुझाव नही देते बल्कि अधिकारी को आदेश देते है कि कंहा पर छापा मारना है।उसके बाद जिस ब्यक्ति के घर छापा मारा जाता है उस घर के भीतर सबसे पहले मुखबिर घुसता है और तलाशी अभियान शुरू होते ही लेंन देन की बात भी शुरू हो जाती है। वही मामला सेट करता है। मामला सेट हो गया तो कोई अपराध नही बनता और सेट नही हुआ तो अपराध कायम कर लिया जाता है। इतना हो नही कोरबा के ग्रमीण क्षेत्रो में बाकायदा मुखबिरों ने शराब बेचने वालों को अपना मोबाइल नम्बर देकर रखा गया है। जिले में खुलेआम शराब और गांजे की अवैध रूप से बिक्री की जा रही है। आबकारी विभाग की करवाई शून्य है। हर माह नकद रकम मुखबिरों से अधिकारियों तक पहुंच रही है।
मुखबिर को कुल जब्ती का 10 प्रतिशत की राशि मुखबिर को देने का अघोषित प्रावधान है। लेकिन आबकारी विभाग के मुखबीर की माया ही निराली है यंहा मुखबिर वसूली की रकम किसको कितना देना है यह करते है।
वर्सन
इस संबंध में आबकारी आयुक्त गंभीर सिंह नौरोटी से पक्ष जानने का संपर्क किया तो उन्होंने किसी भी तरह की प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दी।
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