दिग्विजय सिंह ने सरस्वती शिशु मंदिर पर विचारधारा को लेकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि वह अपने उस बयान पर कायम हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि सरस्वती शिशु मंदिर में बचपन से ही नफरत के बीज बोए जाते हैं और बच्चों के दिल और दिमाग में दूसरे धर्मों के खिलाफ नफरत का बीज बोया जाता है, जो धीरे-धीरे सांप्रदायिक कटुता का माहौल तैयार करता है और अंतत: धार्मिक उन्माद बढ़ाता है। इस गलत बयान पर विद्या भारती पूर्व छात्र परिषद प्रांतीय टोली आलोक पाण्डेय ने कड़ी निन्दा करते हुए कहा कि वे पहले इतने पवित्र मन्दिर के विचार धारा को पहले जान ले फिर फिर अपना ये बेहूदा टिप्पणी को करे उन्होंने यह भी कहा कि हमे बहुत गर्व की हम इस विद्यालय के पूर्व छात्र है,
आलोक पाण्डेय ने विद्यालय के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि
स्वयंसेवक संघ की अनुसंगिकी संगठन विद्या भारती के विद्यालयों को सरस्वती शिशु मंदिर एवं “”सरस्वती विद्या मंदिर”” कहते हैं। संघ परिवार सरस्वती शिशु मंदिर की शिक्षा प्रणाली को अभिनव रूप में मानते हुवे इसका प्रसार करता है। इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रसिध्दि मिली है। विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए सरस्वती शिशु मंदिर अच्छा विकल्प स्वीकार किया जा सकता है। यहां कइ प्रकार कि प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है जैसे : बौद्धिक, शारीरिक, वैदिक मंच आदि ,विद्या भारती के द्वारा लगभग हजारों से ज्यादा शिक्षा संस्थान का कार्य कर रहे हैं। विद्या भारती, शिक्षा के सभी स्तरों – प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च पर कार्य कर रही है। इसके अलावा यह शिक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान करती है। विद्या भारती का अपना शोध विभाग है। विद्या भारती के तहत, हजारों शिक्षण संस्थान संचालित होते है। विद्या भारती -शिशुवाटिका , सरस्वती शिशु मंदिर ,सरस्वती विद्या मंदिर , प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक, वरिष्ठ माध्यमिक, संस्कार केंद्र, एकल विद्यालय, पूर्ण एवं अर्द्ध आवासीय विद्यालय और महाविद्यालयों के छात्रों के लिए शिक्षा प्रदान करता है।
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