रायपुर 30 सितम्बर (वेदांत समाचार)। : देश में नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआरआरएफ) 2021 में देश के 150 विश्वविद्यालयों में छत्तीसगढ़ का एक भी विश्वविद्यालय शामिल नहीं हैं। ऐसे में राज्य की शिक्षा व्यवस्था में सुधार बेहद जरूरी है। यह बात बुधवार को राजभवन में विश्वविद्यालय समन्वय समिति की 27वीं बैठक के दौरान राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कही। बैठक में उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल, स्वास्थ्य व पंचायत ग्रामीण विकास मंत्री टीएस सिंहदेव समेत राज्य के सभी विवि के कुलपति मौजूद रहे।
उन्होंने राज्य में शिक्षा के स्तर को को देख चिंता जताते हुए गुणवत्ता बढ़ाने के लिए एकजुट होकर विशेष प्रयास करने की बात कही। उइके ने कहा कि राज्य में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए सभी महाविद्यालयों का नैक के जरिए मूल्यांकन किया जाना आवश्यक है। सभी विश्वविद्यालयों को अपने क्षेत्र के तहत ऐसे गुमनाम स्वाधीनता संग्राम सेनानियों के बारे में जानकारी लेकर आम जनता से साझा करना चाहिए, जिनका नाम इतिहास में दर्ज नहीं हो सका।
विद्यार्थियों को अध्ययन के दौरान करियर संबंधी मार्गदर्शन देने के लिए एक प्रकोष्ठ बनाया जाए। कालेजों में प्लेसमेंट सेल भी गठित किया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 को राज्य में लागू करने की दिशा में शीघ्र प्रयास किए जाएं। राज्यपाल ने कुलपतियों को महाविद्यालयों का नियमित निरीक्षण करने के लिए कहा और विश्वविद्यालय की गतिविधियों के संबंध में त्रैमासिक रिपोर्ट भेजने के
15 हजार सीटें बढ़ाई गईं
उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल ने कहा कि इस वर्ष महाविद्यालयों में छात्रों की संख्या में बढ़ोत्तरी को देखते हुए 15 हजार से अधिक सीटें बढ़ाई गई है। वहीं वर्ष 2022 तक राज्य के सभी महाविद्यालयों का नैक मूल्यांकन कराने, विभाग द्वारा महाविद्यालयों में शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक पद भरने, विद्यार्थियों के लिए ई-लाईब्रेरी का प्रावधान करने की बात कही।
इन प्रस्तावों को मिली सहमति
प्रतिभाशाली व आर्थिक रूप से कमजोर शोधार्थियों को विभाग द्वारा फैलोशिप दिए जाने, उच्च शिक्षण संस्थाओं में ई-गर्वनेंस लागू करने के प्रस्ताव पर सहमति दी। बैठक में बीए, बीएड, बीएससी, बीएड व बीकॉम बीएड के चार वर्षीय नए पाठयक्रम प्रारंभ किए जाने के प्रस्ताव पर सैद्धांतिक सहमति दी गई।
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