बीजापुर -जिले के उसूर तहसील अंतर्गत दुगईगुड़ा निवासी श्री सुप्रीम एक्का अपने काबिज काश्त वन भूमि का वनाधिकार पट्टा प्राप्त होने से अब खेती-किसानी को एक नई दिशा दे चुके हैं। अपने उक्त कृषि भूमि पर धान का उत्पादन करने सहित डबरी में मछलीपालन कर रहे हैं। वहीं सोलर सिंचाई पंप से डबरी के पानी का उपयोग कर साग-सब्जी का उत्पादन को बढ़ावा दिया है। जिससे उन्हे अच्छी आमदनी हो रही है और उनका परिवार बेहतर ढंग से जीवन-यापन कर रहा है। सुप्रीम एक्का बताते हैं कि करीब 30 वर्षों से काबिज होने के बावजूद उन्हे अपने काबिज काश्त भूमि से बेदखल करने की चिंता बनी रहती थी।
राज्य सरकार के अत्यंत संवेदनशील निर्णय के फलस्वरूप 5 एकड़ काबिज काश्त वनभूमि का वनाधिकार पट्टा मिलना एक बड़ी मुराद पूरी होने जैसा है। सुप्रीम बताते हैं कि वनाधिकार पट्टा प्राप्त होने के पश्चात उन्हे शासन की विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित होने का अवसर मिला है। उक्त भूमि का पहले तो मनरेगा से समतलीकरण करने सहित मेड़ बधान किया गया। इसके साथ ही करीब आधे एकड़ रकबा में डबरी निर्माण किया है। इन रोजगारमूलक कार्यों में परिवार के वयस्क सदस्यों को भी काम मिला। डबरी निर्माण के बाद इसमें मछलीपालन कर रहे हैं, जिससे हर साल 20 से 30 हजार रूपये की आमदनी हो रही है। वहीं शासन की सौर सुजला योजनान्तर्गत डबरी के समीप सोलर सिंचाई पंम्प स्थापित किया गया है,
जिससे डबरी के आसपास स्थित कृषि भूमि में वर्ष भर मौसमी साग-सब्जी फुलगोभी, मटर, तरोई, करेला, भिंडी, बैंगन, बरबट्टी, टमाटर ईत्यादी का उत्पादन कर स्थानीय आवापल्ली, बासागुड़ा सहित बीजापुर बाजार में विक्रय करते हैं। साग-सब्जी के उत्पादन से हर साल लगभग डेढ़ से दो लाख रूपये की आय हो रही है। इसके साथ ही वनाधिकार पट्टे की लगभग 3 एकड़ भूमि में धान की अच्छी पैदावार होने के फलस्वरूप परिवार के भरण-पोषण के अलावा लेम्पस सोसायटी में 70 से 80 हजार रूपये का धान विक्रय करते हैं। सुप्रीम एक्का अपने उन्नत खेती-किसानी तथा मछलीपालन एवं साग-सब्जी उत्पादन की आय से दो बेटे स्वप्निल एवं सुशांत की पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। उन्होने बताया कि स्वप्निल जगदलपुर में बीकॉम की पढ़ाई कर रहा है तो छोटा बेटा सुशांत बारहवी उत्तीर्ण होने के बाद पीएटी की तैयारी में लगा है। सुप्रीम एक्का काबिज काश्त वनभूमि का वनाधिकार पट्टा देने के लिए राज्य सरकार के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहते हैं कि अब तो यह खेती जमीन उनके परिवार के लिए बहुत बड़ी सौगात है। जिसमें पूरी मेहनत एवं लगन के साथ उन्नत खेती-किसानी को निरंतर बढ़ावा देंगे।
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