छत्तीसगढ़ में विभिन्ना फसलों की परंपरागत किस्मों में परमाणु ऊर्जा के उपयोग द्वारा फसल प्रजातियों में सुधार

छत्‍तीसगढ़ में स्थायी रूप से खत्‍म होगी पालीथिन की समस्या, बनेगा बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक

Biodegradable Plastic News: बड़ा फैसला: राज्य सरकार के निर्देश पर कृषि विवि और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के बीच हुआ करार।

छत्‍तीसगढ़ की राजधानी रायपुर समेत प्रदेश भर में पालीथिन की समस्या अब स्थायी रूप से खत्म होगी। इसके लिए राज्य सरकार के निर्देश पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के विज्ञानियों ने धान से बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक बनाने का फैसला लिया है। इसके लिए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, मुंबई यानी बार्क के मध्य समझौता हुआ है।

छत्तीसगढ़ में विभिन्ना फसलों की परंपरागत किस्मों में परमाणु ऊर्जा के उपयोग द्वारा फसल प्रजातियों में सुधार और नवीन किस्मों के विकास के लिए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, मुंबई के मध्य हुए समझौते के अनुसार 2015 से अनुसंधान कार्य चल रहा है।इन परिणामों की सफलता को देखते हुए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, मुंबई के मध्य फसल सुधार एवं विकास के लिए संयुक्त अनुसंधान के द्वितीय चरण हेतु अनुबंध किया गया। धान के अलावा अनाज, दलहन, तिलहन, गन्ना, सब्जियों और फूल वाली फसलों में परमाणु ऊर्जा की विभिन्ना प्रविधियों के उपयोग द्वारा फसल सुधार एवं विकास का कार्य किया जाएगा।

कुलपति ने किया एमओयू में हस्ताक्षरइंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसके पाटील और बार्क की ओर से बायो साइंस समूह के निदेशक प्रो. तपन के. घंटी ने हस्ताक्षर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक, विश्वविद्यालय प्रशासन के अधिकारी, वैज्ञानिक तथा प्रगतिशील कृषक उपस्थित रहे। यह अनुबंध वर्ष 2021 से 2024 तक तीन वर्षाें के लिए लागू होगा।

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