⭕ दादा-दादी नायक की तरह बच्चे के लिए विटामिन के रूप में आवश्यक ।
⭕ उस घर के बच्चों को एक शिक्षक और दोस्त बचपन से ही मिल जाते हैं जिस घर में बुजुर्गों का वास होता है -डॉ. संजय गुप्ता
⭕ दादा-दादी का तजुर्बा बच्चों को बचपन में मासूम बनाए रखता है और समझदार भी बनाए रखता है -डॉ. संजय गुप्ता
⭕ दादा-दादी के प्यार और स्नेह के बिना हर बच्चे का बचपन अधूरा है, क्योंकि उनका प्यार और स्नेह बेमिसाल होता है।
कोरबा 13 सितंबर (वेदांत समाचार) दादा-दादी के साथ रहना, उनके आस-पास रहना अपने आप में एक मज़ेदार एहसास हैं। वे न केवल ज्ञान के मोती फैलाते हैं बल्कि प्यार और देखभाल के साथ हमारे जीवन को भी खुशियों से भर देते हैं। उनके आसपास होने की भावना शब्दों के माध्यम से वर्णित नहीं की जा सकती। दादा-दादी द्वारा दिए गए प्यार और स्नेह का कोई मेल नहीं है। अधिकांश दादा-दादी अपने पोता-पोती के साथ एक विशेष बंधन को साझा करते हैं। दादा-दादी अपने पोता-पोती के साथ बहुत ही विशेष बंधन को साझा करते हैं। वे एक-दूसरे से मिलकर और एक दूसरे का साथ पाकर बहुत आनंदित महसूस करते हैं। कुछ परिवारों में यह बंधन माता-पिता और बच्चे के संबंध से भी काफी मजबूत होता है। अपने बच्चों के प्रति दादा-दादी का प्यार और स्नेह वाकई बेहद बेमिसाल होता है। दादा-दादी द्वारा सिखाए गये जीवन के सबक किसी भी पुस्तकों को पढ़ कर या किसी भी कक्षा में पढ़ कर नहीं सीखे जा सकते। माता-पिता पोता-पोती और दादा-दादी के बीच जुड़ने के बिंदु हैं और उन्हें यह सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी लेनी होगी कि वे इस संबंध को जीवित बनाए रखें।
जब बच्चे अपनी उम्र के बढ़ते चरण में होते हैं और उन्हें जीवन को बेहतर तरीके से समझने, मूल्यवान सबक सिखने की जरूरत होती है तो माता-पिता अक्सर अपने करियर में व्यस्त रहते हैं और मुश्किल से उनके साथ गुणवत्ता का समय बिता पाते है ताकि उन्हें जीवन की अच्छाई और बुराई से अवगत करा सकें। दादा-दादी इस मामले में बहुत अधिक अनुभवी होते हैं और अक्सर एक संयुक्त परिवार में रहकर बच्चों के साथ अधिक समय बिता पाते हैं। संयुक्त परिवार में रहने वाले बच्चे इस प्रकार जीवन के लिए ज़रूरी अच्छे नैतिक मूल्यों और अन्य मूल्यवान सबक सीख सकते हैं।
इंडस पब्लिक स्कूल दीपका द्वारा ग्रैंड पैरेंट डे के अवसर विभिन्न कार्यक्रम हुए कार्यक्रम के शुरूआत विद्यालय की परंपरा के अनुसार आगंतुक अतिथियों का स्वागत तिलक एवं बैच लगाकर किया गया तत्पश्चात माँ सरस्वती के तैल्य चित्र पर दीपक एवं पुष्पांजलि अर्पित किया गया । सर्वप्रथम विद्यालय की शिक्षिका श्रीमती चिंचु. जे विद्यार्थियों को बताया कि हमारे जीवन में बुजुर्गो का बहुत महत्वपूर्ण स्थान होता है । वे लोग बेहद खुशनसीब होते हैं जिन्हें अपने दादा-दादी और नाना-नानी के साथ रहने का मौका मिलता है और उनके अंदर न सिर्फ अच्छे संस्कार विकसित होते हैं बल्कि उन्हें अपार प्यार और स्नेह भी मिलता है। दादी-दादी घर से सबसे बड़े, आदरणीय और सम्मानीय सदस्य होते हैं, जिनके फैसले परिवार के लिए काफी महत्वपूर्ण होते हैं। वहीं दादा-दादी का अपने नाती-पोतें के साथ एक अलग रिश्ता होता है। घर के सारे सदस्यों का प्यार एक तरफ और दादा-दादी का प्यार एक तरफ होता है। दादा-दादी न सिर्फ मम्मी-पापा के डांट देने पर अपने प्यार-दुलार से बच्चों का मूड सही कर देते हैं बल्कि उन्हें प्यारी-प्यारी परियों की कहानियां सुनाकर उनके बचपन को और भी ज्यादा हसीन बना देते हैं। दादा-दादी और पोता-पोती का अटूट रिश्ता होता है। इस रिश्ते से कई भावनात्मक भावनाएं जुड़ीं रहती हैं। इनके बीच का प्रेम और बंधन काफी मजबूत होता है। वहीं जिस घर में दादा-दादी होते हैं, उस घर का अलग ही माहौल होता है, ऐसे घरों के रिश्तों में प्यार और सम्मान की भावना होती है और आपसी रिश्ते काफी मजबूत होते हैं साथ ही बच्चों के अंदर संस्कार भरे होते हैं।
कार्यक्रम की अगली कड़ी में ग्रामीण क्षेत्र दीपका, तिवरता, फुलझर, बतारी से आए वृध्दजनों को तिलक एवं पुष्पगुच्छ से स्वागत किया गया । सम्मानित कर उनके महत्वों का बखान करने के कक्षा नवमीं के छात्रों द्वारा एक मनमोहक लघु नाटिका की प्रस्तुति की गई जिसका उद्देश्य हमारे जीवन में बुजुर्गो का विशेष महत्व से संबंधित था । कार्यक्रम देखकर के सभी वृध्दजन अति प्रसन्न हुए और विद्यालय का आभार प्रकट करते हुए कि इंडस पब्लिक स्कूल शिक्षा जगत के क्षेत्र में लगातार नित प्रतिदिन नए आयाम को छुता जा रहा है । यहाँ हमें बुलाकर जिस तरह सम्मानित किया गया और जो विद्यालय के छात्रों ने नाटक प्रस्तुत कि इसी से पता चलता है कि विद्यालय की स्तर बहुत ऊँचा है । मैं आशा करता हुँ कि विद्यालय आने वाले समय में कोरबा ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ में सर्वश्रेष्ठ स्कूल बने । अन्त में विद्यालय की ओर से सभी वृध्दजनों को हाइजिनिक व्यंजन का आनंद लिए ।
आगे डॉ. संजय गुप्ता प्राचार्य ने अपने विज्ञप्ति में कहा कि इंडस पब्लिक स्कूल दीपका प्रत्येक स्पेशल दिवस के अवसर पर उस दिवस के भाव सार को चरितार्थ करने के उद्देश्य से उसको प्रैक्टिकल जीवन में अप्लाई करवाये जाने के मकसद से इस तरह की सामाजिक गतिविधियां आयोजित करता आया है । ऑनलाइन माध्यम से बच्चों को पढ़ाई करवाये जाने के साथ साथ उन्हें सोशल एक्टिविटी के माध्यम से भी उन्हें इन्वॉल्व रखते हैं इससे बच्चों का मानसिक विकास अच्छे से होता है व भावनात्मक रूप से बच्चे का मनोबल मजबूत होता है व जीवन मे बच्चा दृढ़ता व आत्मविश्वास से भरपूर होकर हर कार्यक्षेत्र में सकुशल सफलता हांसिल करता है आईपीएस दीपका विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास पर फोकस करता आया है आज ग्रैंड पैरेंट डे के अवसर पर विद्यालय की ओर से ऑनलाइन वेबिनार मंच के माध्यम से सभी बच्चों से जुड़कर उन्हें जीवन में ग्रैंड पैरेंट की महत्ता को बतलाया गया व उनके प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाते हुवे सदव्यवहार किये जाने के संस्कार उनके जहन में प्रवाहित किये गए जिससे कि।वह ताउम्र अपने दादा दादी नाना नानी की सेवा कर उनके आशीर्वाद से व अपने कर्मों से अपने जीवन को खुशहाल बना सके
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