रायपुर छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में पहली से पांचवीं तक के छात्र अब अपनी स्थानीय भाषा में पढ़ाई करेंगे। इसके लिए जरूरी टीचिंग मटीरियल, अल्फाबेट चार्ट और स्टोरी बुक्स तैयार करवाई गई हैं। प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग ने अलग-अलग भाषाओं के जानकारों की मदद से स्टडी मटीरियल तैयार कराकर स्कूलों को उपलब्ध कराई हैं।
अलग-अलग क्षेत्रों में बोली जाने वाली सादरी, भतरी, दंतेवाड़ा गोंडी, कांकेर गोंडी, हल्बी, कुडुख और उड़िया भाषाओं के एक्सपर्ट्स की मदद से स्टडी मटीरियल को तैयार किया गया है। विभाग ने इसके अलावा छत्तीसगढ़ी, हिंदी और इंग्लिश भाषाओं में भी यह सामग्री स्कूलों में भिजवाई हैं।
छत्तीसगढ़ के अलग-अलग हिस्सों में लोग स्थानीय बोली-भाषा का उपयोग करते हैं। राज्य सरकार ने इन इलाकों के प्राथमिक स्कूलों में बच्चों को उनकी भाषा में शिक्षा देने की नीति बनाई है। इसको अमल में लाने के लिए कुडुख, दोरली, धुर्वा भतरी, बैगानी, सादरी, कमारी, हल्बी, ओरिया, दंतेवाड़ा गोड़ी, संबलपुरी, भुंजिया और सरगुजिया बोली में किताबें और स्टडी मटेरियल तैयार कराई गई हैं।
राज्य के जिन जिलों में छत्तीसगढ़ी बोलने वालों की तादाद ज्यादा है, वहां के प्राइमरी स्कूलों में चित्र कहानियों की किताबें भेजी गई हैं। इन कहानियों को लैंग्वेज लर्निंग फाउंडेशन ने तैयार किया है। इनमें सुरीली अउ मोनी, मुर्गी के तीन चूजे, चिड़िया, गीता गिस बरात, बेंदरा के पूंछी, तीन संगवारी और सोनू के लड्डू जैसी पुस्तकें शामिल हैं। पहली और दूसरी कक्षाओं के बच्चों के लिए छह भाषाओं – हल्बी, छत्तीसगढ़ी, सरगुजिहा, गोंड़ी कांकेर, सादरी और गोंडी दंतेवाड़ा- में आठ स्टोरी बुक्स तैयार की गई हैं।
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