बिलासपुर, । छत्तीसगढ़ में एक युवक को मस्जिद में कोरोना के नियमों की सीख देना भारी पड़ गया था। मस्जिद में कोरोना नियमों का पालन करने की सीख देने पर एक व्यक्ति की न केवल पिटाई कर दी गई, बल्कि उसे मस्जिद से बाहर निकाल दिया गया और उसका प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया। इस मामले में दायर याचिका की सुनवाई करते हुए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने पीडि़त याचिकाकर्ता को मस्जिद में प्रवेश व नमाज पढ़ने की अनुमति देने का आदेश दिया है।
दुर्ग निवासी मोहम्मद युसूफ जामा मस्जिद में हमेशा नमाज पढ़ने जाते हैं। बीते 23 जून 2020 को मस्जिद में भीड़ देखकर उन्होंने लोगों को कोरोना नियमों का पालन करने की सलाह दी। इस पर उनकी बातों को सुनकर कुछ लोग आक्रोशित हो गए और उत्तेजित होकर उनकी पिटाई कर दी। इस दौरान उन्हें मस्जिद से बाहर निकाल दिया गया। फिर बाद में उनका मस्जिद में आना प्रतिबंधित कर दिया गया। इस पर उन्होंने पुलिस के समक्ष शिकायत भी दर्ज कराई।
पुलिस ने मारपीट करने वालों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया, लेकिन उन्हें भड़काने वाले प्रमुख मौलाना को छोड़ दिया। मस्जिद में प्रवेश प्रतिबंधित करने पर उन्होंने मामले की शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। तब परेशान होकर उन्होंने भीड़ को भड़काने वाले मौलाना के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने व खुद को मस्जिद में प्रवेश देने की मांग करते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी। उनके अधिवक्ता इशान वर्मा ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन किया जा रहा है।
हर व्यक्ति को अपने धार्मिक स्थानों पर प्रार्थना करने का संवैधानिक अधिकार है। ऐसे में कोई किसी व्यक्ति के धार्मिक स्थल में प्रवेश का निर्धारण कैसे कर सकता है। इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एनके व्यास ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता के तर्को पर सहमति जताई है। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को जामा मस्जिद में प्रवेश देने के साथ ही उन्हें नमाज पढ़ने देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने मस्जिद परिसर में हर हाल में शांति व्यवस्था बहाल करने के भी निर्देश दिया है।
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