0 गठन नहीं करने पर नियोजक के खिलाफ 50 हजार रुपए तक का दंड का प्रावधान ।
जांजगीर-चांपा,11 अगस्त (वेदांत समाचार) महिलाओं को कार्यस्थल पर सुरक्षित सुनिश्चित करने कार्यस्थल पर 10 से अधिक श्रमिकों के नियोजन पर नियोजक द्वारा लिखित आदेश से आंतरिक परिवाद समिति का गठन अनिवार्य होगा। इस आदेश के उल्लंघन करने वाले नियोजक के विरुद्ध 50 हजार रुपए तक दंड का प्रावधान है। कलेक्टर श्री जितेन्द्र कुमार शुक्ला ने समिति का गठन एक सप्ताह के भीतर करने के निर्देश नियोजकों को दिए हैं।
माननीय उच्चतम न्यायालय के द्वारा दिए गए निर्देश पर भारतीय संसद द्वारा महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीडन (निवारण, प्रतिषेध एवं प्रतितोष) अधिनियम, 2013 (दी सेक्सुअल हरासमेंट आफ वुमेन एट वर्कप्लेस (प्रिवेंशन प्रोहीबिशन एंड रिड्रेस) एक्ट 2013) निर्मित किया गया और भारतीय दंड संहिता में धारा 354 ए.बी.सी. एवं डी. जोड़े गए। इस अधिनियम (कानून) का पी डी एफ इंटरनेट में सरलता से उपलब्ध है।
छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग एवं श्रमायुक्त छत्तीसगढ़ द्वारा प्रत्येक प्राईवेट सेक्टर संगठन , संस्थान में इस अधिनियम के प्रावधानों का पालन कराने के निर्देश दिए गए हैं । अधिनियम की धारा 4 के अनुसार ऐसे समस्त कार्यस्थल पर ‘जहाँ 10 या 10 से अधिक श्रमिक नियोजित हो, वहां नियोजक लिखित आदेश के द्वारा आंतरिक परिवाद समिति का गठन करेगा।
आंतरिक समिति में निम्नानुसार सदस्य होंगे 4. एक पीठासीन अधिकारी , जो कार्यस्थल पर ज्येष्ठ स्तर की महिला कर्मचारी होगी।
कर्मचारियों में से कम से कम 2 सदस्य जो महिलाओं की समस्याओं के प्रति प्रतिबद्ध हो , एक सदस्य, महिलाओं की समस्याओं के प्रति प्रतिबद्ध किसी गैर-सरकारी संगठन से। अधिनियम की धारा 6 के अनुसार ऐसे संस्थानों में जहाँ 10 से कम कर्मचारी होने के कारण आंतरिक
परिवाद समिति गठित न की गई हो, अथवा परिवा नियोजक के ही विरुद्ध हो, तो परिवाद जिला स्तर पर गठित स्थानीय परिवाद समिति को प्रस्तुत किए जा सकेंगे। कलेक्टर श्री जितेन्द्र कुमार शुक्ला के अनुमोदन से जांजगीर-चांपा जिले में भी जिला स्तरीय परिवाद समिति गठित है।
अधिनियम की धारा 19 के अनुसार प्रत्येक नियोजक का यह कर्तव्य होगा कि वह कार्यस्थल पर महिलाओं को सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराएगा। साथ ही वह उपरोक्तानुसार आंतरिक समिति के गठन के आदेश और उत्पीड़न के दंड को ऐसे स्थान पर प्रदर्शित करेगा, जहाँ से वह सरलता से दिखलाई पड़े। अधिनियम की धारा 26 के अनुसार कोई नियोजक यदि आंतरिक समिति का गठन करने में अफसल रहता हो अथवा अधिनियम के किन्ही नियमों का उल्लंघन करता हो तो वह पचास हजार रूपये तक के जुर्माने से दण्डनीय होगा।
कलेक्टर श्री जितेन्द्र कुमार शुक्ला ने जिले के सभी नियोजकों को निर्देशित कर कहा है कि वे अपने संस्थान में महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीडन (निवारण, प्रतिषेध एवं प्रतितोष) अधिनियम, 2013 के अनुसार 1 सप्ताह के भीतर लिखित आदेश के द्वारा निर्धारित प्रारूप में आंतरिक परिवाद समिति का गठन करें एवं आदेश की एक प्रति डाक द्वारा इस कार्यालय को प्रेषित करे। साथ ही ‘आंतरिक परिवाद समिति गठन का आदेश अपने संस्थान में सरलता से दिखलाई पड़ने वाले स्थान पर प्रदर्शित करना सुनिश्चित करें।
समिति गठन के आदेश की प्रति और उसे संस्थान मे सभी को सरलता से दिखाई पड़ने वाला स्थान पर चिपकर उसका फोटो निम्नानुसार नंबर पर व्हाट्सप्प द्वारा प्रेषित कर सकते है ।
नगर पालिका चाम्पा / नगर पंचायत खरौद, राहोद, शिवरिनारायण, विकासखंड नवागढ़ – श्रम निरीक्षक व्ही के लकड़ा नंबर 9826124166, नगर पालिका जांजगीर अकलतरा, नगर पंचायत बलोदा बम्होनीडीह सारागांव विकासखंड अकलतरा पामगढ बलोदा बम्होनीडीह – श्रम निरीक्षक सुश्री सरिता चंद्रवंशी नंबर 8319423560
नगर पालिका सक्ति, नगर पंचायत बाराद्वार डभरा जैजैपुर चंद्रपुर आड़भार विकासखंड सक्ति मलखारौदा डभरा जैजैपुर – श्रम निरीक्षक लक्षमण सिंह मरकाम नंबर 722394200
जिले के समस्त औद्योगिक वाणिज्य एवं व्यवसायिक संघों के पदाधिकारियों से अनुरोध किया गया है कि वे अपने संघ के समस्त सदस्य संस्थानों के उपरोक्तानुसार कार्यवाही पूर्ण कराने सहयोग प्रदान करें ।
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