भरथना तहसील के कस्बा लखना में मुस्लिम आस्था के 786 अंकों बाले नोटों का संग्रह,



इटावा जनपद की सबसे बड़ी भरथना तहसील के कस्बा लखना में मुस्लिम आस्था का तीन अंकों बाला प्रतीक 786 अंकों के नोट एक अजीबोगरीब संग्रह बन गया। इस्लामिक मत के अनुसार 786 का अंक काफी पाक मुफीद माना जाता है। जिसका सीधा सम्बन्ध परवरदिगार से होता है इस अंक के प्रति आम लोगों की आस्था अक्सर धर्म और जाति की संकीर्णता से ऊपर उठकर हिंदू और मुसलमान दोनों में देखी जाती है,अपने पूर्वजों से इस अंक के महत्वपूर्ण होने की बात सुनकर लखना के लोहा व्यवसाई मुकेश कुमार जैन का पुत्र श्रेष्ठ जैन ने विगत 15 वर्षों से 786 अंक वाले नोटों को एकात्रित करना शुरू किया जो आज एक विशाल संग्रह बन गया है।


श्रेष्ठ जैन अपनी कम उम्र से ही इन नोटों को संग्रह करता रहे। श्रेष्ठ जैन बताते हैं कि जब वे वाल अवस्था 8 वर्ष के थे तभी से 786 के नोटों के प्रति उन्हें यह विश्वास हो गया था कि यदि वह 786 वाले अंकों के नोट अपने पास रखेंगे तो परवरदिगार या खुदा उन्हें बहुत सी दौलत देंगे इसी जुनून के चलते वह अपनी दुकान पर आने वाले हर नोट को यह सोचकर तलाश करते रहे कि उसमें 786 के अंक वाले नोट तो नहीं है और उनके इस कार्य में उनके पिता मुकेश कुमार जैन उर्फ बल्ले जैन पूरी मदद करते रहे। उनके इसी जुनून का परिणाम यह रहा कि उनके पास 10,20,50,100,500 और 1000 के तमाम नोट मौजूद हैं। यही नहीं पिछले नोटबंदी के चलते उन्होंने 1000 के नोट तो बदल लिए लेकिन 500 और उसके नीचे के नोट आज भी उनके पास मौजूद हैं और इस्लाम धर्म में 786 का जो महत्व बताया गया है।

वह उस से पूर्णता सहमत भी दिखाई दे रहे हैं,क्योंकि जब से उन्होंने नोटों का संग्रह करना शुरू कर दिया था उनके पास 786 के अंक वाले तमाम नोट इकट्ठे हो गए थे। उन्होंने नोटों की गड्डियां दिखाते हुए बताया कि समय के अनुसार उनका यह शौक आज भी बरकरार है और उन्हें जहां भी 786 अंक वाला नोट दिख जाता है वह उसे संभाल कर अपने पास रख लेते हैं। श्रेष्ठ जैन के अनुसार 500,200 100,50,20 और 10 के लगभग 300 नोट उनके पास मौजूद हैं पर अब दुकान पर कम रहने के कारण उनके इस शौक में कुछ कमी जरूर आ गई है। आज भी वह अपने पास 786 अंक वाले इन नोटों को अपनी जान से भी ज्यादा मोहब्बत करते हुए सुरक्षित करते हैं। श्रेष्ठ जैन का यह शौक आज पूरी लखना बस्ती में चर्चा का विषय बना हुआ है।

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