KORBA NEWS: एक साल बाद वृद्धाश्रम में मिली मां, दोनों मिले तो फफक पड़े, फिर चेहरे खुशी से दमके

वृद्धाश्रम में मेमबाई नामक बुजुर्ग महिला की फरवरी 2024 में एंट्री हुई थी। कोरबा रेलवे स्टेशन से एक व्यक्ति उन्हें वृद्धाश्रम छोड़ गया था।

कोरबा, 01 फरवरी। एक साल पहले परिवार से दूर हुई 80 वर्ष की बुजुर्ग महिला की घर वापसी हुई है। बेटे सहित परिवार के अन्य सदस्य नवदृष्टि प्रशांति वृद्धाश्रम पहुंचे और बुजुर्ग महिला को अपने साथ ले गए। वृद्धाश्रम परिवार ने सम्मान के साथ अपने साथी को विदा किया।

नवदृष्टि समाजसेवी संस्था द्वारा संचालित प्रशांति वृद्धाश्रम में मेमबाई नामक बुजुर्ग महिला की फरवरी 2024 में एंट्री हुई थी। कोरबा रेलवे स्टेशन से एक व्यक्ति उन्हें वृद्धाश्रम छोड़ गया था। बुजुर्ग महिला परिवार के बारे में ठीक से जानकारी नहीं दे पा रही थी, उन्होंने रायगढ़ जिले का होना बताया था। लिहाजा उन्हें आश्रम में भर्ती कर लिया गया। हंसमुख, लेकिन शांत स्वभाव वाली मेमबाई पूरे आश्रम की चहेती बन गई थीं। इधर, सालभर बाद ऐसा समय आया कि उनके परिवार के लोगो को मेमबाई के नवदृष्टि प्रशांति वृद्धाश्रम में होने की जानकारी मिली।

रायगढ़ जिले के खरसिया क्षेत्र के निवासी शिवनारायण पटेल परिवार के सदस्यों के साथ 28 फरवरी, 2025 को प्रशांति वृद्धाश्रम, कोरबा पहुंचे। उन्होंने केअरटेकर वीरू यादव से मुलाकात की और परिचय देते हुए अपनी मां को घर ले जाने की इच्छा जाहिर की। वीरू यादव ने नवदृष्टि समाजसेवी संस्था के अध्यक्ष मोहम्मद सादिक शेख को इस संदर्भ में जानकारी दी। पूरी पड़ताल और बुजुर्ग महिला मेमबाई से चर्चा करने के बाद शिवनारायण पटेल को अपनी मां को ले जाने की अनुमति दी गई। इधर, एक साल बाद जब मां ने अपने बेटे को देखा और बेटे ने मां को तो दोनों की आंखे लबलबा गईं। दोनों के चेहरों पर बिछड़ने का गम दूर हो चुका था और चेहरा खुशी से दमक रहा था। मेमबाई को बकायदा फूल माला पहनाकर उनकी आरती उतार विदा किया गया।

बगैर अनुदान 20 साल से कर रहे संचालन

नवदृष्टि समाजसेवी संस्था द्वारा प्रशांति वृद्धाश्रम का संचालन 20 वर्षों से किया जा रहा है। प्रशांति वृद्धाश्रम छग शासन के समाज कल्याण विभाग के अधीन है। 20 वर्ष पूर्व संस्था को इसका संचालन सौंपा गया था। खास बात यह है कि नवदृष्टि समाजसेवी संस्था द्वारा वृद्धाश्रम के संचालन के लिए किसी भी प्रकार का शासकीय अथवा गैर शासकीय अनुदान प्राप्त नहीं किया जाता है। संस्था अपने स्रोत तथा समय- समय पर मिलने वाले जनसहयोग से वृद्धाश्रम का संचालन करती है। वर्तमान में आश्रम में 22 महिला, पुरुष वरिष्ठ नागरिक निवासरत हैं। 60 वर्ष से अधिक आयु और जरूरतमंद बुजुर्गों की यहां निःशुल्क भर्ती की जाती हैं। भोजन सहित अन्य सुविधाएं निःशुल्क प्रदान की जाती हैं।