मृत लिपिक मानसर की न्यायिक जांच हो – सिन्हा



कोरबा 10 जुलाई (वेदांत समाचार) । सामाजिक कार्यकर्ता विनोद सिन्हा ने जारी एक बयान में बताया कि पिछले गुरुवार को बी. ई ओ. कार्यालय में लिपिक श्याम कुमार मानसर द्वारा जहरखुरानी करने की वजह से कल अपोलो अस्पताल बिलासपुर में निधन हो गया।


सिन्हा ने आगे बताया कि लिपिक मानसर द्वारा आर्थिक तंगी के चलते किसी बैंक में मैचुअल फंड के तहत जमा राशि को लेकर तनाव में थे, ऐसा विभागीय अधिकारियों का कहना है। जहरखुरानी करने के कारण बी ई ओ कार्यालय के अधिकारी संजय अग्रवाल द्वारा एनकेएच निजी अस्पताल में भर्ती कराई गई । उसके पश्चात स्थिति में सुधार न होने पर अपोलो अस्पताल बिलासपुर रेफर किया गया था । कल दोपहर उनका निधन हो गया। लिपिक श्याम कुमार मानसर अनेक सवाल छोड़ गए हैं। बी ई ओ संजय अग्रवाल द्वारा निजी अस्पताल एनकेएच में दाखिल जहरखुरानी लिपिक मानसर का स्वयं बयान लेना। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जो नियमों के विरुद्ध तथा मामले को उलझा दिया क्योंकि कोई भी व्यक्ति जहर खुरानी करता है तो उसे तत्काल किसी अस्पताल में दाखिल किया जाता है अस्पताल की ओर से तुरंत स्थानीय पुलिस व दंडाधिकारी के उपस्थिति में गंभीर रूप से दाखिल मरीज का बयान लिया जाता है लेकिन संजय अग्रवाल ने स्वयं बयान लेकर सोशल मीडिया में बयान को वायरल कर दिया जिससे पता चलता है कि मामला संदेह के दायरे में यानी मानसर की मृत्यु संदेहात्मक रूप ले लिया है।


सिन्हा ने आगे बताया कि बी ई ओ संजय अग्रवाल या डी ओ सतीश पांडे द्वारा तत्काल किसी दंडाधिकारी या स्थानीय थाने में सूचना देकर बयान दर्ज कराना चाहिए था लेकिन न तो विभाग के अधिकारी या स्थानीय निजी अस्पताल के डॉक्टर द्वारा स्थानीय मजिस्ट्रेट या पुलिस को सूचना ना देकर नियमों की घोर अवहेलना की गई है। मृत लिपिक मानसर द्वारा छात्रवृत्ति व शिक्षाकर्मी का कार्य देख रहे थे कहीं छात्रवृत्ति में घोटाला या हेराफेरी तो नहीं है या हेरा फेरी हुआ है क्या ? कहीं बदनामी के डर से संबंधित अधिकारी इस मामले को दबाने के लिए जैसा कि संबंधित अधिकारी पुलिस और मजिस्ट्रेट को बिना सूचना दिए स्वयं बयान लेकर कहीं मामले को रफा-दफा या दबाने का प्रयास तो नहीं है? मृत लिपिक के समर्थन में अभी तक कर्मचारी संघ आगे नहीं आए हैं जिससे मृत लिपिक के परिवार बेसहारा हो गए ।


सिन्हा ने कलेक्टर कोरबा से मांग की है कि लिपिक मानसर की चिकित्सालय में दाखिला के समय स्थानीय दंडाधिकारी या पुलिस को शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा बयान दर्ज क्यों नहीं कराया गया इसलिए इस मामले की न्यायिक जांच की जाए ताकि मृत परिवार को न्याय मिल सके।

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