गरियाबंद 09 जुलाई (वेदांत समाचार) शासन से पीएम आवास की स्वीकृति मिलने के बाद भी एक पात्र हितग्राही को पूर्व सरपंच और सचिव द्वारा ग्राम सभा में अपात्र कर देने का मामला सामने आया है।मामला करचिया गॉव का है। जहां रहने वाली महिला सुभद्रा नेताम का आरोप है कि पीएम आवास की सूची में उसका भी नाम शामिल था। वहीं उसे आवास भी मिलने ही वाला था। ऐसे में पंचायत के पूर्व सरपंच माधवो पारी और सचिव दसरथ नायक ने उक्त महिला को ग्राम सभा में अपात्र घोषित कर दिया। वहीं ग्राम सभा में अपात्र घोषित किये जाने के बाद महिला को आवास नहीं मिल पाया। वहीं महिला आज मिट्टी के जर्जर मकान में रहने को मजबूर हो गयी है। (Gariyaband) मिट्टी के मकान की दीवारों ने भी जवाब देना शुरू कर दिया है। स्थिति ये है कि मकान की दीवारें भी धसकने लगी है। वहीं सुभद्रा अपने चार बच्चों के साथ मकान के ऊपर झिल्ली डालकर रहने रहने को मजबूर हो गयी है। स्थिति यह है कि बरसात का पानी सुभद्रा के घर में घुस जाता है। वहीं किसी तरह मजबूरीवश उन्हें रात काटना पड़ता है।
रतजगा कर रात काटने को मजबूर
पीड़ित महिला सुभद्रा नेताम ने बताया कि घर के ऊपर का हिस्सा बहुत ज्यादा जर्जर हो चुका है। घर में लगे खप्पर भी टूट चुके है। आर्थिक स्थिति इतनी ज्यादा कमजोर है कि घर का मरम्मत करवा पाना भी सम्भव नहीं है। ऐसे स्थिति में घर के ऊपर झिल्ली डालकर महिला अपने चार बच्चों के साथ रहने को मजबूर हो गयी है। सुभद्रा की माने तो सर छुपाने के लिए झिल्ली ही उनका सहारा है। वहीं तेज़ बारिश होने पर झिल्ली से भी पानी टपकना शुरू हो जाता है। वहीं घर के म्यार को भी बांस से टिकाया गया है। ऐसे स्थिति में पूरा परिवार डर के बीच बारिश होने पर रतजगा कर पृरी रात काटने को मजबूर हो जाते हैं।
पति के बीमारी में खर्च हो गए पैसे
सुभद्रा बताती है कि करीब दस साल पहले उन्हें इंद्रा आवास मिला था। उस दौरान पहली किस्त के रूप में 20 हज़ार भी मिला था। पैसा मिलने के बाद नींव खोदकर काम करना भी शुरू कर ही रहे थे कि इतने में पति की तबीयत बिगड़ गयी। वहीं आवास के लिए मिला हुआ पैसा पति के इलाज में खर्च हो गया। जिसके चलते इंद्रा आवास का काम नहीं हो पाया। वहीं पति का इलाज करवाने के बाद भी वह उसे बचा ना सकी। आज चार बच्चों की जिम्मेदारी सुभद्रा के ऊपर है।
पूर्व-सरपंच और सचिव ने दिया ये तर्क
मामले में पूर्व सरपंच माधवो पारी का कहना है कि महिला के पति के नाम पर पूर्व में इंद्रा आवास स्वीकृत हुआ था। वहीं सुभद्रा के परिवार को उस दौरान आवास की पहली किस्त 20 हज़ार भी मिल गयी थी,लेकिन उन्होंने आवास का काम करने में रुचि नहीं दिखाया। वहीं जनपद पंचायत से भी इस सम्बंध में दो बार नोटिस मिला,लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया। इसके बाद उस दौरान सीईओ ने भी आदेश किया था की जिन्हें पहले आवास मिल चुका है,उनका नाम पीएम आवास की सूची में नहीं लेना है। सीईओ के आदेश के अनुसार हमने कार्य करते हुए ग्राम सभा में सुभद्रा के नाम का अनुमोदन नहीं किया। वहीं सचिव दसरथ नायक ने कहा कि सीईओ से ही आदेश मिला था कि जिनका पहले इंद्रा आवास स्वीकृत हो चुका है,ऐसे लोगों को पीएम आवास नहीं देना है। वहीं सीईओ के आदेश के अनुसार ही हमने काम किया है।
मामले में जनपद सीईओ मनहर लाल मण्डावी ने कहा कि इस तरह का कोई आदेश उन्होंने अब तक जारी नहीं किया है। वहीं महिला का नाम कब काटा गया है। इसकी जानकारी भी उन्होंने लेने की बात कही।
मामले में जिला पंचायत अध्यक्ष ने कहा कि पात्र हितग्राही को अपात्र करना गलत है। वे मामले को लेकर उच्चाधिकारी से चर्चा करेंगी।
जनपद सीईओ ने कहा कि पात्र हितग्राही को अपात्र करना गलत है। मामले की वे पृरी जानकारी लेंगे,इसके बाद जल्द ही उचित कदम उठाएंगे।
वही सरपंच विद्यामणि मरकाम ने कहा कि सुभद्रा का मकान अति जर्जर हो चुका है। मकान की स्थिति को देखते पुनः ग्राम सभा में उनके नाम को अनुमोदित करते हुए उन्हें आवास देने के लिए प्रस्ताव जनपद पंचायत को भेजा गया है।
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