कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने 5 लाख रुपए का जुर्माना लगा दिया। ममता पर यह जुर्माना इसलिए लगाया गया, क्योंकि ममता ने चुनाव से जुड़ी एक याचिका की सुनवाई को जस्टिस कौशिक चंदा की बेंच से हटाने की मांग की थी। ममता ने जस्टिस चंदा पर भाजपा से संबंधों का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि जस्टिस चंदा की एक फोटो सामने आई है, जिसमें वे भाजपा नेताओं के साथ दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में उनका इस केस से जुड़े होना ठीक नहीं है।
जस्टिस चंदा में इस मामले में 24 जून को फैसला रिजर्व रख लिया था। उन्होंने बुधवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि ममता ने न्यायपालिका की छवि धूमिल करने की कोशिश की है। हालांकि जस्टिस चंदा ने खुद ही इस केस से हटने फैसला लिया है। लेकिन उन्होंने कहा, ‘यह समझ से परे है कि इस केस में हितों का टकराव है। दिक्कतें पैदा करने वालों को विवाद जारी रखने का मौका नहीं मिलना चाहिए। अगर केस के साथ अवांछित समस्या जारी रहती है तो यह यह न्याय के हितों के विपरीत होगा।’
क्या है पूरा मामला
2 मई को देश के 4 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजे आए थे। बंगाल में ममता नंदीग्राम सीट पर टीएमसी के शुभेंदु अधिकारी से 1956 वोटों से हार गईं। नतीजे के दिन ही ममता ने वोटों की दोबारा गिनती की मांग की, जिसे चुनाव आयोग ने नहीं माना। इसके बाद चुनावी नतीजों के खिलाफ ममता कलकत्ता हाईकोर्ट चली गईं। इस याचिका में उन्होंने शुभेंदु अधिकारी पर चुनाव में रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार और धर्म के आधार पर वोट मांगने के आरोप लगाए और चुनाव रद्द करने की मांग की।
ममता की पारंपरिक सीट भवानीपुर खाली
नंदीग्राम में हार के बाद ममता ने 7 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके बाद सबसे बड़ा सवाल यह था कि वह चुनाव कहां से लड़ेंगी। आखिरकार, उनकी पारंपरिक सीट भवानीपुर से जीते टीएमसी के विधायक शोभन देव चटर्जी ने इस्तीफा दे दिया। यह तय है कि ममता यहीं से चुनाव लड़ेंगी। बंगाल में 2011 के विधानसभा चुनाव में भवानीपुर से तृणमूल के सुब्रत चुनाव जीते थे। उनके इस्तीफे के बाद ममता ने यहां उप-चुनाव लड़ा था और जीती थीं। 2016 में भी वे इसी सीट से लड़ीं और जीतीं थीं।
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