बालोद जिले में एसपी सदानंद कुमार ने ग्रहण किया पदभार, नक्सल एरिया संबंधित थानों को 24 घंटे अलर्ट रहने के दिए निर्देश

बालोद 5 जुलाई (वेदांत समाचार) नए एसपी सदानंद कुमार नारायणपुर क्षेत्र में पदस्थ थे। जहां वे 16वी छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल के कमांडेंट थे। इस दौरान उन्होंने कई नक्सली ऑपरेशन में भी हिस्सा लिया। अब उनका स्थानांतरण बालोद में हुआ। जहां वे कुछ दिन पहले ही बालोद एसपी का पदभार संभाले हैं। यहां आते ही उन्होंने नक्सली गतिविधियों पर नजर रखनी शुरू कर दी है।

हालांकि जिले में लंबे समय से नक्सली गतिविधियों (Naxal Area) पर विराम लगा हुआ है लेकिन फिर भी कहीं किसी भी तरह की आहट मिलती है तो संबंधित पर कार्यवाही के लिए पुलिस तैयार रहेगी। एसपी सदानंद कुमार बालोद जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र के थानों का निरीक्षण करने के लिए पहुंच रहे हैं।

एसपी सदानंद कुमार महामाया थाना क्षेत्र पहुंचे। आसपास के थानों जो कि जंगली इलाकों से लगे हुए क्षत्रों में पहुंचकर वहां की परिस्थितियों से अवगत हो रहे हैं। महामाया थाना प्रभारी अरुण साहू को निर्देशित किया गया है कि वे और उनका स्टाफ अलर्ट रहें और लगातार आसपास के इलाकों में निगरानी करते रहे। ग्रामीणों में मुखबिर तंत्र मजबूत रखें। कहीं किसी भी तरह की सूचना सामने आती है तो उसे गंभीरता से लें ।

ज्ञात हो की महामाया थाना पहले नक्सली उत्पात से प्रभावित था लेकिन अब यहां स्थिति नियंत्रण में है। लंबे समय से कोई नक्सली (Naxal Area) वारदात नहीं हुई। लगातार यहां पुलिस प्रशासन व अन्य बल निगरानी करती रहती है तो वही ग्रामीणों को भी समय-समय पर सचेत किया जाता है। एसपी ने थाना प्रभारी सहित सभी स्टाफ को अपने दायित्वों का निर्वहन पूरी जिम्मेदारी से करने की हिदायत दी है व ग्रामीणों से ही सहयोग की अपेक्षा की है।

इसलिए अलर्ट रहना जरूरी

बता दे कि बालोद जिले का महामाया थाना जिले के अंतिम छोर पर बसा हुआ है। जहां घना जंगल है व आस-पास राजनांदगांव जिले (Naxal Area) का खड़गांव थाना क्षेत्र भी पड़ता है जहां पहले नक्सली उत्पात बहुत था कभी भी नक्सलियों की धमक इस क्षेत्र में सुनाई देती है इसलिए पड़ोसी जिलों को भी अलर्ट रहना पड़ता है।

हालांकि अब पहले की तरह नक्सलियों की आमद इस इलाके में नहीं रही। वहीं पुलिस व ग्रामीणों के बीच मुखबिर तंत्र इतनी मजबूत हो चुकी है कि अब नक्सली इस इलाके में एकाएक घुस नहीं पाते हैं। कुछ माह पहले दल्ली के एक ठेकेदार को नक्सलियों को सामान पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तार भी किया गया था। उसके बाद से पुलिस गोपनीय तौर पर खासतौर से नक्सल क्षेत्र में ठेकेदारी कर रहे लोगों पर नजर बनाए रखी है कि कहीं उनका नक्सली लिंक तो नहीं है।

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