धरती पर जीवन के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए जल का संरक्षण और बचाव बहुत जरूरी है – डाॅ. संजय गुप्ता

इंडस पब्लिक स्कूल के शिक्षक-शिक्षिकाओं ने वर्षा जल को संचित करने का लिया संकल्प ।

आई.पी.एस. के स्टाॅफ का वर्षा जल संरक्षण हेतु अभिनव प्रयास करेंगें लोगों को जागरूक ।

एक प्यासे इंसान के लिए पानी की एक बूँद सोने की एक बोरी से भी अधिक मूल्यवान है– डाॅ. संजय गुप्ता

कोरबा 5 जुलाई (वेदांत समाचार) यह एक आश्चर्यजनक सत्य है कि भारत में वर्षा के मौसम में एक क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति होती है जबकि दूसरे क्षेत्रों में भयंकर सुखा होता है । पर्याप्त वर्षा के बावजूद लोग पानी की एक-एक बूंँद के लिए तरसते हैं तथा कई जगह संघर्ष की स्थिति पैदा हो जाती है । इसका प्रमुख कारण यह है कि हमनें प्रकृति प्रदत्त अनमोल वर्षा जल का संचय नहीं किया और वह व्यर्थ बहकर दूषित जल बन गया । वहीं दूसरी ओर मानवीय लालसा के परिणामस्वरूप भू जल का अन्धाधुन्ध दोहन किया गया परन्तु धरती से निकाले गए इस जल को वापस धरती को वापस नहीं लौटाया गया, परिणामस्वरूप भूजल स्तर गिरा तथा भीषण जल संकट पैदा हुआ एक अनुमान के अनुसार विश्व के लगभग 1.4 अरब लोगों को शुध्द पेयजल उपलब्ध नहीं है प्रकृति ने अनमोल जीवनदायी संपदा जल को हमें एक चक्र के रूप में दिया है । मानव इस जलचक्र का अभिन्न अंग है । इस जल चक्र का निरंतर गतिमान रहना अनिवार्य है । हमारा दायित्व है कि हम वर्षा जल का संरक्षण करें तथा प्राकृतिक जल स्त्रोंतों को प्रदूषण से बचायें और किसी भी कीमत पर पानी को बर्बाद न होने दें ।


जल संरक्षण के लिए सभी के एकीकृत व ईमानदार प्रयास की आवश्यकता है । इसी से हमारा वर्तमान एवं भविष्य सुरक्षित रहेगा क्योंकि जल संरक्षण ही वह प्रक्रिया है जिससे भूजल स्तर बढ़ाता है और उसका इस्तेमाल हम भविष्य में कर सकते हैं । वर्षा ऋतु में समुचित प्रबंधन के अभाव में वर्षा का जल बहता हुआ नदी नलों से बहता हुआ समुद्र के खारे पानी में मिलकर खारा बन जाता है अतः वर्तमान जल संकट को दूर करने के लिए वर्षा जल संचय ही एकमात्र विकल्प है । वर्षा की प्रत्येक बूँद को सहेज कर रखना जरूरी है । जरूरत है एक ईमानदार प्रयास की समय है कि हम परंपरागत जल स्त्रोंतों को पुर्नजीवित करके उन्हे बचायें सजीव बनायें ।

दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल के शिक्षक-शिक्षिकाओं ने सप्राचार्य वर्षाजल संरक्षण का सामूहिक शपथ लिया सभी एक साथ मिलकर शपथ लिया कि आगामी वर्षा ऋतु में व्यर्थ बहने वाले वर्षा की प्रत्येक बूँद का संरक्षण व संग्रहण स्वयं भी करेंगें और आस-पास के लोगों को भी अपील करेंगें ।

इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के शिक्षक श्री प्रहलाद प्रधान ने कहा कि यदि हमारा यह प्रयास सफल हुआ तो बेशक हम भू जलस्तर की वृध्दि में सहायक सिध्द होंगें । क्योंकि जहाँ एक ओर पूरी दुनिया के लोग भू-जलस्तर दोहन निरंतर निजी एवं व्यावसायिक उपयोगों में तो कर रहे हैं लेकिन उसकी वृध्दि की ओर किसी का ध्यान नहीं हैं । हम वृक्षारोपण कर तालाबों का निर्माण कर बाँध बनाकर, हौज का निर्माण कर, कुआँ खोदकर इत्यादि उपायों के द्वारा जलस्तर संरक्षण कर प्रकृति के भयंकर प्रकोपों से बच सकते हैं ।

विद्यालय के प्राचार्य डाॅ. संजय गुप्ता ने कहा कि जल जीवन का अमृत है, हमें वर्तमान तथा भावी पीढ़ियों के लिए जल संरक्षण की आवश्यकता है । जल जीवन के लिए सबसे अहम प्राकृतिक संसाधन है । जल एक ऐसी संपदा है जिसका किसी तकनीकी प्रक्रिया के माध्यम से जल जी चाहे तब उत्पादन या संचयन नहीं हो सकता जल हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पृथ्वी पर पाए जाने वाले पानी की कुल मात्रा का केवल 2़.7 प्रतिशत ही पीने योग्य है । पानी प्रत्येक के लिए पवित्र और अमूल्य संसाधन है । हमें सुरक्षा व संरक्षण पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है ।

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