कोरबा 5 जुलाई (वेदांत समाचार) : जिले के कटघोरा इलाके में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय की तरफ से फोरलेन सड़क का निर्माण कराया जा रहा है. तकरीबन 12 सौ करोड़ रुपये की लागत से 43 किलोमीटर फोरलेन सड़क निर्माण का कार्य 50 फीसदी पूरा हो चुका है. जाहिर है जिनकी पुश्तैनी जमीन इस सड़क निर्माण के जद में आया है सरकार ने सर्वे के पश्चात उन्हें क्षतिपूर्ति भी प्रदान कर दी है. लेकिन इस पूरी प्रक्रिया के सालो बाद फोरलेन के लिए किए गए जमीन अधिग्रहण और मुआवज़े के नाम पर एक बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा स्थानीय पत्रकार ने किया है. प्रार्थी ने दस्तावेजी प्रमाण के साथ दावा किया गया है कि एक स्थानीय भाजपा नेता ने शासकीय जमीन को अपने परिजनों के नाम पर कूटरचना और जालसाजी कर रजिस्ट्री करा लिया. इतना ही नही बल्कि उक्त जमीन के एवज में उसे तकरीबन एक करोड़ नब्बे लाख रुपये का मुआवजा भी हासिल हुआ है. आशंका जताई जा रही है कि इस पूरे फर्जीवाड़े में और भी कई राजस्व विभाग के अफसर और नेता शामिल है. इन्ही की मदद से जमीन का नामांतरण, बटांकन निजी भूमि के तौर पर हुआ और फिर मुआवजा हासिल किया गया. शिकायतों की प्रति देखकर खुद प्रशासन भी हैरान है कि आखिर अफसरों के नाक के नीचे कैसे यह जालसाजी संभव है. बहरहाल एसडीएम कटघोरा सूर्यकिरण तिवारी ने मामले पर तत्काल संज्ञान लेते हुए पाली एसडीएम को शिकायत प्रेषित कर दिया है. बताया जा रहा है कि जांच के लिए एक टीम का गठन कर दिया गया है.
दरअसल कटघोरा के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार और राजस्व मामलो के जानकार शशिकांत डिक्सेना का सनसनीखेज दावा है की प्रशासन ने पिछले दिनों जिस जमीन के एवज में भाजपा के नेता, पूर्व एल्डरमैन और ऑटोमोबाइल कारोबारी दिनेश गर्ग को तक़रीबन दो करोड़ रूपये का मुआवजा प्रदान किया है वह जमीन दिनेश गर्ग की नहीं बल्कि शासन की वनभूमि है. दस्तावेजी आधार पर दावा किया गया है की पाली अनुविभाग अंतर्गत आने वाले मदनपुर प.ह.न.8, रा.नि.म. पाली तहसील अंतर्गत मदनपुर के भूमि खसरा न. 412 रकबा 1.58 एकड़ जमीन सरकारी अधिकार अभिलेख में शासकीय भूमि (बड़े झाड़ का जंगल) के तौर पर दर्ज था. वही फोरलेन निर्माण शुरू होने के ठीक पहले सं 2018 में इस 1.58 एकड़ शासकीय जमीन का रहस्यमयी ढंग से अपने नाम पर रजिस्ट्री करा लिया गया. गौरतलब है की शासन ने स्वयं 5 अगस्त 2018 के बाद उक्त क्षेत्र के जमीनों के रजिस्ट्री पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी.
दिलचस्प बात यह है की इस रजिस्ट्री के ठीक बाद उक्त 1.58 एकड़ जमीन का फरवरी 2017 में अलग-अलग चार अन्य लोगो के नाम पर बटांकन भी कराया गया. यह लोग कोई और नहीं बल्कि दिनेश गर्ग के परिजन थे. इनमे प्रेमलता, अनिल कुमार, किरण कुमार, अशोक कुमार व स्वयं दिनेश गर्ग शामिल है. इस बटांकन के आधार पर प्रेमलता के खाते में 0.210 हेक्टेयर जमीन शामिल हुआ जबकि शेष चार लोगो के खाते में 0.048 हेक्टेयर जमीन पंजीकृत हुआ. इसके एवज में शासन की तरफ से प्रेमलता को 28 लाख 39 हजार जबकि शेष चार को 40 लाख 44 हजार रूपये का मुआवजा प्राप्त हुआ. इस तरह कुल मुआवजा तक़रीबन रक करोड़ नब्बे लाख रूपये उन्हें हासिल हुआ. बताया जा रहा है की इस पूरी खरीदी, बिक्री और बटांकन के पूर्व जिन वैधानिक प्रक्रियाओं को अपनाया जाता है उन्हें भी दरकिनार कर दिया गया. इतना ही नहीं बल्कि बटांकन के पूर्व एक इश्तिहार तक अखबारों में प्रकाशित नहीं कराया गया. दावे के मुताबिक़ जमीन की रजिस्ट्री के महज सात दिवस के भीतर बटांकन भी कर लिया गया.
बहरहाल इस कथित जमीन फर्जीवाड़े में कई दुसरे रसूखदार लोगो की संलिप्तता बताई जा रही है. तब के पटवारी की भी भूमिका इस पूरे लेनदेन में संदिग्ध है. शिकायतकर्ता ने एसडीएम कटघोरा को इस खरीदी से जुड़े सभी दस्तावेज सौंपने की बात कही है. प्रशासन ने मामले पर उचित जांच और कार्रवाई का आश्वासन दिया है. प्रार्थी अब इसकी शिकायत जिला कलेक्टर के अलावा बिलासपुर संभागायुक्त, राष्ट्रिय राजमार्ग प्राधिकरण व सड़क, परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से किये जाने का मन बना चुका है. बेहद शातिराना ढंग से अंजाम दिए गए इस पूरे जालसाजी को जानकर खुद प्रशासन भी हैरत में है वही कटघोरा नगर में भी यह चर्चा का विषय बना हुआ है. उम्मीद जताई जा रही है की जांच के दौरान कुछ अन्य लोगो ने नाम का भी खुलासा हो सकता है.
[metaslider id="347522"]