फ्री सरकारी वैक्सीन की हेरा-फेरी, केंद्रीय व न्यायिक जांच एजेंसी से हो – सिन्हा

कोरबा 4 जुलाई (वेदांत समाचार)। सामाजिक कार्यकर्ता विनोद सिन्हा ने जारी एक बयान में बताया कि पूरे देश में जीवन रक्षक टीका 18 प्लस से सभी नागरिकों तक जल्द से जल्द टीकाकरण कर महामारी से मुक्ति दिलाने का प्रयास केंद्र सरकार कर रही है जिसमें सभी प्रदेश सरकारों, सामाजिक संस्थानो व समाज प्रमुखों द्वारा अपने-अपने क्षेत्रों में जागरूकता पैदा कर जल्द से जल्द वैक्सीन टीकाकरण कराने का प्रयास किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर शासकीय एजेंसी द्वारा बिना किसी अनुमति के फ्री सरकारी कोरोना टीके विभागीय डॉक्टरों द्वारा अपने निजी अस्पतालों में लेनदेन कर वैक्सीन लगाई जा रही है।


सिन्हा ने आगे बताया कि केंद्र सरकार सभी गरीबों व आम जनता के लिए वैक्सीन प्रदेश सरकारों को मुहैया करा रही है प्रदेश सरकार की एजेंसी अपने विवेक से टीकाकरण केंद्र स्थापित कर टीकाकरण का कार्य किया जा रहा है लेकिन कोरबा में शासकीय चिकित्सालय के डॉक्टर मखीजा ने अपने निजी अस्पतालों में मुंह मांगे दाम लेकर वैक्सीन बेच रहे थे इसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है क्योंकि प्रतिदिन केंद्र सरकार से प्राप्त वैक्सीन का हिसाब शासकीय अस्पतालों में रखा जाता है ऐसी परिस्थिति में डॉक्टर मखीजा द्वारा टीकाकरण का हिसाब शासकीय रिकॉर्ड में क्यों नहीं है इससे यह पता चलता है की वैक्सीन अन्य अस्पतालों में भी डॉ मखीजा जैसा कृत की जा रही होगी जिसकी जांच केंद्रीय एजेंसी या न्यायिक एजेंसी से करानी आवश्यक हो गई है क्योंकि प्रदेश सरकार द्वारा वैक्सीनेशन का सही लेखा-जोखा नहीं रखने के कारण यह कृत्य हुई है इससे पता चलता है भारी मात्रा में वैक्सीन का दुरुपयोग हो रहा है।


सिन्हा ने आगे बताया कि डॉक्टर मखीजा को दो लाख से अधिक खनिज विकास मद से प्रतिमाह की दर पर नियुक्ति दी गई है जबकि डॉक्टर मखीजा पहले से ही सजगता व दागी रह चुके हैं खनिज विकास मद राशि का उपयोग कोरबा जैसे अनुसूचित जनजाति क्षेत्र होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क ,नाली, बिजली ,पानी व छोटे-मोटे सामुदायिक भवन या अन्य जरूरी कामों के लिए खनिज विकास मद का उपयोग होना चाहिए था लेकिन प्रदेश सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में तरजी देने के बजाय शासकीय अधिकारियों, कर्मचारियों की नियुक्ति तथा नगर पालिक निगम कोरबा के अधिकारियों के लिए सभा कक्ष करोड़ों रुपए की लागत से खनिज विकास मद से कार्य की स्वीकृति दिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण ही नहीं बल्कि पिछड़े व ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को अधिकारो से वंचित करना है।