राजकुमार: एक ऐसा फनकार जिसके डायलॉग, मुहावरों की तरह होने लगे इस्तेमाल

नई दिल्ली :  फिल्मों के डायलॉग यदि किसी मुहावरे की तरह इस्तेमाल किए जाने लगे तो डायलॉग और संवाद अदायगी करने वाले के लिए इससे बड़ी बात क्या हो सकती है. बॉलीवुड में एक फनकार ऐसा भी हुआ था जिसके बोले गए डायलॉग उनके निधन के ढाई दशक बाद भी मुहावरों की तरह इस्तेमाल किए जाते हैं. आज भी जब किसी को अपने गिरेबां में झांकने की सलाह देनी हो तो लोग बड़ी शान से कहते हैं, ‘जिनके अपने घर शीशे के होते हैं वे दूसरे के घरों पर पत्थर नहीं फेंका करते.’ आप समझ गए होंगे की हम दिवंगत एक्टर राजकुमार की बात कर रहे हैं. वो स्वैग, वो अंदाज दोबारा पर्दे पर कभी कोई और दिखा नहीं पाया. जिसके दम पर राजकुमार बरसों बरस तक सिल्वरस्क्रीन पर राज करते रहे. गले में मफलर, हाथ में सिगार और संवाद दमदार. यही तो पहचान थी राजकुमार की. 

राजकुमार ने 25 साल पहले आज ही दिन इन दुनिया को अलविदा कहा था. लेकिन उनका अंदाज कुछ ऐसा था कि उनके मुंह से निकले हुए संवाद आज भी लोगों की जुबां पर है. आइए नजर डालते हैं ऐसे ही कुछ शानदार संवादों पर-  

फिल्म- वक्त

‘चिनॉय सेठ, जिनके घर शीशे के बने होते हैं वो दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंकते।’

फिल्म- सौदागर

‘जानी, हम तुम्हें मारेंगे और जरूर मारेंगे, पर बंदूक भी हमारी होगी, गोली भी हमारी होगी और वह वक्त भी हमारा होगा’

फिल्म- तिरंगा

‘हम तुम्हें वो मौत देंगे जो ना तो किसी कानून कि किताब में लिखी होगी, और ना ही कभी किसी मुजरिम ने सोची होगी।’

फिल्म- इंसानियत का देवता

‘जब खून टपकता है तो जम जाता है, अपना निशान छोड़ जाता है, और चीख-चीखकर पुकारता है कि मेरा इंतकाम लो, मेरा इंतकाम लो।’

फिल्म- जंगबाज

‘बच्चे बहादुर सिंह, कृष्ण प्रसाद मौत की डायरी में एक बार जिसका नाम लिख देता है, उसे यमराज भी नहीं मिटा सकता’

फिल्म- राजतिलक

‘आपके लिए मैं जहर को दूध की तरह पी सकता हूं, लेकिन अपने खून में आपके लिए दुश्मनी के कीड़े नहीं पाल सकता।’

फिल्म- मरते दम तक

‘जिंदगी एक नाटक ही तो है, लेकिन जिंदगी और नाटक में फर्क है, नाटक को जहां चाहो, जब चाहो बदल दो, लेकिन जिंदगी के नाटक की डोर तो ऊपर वाले के हाथ होती है।’

फिल्म- पाकीजा

‘बेशक मुझसे गलती हुई. मैं भूल गया था, इस घर के इंसानों को हर सांस के बाद दूसरी सांर के लिए भी आपसे इजाजत लेनी पड़ती है. और आपकी औलाद खुदा की बनाई हुई जमीन पर नहीं चलती, आपकी हथेली पर रेंगती है.

[metaslider id="122584"]
[metaslider id="347522"]