01 जुलाई (वेदांत समाचार ) कन्नौजिया श्रीवास समाज साहित्यिक मंच छत्तीसगढ़ के तत्वावधान में गुरुवार 1जुलाई 2021 को समय 11:00 बजे से 01:00 बजे तक विविध विधाओं में तृतीय कवि सम्मेलन बजरंग बली की जय घोष के साथ संपन्न हुआ | बिलासपुर संभाग के जिलों से रचनाकारों ने अपनी कविता का पाठ किया।ऑनलाइन कवि सम्मेलन में कार्यक्रम के अध्यक्ष रामसाय श्रीवास ( वरिष्ठ मार्गदर्शक ) एवं विशिष्ट अतिथि रामकुमार श्रीवास (प्रधानमंत्री जन कल्याणकारी योजना जागरूकता अभियान भाजपा जिला मंत्री एवं साहकार भारती जिला उपाध्यक्ष जाँजगीर चाँपा )। महा सचिव राम रतन श्रीवास एवं संयोजक तथा संचालक इंजीनियर एवं कवि रमाकांत श्रीवास थे | कार्यक्रम की शुरुआत कुमारी मेनका श्रीवास द्वारा मांँ सरस्वती की वंँदना से उनकी मधुर गीत के द्वारा प्रारंभ हुई ।
विशिष्ट अतिथि के रूप में विराजमान रामकुमार श्रीवास ने अपने विशेष उद्बोधन में कहा की इस काव्य सम्मेलन में सभी सागर है जिसमें हम समाहित होते जा रहे हैं। आज समाज बिखरा हुआ है, उसे एक उंचाई की ओर अग्रसर करने का प्रयास इस मंच के माध्यम से एकजुट होकर एक नई दशा एवं दिशा की ओर ले जा रहा है । जब से इस मंच का निर्माण हुआ है समाज में दिन प्रतिदिन नई राह ,नई जान नई आयाम की ओर अग्रसर हो रहा है ।उन्होंने कहा की “अतीत का वैभव वर्तमान की पीड़ा और भविष्य के सपने होंगे वही शक्तिशाली बनेगा”। कुछ लोग वेदना ग्रस्त हैं जिसे ऊपर उठाना है यह एक चिंतन का विषय है। शिक्षा और विद्या सभी के लिए आवश्यक है । उन्होंने आगे कहा “अरुण गगन पर महा प्रगति का, फिर मंगल गान उठा ,करवट बदली अंगड़ाई से ,सोया समाज उठा”। इस कार्यक्रम को समाज के लिए नई ऊर्जा के साथ नए मुकाम प्राप्त करने का साधन बताते हुए गर्व महसूस कर आभार व्यक्त किया। इसके बाद कवि खगेश श्रीवास ने हास्य भरे पाठ किया “अरे ये हमारी सरकार है क्या” सुना कर सभी को हंसाते रहा । इसी कड़ी में आगे कवि रवि शंकर श्रीवास ने “आओ नमन करे सबको जिनके लिए यह मुकाम आया है”
कविता पढ़ी। इस कार्यक्रम के महासचिव कवि एवं लेखक राम रतन श्रीवास ने मृत्यु भोज से संबंधित व्यंग्यात्मक कविता ” मृत्यु भोज की लपटें ” का पाठ कर सभी को मंत्र मुग्ध एवं भाव विभोर कर दिया | डॉ हितेंद्र श्रीवास ने “आशा तुझ में जगी आशा मुझ में जगी” का शानदार पाठ किया । कवि नोबेल श्रीवास ने अपनी कविता ” गीत मैं जब वीरों का गाता हूंँ, फक्र से शीश मैं अपनी झुकाता हूंँ ” का पाठ किया | कवि घनश्याम श्रीवास ने कहा की “खुश रहना भी एक कला है” का पाठ किया और जीवन पर प्रकाश डालते हुए मानवता को खुशनुमा बनाने का सुझाव दिया। इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए वरिष्ठ कवयित्री उषा श्रीवास ने प्रशासन पर व्यंग करते हुए कही “”प्रशासन की सड़क पर हर किसी का पेंट क्या जेब तक ढीली है” कविता का पाठ कर सभी का मन मोह लिया | श्रृंगार रस के प्रधान कवि संतोष श्रीवास ने ” रीत के गीत लिखता हूंँ,नवल मधुमिता लिखता हूंँ” का बेहतरीन कविता पाठ कर समां बांधा और कार्यक्रम में सभी की तालियां गूंज उठी | इस साहित्यिक कवि मंच कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कवि राम साय श्रीवास ने अपनी काव्यांजलि में “उठो हुई अब भोर साथियों”.कविता की भावभीनी प्रस्तुति देकर सभी को आकर्षित किया |
कार्यक्रम का संचालन कर रहे इंजीनियर एवं कवि हृदय रमाकांत श्रीवास ने “मुझे मेरे लोगों ने जब जब अजमाया निखर के मैं सामने आया” काब्य पाठ कर सभी को एक धागे में पिरोये रखा | उद्बोधन की कड़ी में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे रामसाय श्रीवास ने समस्त कवियों एवं कवयित्रियों का स्वागत करते हुए कहा की यह खुशी की बात है , इस मंच का तीसरा कार्यक्रम है जो आगे निरंतर चलता रहेगा । समाज को ,राष्ट्र को, दिशा देने में जो भी रचनाकारों की भावनाएं होंगी वह सदैव राष्ट्र हित में होगा सभी अपनी प्रतिभा को निखार रहे हैं विशेषकर रमाकांत श्रीवास एवं राम रतन श्रीवास का उन्होंने धन्यवाद देकर कहा कि उनके सहयोग से ही यह मंच संभव हो सका है । कार्यक्रम की समाप्ति पर संचालक इंजीनियर रमाकांत श्रीवास ने सभी कवियों एवं कवियित्रीयों का ह्रदय से आभार व्यक्त किया | कार्यक्रम बहुत ही खुशनुमा माहौल में संपन्न हुआ एवं इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सकारात्मक एवं क्रियाशील विचारों को समाज में स्थापित कर साहित्यिक गतिविधियों के साथ समाज के सभी प्रतिभागियों को मंच के माध्यम से आगे लाना एवं उनकी प्रतिभा को निखारना एवं तरासना है |
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