कोरबा,7 फ़रवरी 2025 (वेदांत समाचार)। जिले के कोरबा विकासखंड के गेरांव पंचायत के बिरहोर बस्ती में निवासरत जनजाति समुदाय के बिरहोर वनवासियों के पक्के मकान का सपना पूरा नहीं हो सका है। क्योंकि यहां पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत स्वीकृत हितग्राहियों के आवास को सरपंच व सचिव ने अधूरा छोड़ दिया है। अधूरे बने आवास को पूरा करने के लिए हितग्राही लगातार चक्कर लगाते रहे हैं लेकिन उन्हें सिवाय आश्वासन के कुछ भी नहीं मिला और कई वर्षों से आवास के अधूरा पड़े रहने से वे कच्चे मकान अथवा झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं। यहां के ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 2016-17 में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के आवास बनाने की स्वीकृति मिली थी तब तत्कालीन सरपंच एवं सचिव ने यह कहते हुए आवास के लिए आई राशि को उनके खाते से निकलवाकर ले लिया था कि वे पक्के मकान बनाकर शीघ्र दे देंगे। बिरहोर बस्ती के लोगों से पैसा लेने के बाद सरपंच एवं सचिव ने मकान बनाना तो शुरू किया लेकिन इसे आधा-अधूरा बनाकर इसे भगवान भरोसे छोड़ दिया है। अधूरे पड़े आवास को पूरा करने के लिए के बिरहोर बस्ती के लोग सरपंच एवं सचिव का लगातार चक्कर लगा रहे हैं लेकिन अब बना देंगे तब बना देंगे कहकर लगातार उन्हें घुमा रहे हैं जिससे आवास अभी भी अधूरा पड़ा हुआ है और धीरे-धीरे बनने से पूर्व ही जर्जर होता जा रहा है। प्रधानमंत्री आवास के अधूरा व जर्जर होने की जर्जर यहीं पूरी नहीं होती बल्कि गेरांव पंचायत के आश्रित ग्राम बताती के कमरानपारा में भी यही स्थिति है जहां सरपंच एवं सचिव ने पैसा लेने के बावजूद हितग्राहियों के आवास को अधूरा छोड़ दिया है। कई हितग्राही तो थक-हारकर स्वयं के खर्चे से अधूरे पड़े भवन को बनाए तथा कई ने इस पर टीना अथवा एस्बेस्टर शीट लगाकर पूरा किया है। जिससे उनका पक्के आवास का सपना अधूरा रह गया है।