लारा, रायगढ़, 07 फरवरी 2025 I एनटीपीसी लारा में एक उच्च-तीव्रता वाली संयुक्त मॉक ड्रिल का सफल आयोजन किया गया, जिसमें लो-डेंसिटी ऑयल (LDO) टैंक में आग लगने की स्थिति को दर्शाते हुए बचाव अभियान का अभ्यास किया गया। इस अभ्यास को राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF), सीआईएसएफ यूनिट-लारा और एनटीपीसी लारा के संयुक्त सहयोग से अंजाम दिया गया, जिससे आपातकालीन प्रतिक्रिया एजेंसियों के बीच समन्वय और तत्परता को और मजबूत किया गया।
यह मॉक ड्रिल एनटीपीसी लारा के कार्यकारी निदेशक एवं परियोजना प्रमुख (HOP) अनिल कुमार की निकट निगरानी में आयोजित की गई। इसमें एनडीआरएफ की तीसरी बटालियन, मुंडाली (कटक, ओडिशा), सीआईएसएफ-लारा यूनिट तथा एनटीपीसी लारा की विभिन्न इकाइयों – सुरक्षा, चिकित्सा, मानव संसाधन, संचालन एवं अनुरक्षण (O&M), आईटी एवं अनुबंध एवं सामग्री प्रबंधन (C&M) के दलों ने सक्रिय भागीदारी की। इस अभ्यास का उद्देश्य आपातकालीन स्थितियों में त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता को बढ़ाना, जोखिम को कम करना और औद्योगिक आपदाओं की स्थिति में निर्बाध समन्वय सुनिश्चित करना था।
मॉक ड्रिल का नेतृत्व एनडीआरएफ के उप-समादान अधिकारी (डिप्टी कमांडेंट) पवन जोशी ने किया, जिन्होंने बचाव और अग्निशमन प्रक्रियाओं को व्यवस्थित रूप से निर्देशित किया। इस अवसर पर एनटीपीसी लारा के महाप्रबंधक (परियोजना) श्री रविशंकर, सीआईएसएफ के उप-समादान अधिकारी महावीर सिंह, विभिन्न विभागों के प्रमुख, एनटीपीसी लारा के कर्मचारी, एनडीआरएफ और सीआईएसएफ के अधिकारी एवं जवान उपस्थित रहे।
संबंधित जिला प्रशासन, पुलिस एवं अन्य प्राधिकरणों को पूर्व सूचना देकर निर्धारित प्रक्रियाओं के तहत यह अभ्यास किया गया। इस दौरान आग पर काबू पाने की रणनीतियों, बचाव अभियानों और संभावित घायलों के लिए प्राथमिक उपचार जैसी गतिविधियों को प्रदर्शित किया गया। आधुनिक अग्निशमन उपकरणों और जीवनरक्षक तकनीकों का प्रदर्शन किया गया, जिससे आपातकालीन प्रक्रियाओं की प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया जा सके।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अनिल कुमार ने औद्योगिक इकाइयों में आपदा प्रबंधन की अनिवार्यता पर जोर दिया। उन्होंने सभी टीमों के समन्वित प्रयासों की सराहना की और सुरक्षा एवं आपातकालीन प्रतिक्रिया तैयारियों के प्रति एनटीपीसी लारा की प्रतिबद्धता दोहराई।
इस सफल मॉक ड्रिल ने एनटीपीसी लारा के आपदा प्रबंधन की सक्रिय और रणनीतिक दृष्टिकोण को सुदृढ़ किया, जिससे उसके कर्मियों और परिसंपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। कार्यक्रम का समापन विश्लेषण सत्र (डिब्रीफिंग सेशन) के साथ हुआ, जिसमें अभ्यास के दौरान मिली सीख और भविष्य में सुधार के लिए आवश्यक रणनीतियों पर चर्चा की गई।