बैलाडीला से आयरन लेकर वेस्ट वापस छत्तीसगढ़ भेज रहा आंध्र, इससे दंतेवाड़ा में बने कई दलदल

बैलाडीला ,23 जनवरी 2025 (वेदांत समाचार)। आर्सेलर मित्तल कंपनी ने लौह अयस्क के वेस्ट को खपाने के लिए कई स्थानों पर बड़े-बड़े तालाब खुदवा रखे हैं। इन तालाबों में लौह अयस्क से निकलने वाला वेस्ट नियमों को ताक पर रखकर पाटा जा रहा है। जिन स्थानों पर कंपनी ने तालाब बनवाये हैं उन स्थानों पर सुरक्षा के इंतजाम भी नहीं किए गए हैं। खुले इलाकों में ही लाल मिट्‌टी को ठिकाने लगाने के लिए तालाब बना दिया गया है। इस दलदल में फंसकर अब तक कई मवेशियों की मौत हो चुकी है।

भास्कर की टीम जब मदाड़ी पहुंची तो बड़े-बड़े तालाब नजर आए, जिनमें लाल मिट्‌टी पटी दिखी। जब लाल मिट्‌टी के संबंध में जानकारी जुटाई तो पता चला कि बैलाडीला से पाइप लाइन के माध्यम से कंपनी विशाखापटनम लौह अयस्क भेजती है। इस काम के लिए 350 किमी की डबल स्लरी पाइप लाइन बिछाई गई है।

इसमें प्रेशर के साथ एक तरफ से लौह अयस्क भेजा जाता है तो दूसरी पाइप से वेस्ट वापस आता है। प्रेशन बनाए रखने के लिए बीच-बीच में पंप हाउस बनाए गए हैं। इसके बाद शिप में समुद्र के रास्ते ये लोहा दूसरे देशों को भेजा जाता है। बस्तर का लौह अयस्क तो आंध्रप्रदेश में बिक जाता है पर लौह अयस्क से निकलने वाला वेस्ट कंपनियां वापस पाइप लाइन के जरिये बैलाडीला भेज देती हैं।

इसके बाद लाल मिट्‌टी जो दलदल का रूप ले चुकी होती है, उसे मित्तल कंपनी के द्वारा तालाबों में यहां फेंका जाता है।

प्रशासन काे पता नहीं-वेस्ट डंप करने एनओसी ली या नहीं

इसके बाद जब तालाबों में मिट्टी सूख जाती है तो फिर इन तालाबों से मिट्टी को बाहर निकाल कंपनी गांव-गांव में डंप कर छोड़ देती है या फिर जंगलों व अन्य स्थानों पर इसे फेंकती है।

विभाग को रॉयल्टी का सिर्फ हिसाब बता रही कंपनी जिस धरम कांटे से गाड़ियां कांटा होकर निकाली जाती हैं वहां माइनिंग विभाग का कर्मचारी मौजूद नहीं रहता है। रॉयल्टी काटने का काम भी मित्तल कंपनी के कर्मचारी के द्वारा किया जाता है। खनिज विभाग के इंस्पेक्टर अश्वनी झाड़ी ने बताया कभी कभार वाहनों की जांच की जाती है। कांटे में कोई नहीं बैठता है।

पानी के प्राकृतिक स्रोत पड़े खतरे में

मदाड़ी गांव में तीन दलदल वाले तालाब हैं, तो मित्तल कंपनी के नजदीक भी 2 दलदल के तालाब हैं। इन तालाबों को खाली किया जा रहा है, यही मिट्टी पूरे जिले भर में डंप की जा रही है ये तालाब जैसे ही खाली होंगे वैसे ही फिर से इसमें दलदल को भर दिया जायेगा। एसडीएम कमल किशोर ने कहा जहां-जहां मिट्टी डंप है, वहां की एनओसी है कि नहीं इसकी पूरी जांच की जाएगी, गलत मिलेगा तो कार्रवाई होगी।

नाले के रास्ते को भी किया जा रहा डायवर्ट

आर्सेलर मित्तल कंपनी से निकलने वाली लाल मिट्टी से अब मदाड़ी नाले का अस्तित्व भी खतरे में पड़ गया है। जिस स्थान पर मित्तल कंपनी के तालाब हैं, वहां तक जाने लाल मिट्टी की सड़क नाले के किनारे बनाई गई है। यहां नाले को भी कंपनी के द्वारा डायवर्ट किया जा रहा है, जिससे नाले का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है।