RAIPUR: पराक्रम दिवस पर सुधा ओपन स्कूल ने मनाई नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती

रायपुर,23 जनवरी 2025 (वेदांत समाचार)। आमासिवनी स्थित सुधा ओपन स्कूल ने 23 जनवरी को ‘पराक्रम दिवस’ के अवसर पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती को धूमधाम से मनाया। इस आयोजन में स्कूल के छात्र-छात्राओं के साथ समाज के लोग भी शामिल हुए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध समाजसेवी और 173 बार रक्तदान कर चुके नवनीत झा थे, जिन्होंने अपने जीवन में एक विशेष रिकॉर्ड बनाया है।

कार्यक्रम की शुरुआत और नेताजी को श्रद्धांजलि
कार्यक्रम का शुभारंभ सुधा संस्था के चेयरमैन जीके भटनागर ने मुख्य अतिथि का स्वागत माला और मग देकर किया। उन्होंने कहा, “नेताजी सुभाष चंद्र बोस देशभक्ति और पराक्रम के प्रतीक हैं। उनका जीवन हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत है। उन्होंने न केवल आजाद हिंद फौज की स्थापना की, बल्कि अंग्रेजी शासन के खिलाफ संघर्ष करते हुए बलिदान का प्रतीक बन गए।”

संस्था की अध्यक्ष, श्रीमती दीप्ति गोयल ने नेताजी के नारे “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा” और “दिल्ली चलो” को याद करते हुए कहा कि ये नारे आज भी युवाओं में देशभक्ति की भावना को जागृत करते हैं। मुख्य कार्यपालक अधिकारी आर.के. सूद ने बच्चों को नेताजी के जीवन के प्रेरणास्पद किस्से सुनाकर उनकी देशसेवा के लिए प्रेरित किया।

छात्रों की रचनात्मकता और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां
कार्यक्रम के दौरान स्कूल के बच्चों ने नेताजी के स्केच बनाकर प्रदर्शित किए। इनमें से तीन सर्वश्रेष्ठ चित्रों को मुख्य अतिथि नवनीत झा द्वारा पुरस्कृत किया गया। इसके अलावा, नेताजी के जीवन से संबंधित प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया, जिसमें दो विजेताओं को सम्मानित किया गया।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में बच्चों ने देशभक्ति गीत, नृत्य और कविताओं के माध्यम से नेताजी को श्रद्धांजलि दी। श्रीमती भारती गंगाराम और कुमारी ख़ुशी यादव ने कार्यक्रम की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

मुख्य अतिथि का संदेश और कार्यक्रम का समापन
मुख्य अतिथि नवनीत झा ने सुधा ओपन स्कूल के इस आयोजन की सराहना करते हुए कहा, “नेताजी की जयंती मनाने के ऐसे प्रयास समाज में जागरूकता और देशभक्ति की भावना को बढ़ाते हैं।”

कार्यक्रम का समापन सभी उपस्थित लोगों द्वारा गाए गए राष्ट्रगान के साथ हुआ। इस आयोजन ने छात्रों और उपस्थित लोगों को नेताजी के आदर्शों और बलिदान के प्रति प्रेरित किया।