19 जनवरी 2025: । अब तक लोगों के पास संपत्ति तो होती थी लेकिन उसका कोई सहज,सरल,आसानी से मिलने वाला कागज नहीं होता था।पीएम मोदी ने लाखों लोगों को संपत्ति कार्ड बांट कर गांवों के लोगों की बड़ी समस्या हल कर दी है। अब उनके पास उनकी संपत्ति का अपना कार्ड होगा। वह उससे आसानी से लोन ले सकेंगे और जमीन विवाद भी सभी के अपना संपत्ति कार्ड होने पर कम होंगे। कौन नहीं जानता है कि जमीन की नापजोख में गड़बड़ी के कारण किसी की जमीन किसी के नाम हो जाती है, उसे फिर से अपने नाम करवाना बड़ा मुश्किल काम होता है।
इससे गांवों में जमीन विवाद बहुत होते हैं। कभी कभी जमीन विवाद में हिंसा भी होती, लोगों की जान भी जाती है। जमीन के बारे में कोई कागजात चाहिए तो वह लोगों को आसानी से नहीं मिलता था,पटवारी से लेकर राजस्व विभाग में कई चक्कर लगाने पड़ते थे,हर जगह भ्रष्टाचार होेने के कारण पैसे देने पड़ते थे।कागजात में हेर फेर कर गरीबों व अनपढ़ लोगों की जमीन कई लोग अपने नाम करा लेते थे, उसको बेच देते थे।
पीएम मोदी ने गांवों की इस समस्या को समझा, इसके कारण गांवों के लोगों को होने वाली परेशानी को समझा और गांवों के लोगों के संपत्ति कार्ड देने की योजना बनाई।पीेेएम मोदी ने कोविड महामारी के दौरान संपत्ति कार्ड योजना की घोषणा की।इसके बाद कई राज्यों मेें प्रयोग के तौर पर इसकी शुरुआत की गई। प्रायोगिक सफलता के बाद इसे बड़े पैमाने पर लागू करने का फैसला किया गया। ग्रामीण आबादी को उनकी जमीन के मालिकाना हक का प्रमाणपत्र देने वाली स्वामित्व योजना के तहत पीएम मोदी ने १८ जनवरी को ६५ लाख संपत्ति कार्ड वितरित किए हैं। गरीबों के पास उनकी संपत्ति का प्रमाणपत्र होना जरूरी था।
इस दिशा में पहल करने की जरूरत संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी बताई थी।यह देश के गांवों में रहने वाले करोड़ों लोगों की जरूरत थी। अब पीएम मोदी ग्रामीणों की इस जरूरत को संपत्ति कार्ड बांटकर पूरा कर रहे हैं।संपत्ति कार्ड का वितरण १८ जनवरी में पचास हजार गांवों के लोगों को किया गया है।आंकड़ो के मुताबिक इस योजना के तहत तीन लाख गांवों में सर्वे किया जा चुका है।जो लक्ष्य का ९२ प्रतिशत है।साथ ही १.५३ लाख गांवों के लगभग २.२५ करोड़ संपत्ति कार्ड तैयार किए जा चुके हैं।इस योजना का उद्देश्य लोगों को संपत्ति कार्ड तो देना ही है। इसका उद्देश्य यह भी है कि ग्रामीण इस प्रमाणपत्र के सहारे आसानी से लोन ले सकें, अपनी जमीन आसानी से बेच सकें।
मोदी चाहते हैं कि स्वामित्व योजना से संपत्ति का हक तो स्पष्ट हो तथा लोग इसके आधार पर लोन लेकर अपना आर्थिक विकास भी कर सकें।यह संपत्ति कार्ड गांव के लोगों के लिए एक तरह से वित्तीय सुरक्षा की गारंटी है।पीेएम मोदी का मानना है कि देश के सभी गांवों में संपत्ति कार्ड बंट जाने पर यह योजना १००लाख करोड़ रुपए से अधिक की आर्थिक गतिविधियों के द्वार खोलेगी, इसे ग्रामीणों के साथ ही गांवों का विकास भी तेज होगा। पीएम मोदी के मुताबिक देश में २३ करोड़ भू-आधार नंबर जारी किए जा चुके हैं।जिससे भूखंड़ों की पहचान आसान हो गई है। पिछले सात आठ वर्षों में लगभग ९८ प्रतिशत भूमि रिकार्ड ़डिजिटल हो गए हैं।इससे ग्रामीणों के बहुत सुविधा हो रही है।
पीएम मोदी के साथ बात करते हुए संपत्ति कार्ड योजना के लाभार्थियों ने बताया कि उनके पास पहले संपत्ति का कोई दस्तावेज नहीं था अब उनके पास अपनी संपत्ति का प्रमाणपत्र संपत्ति कार्ड है।उम्मीद की जा रही है कि ग्रामीणों को उनकी संपत्ति का कार्ड मिल जाने के बाद अब गांवों में जमीन विवाद कम होंगे। ग्रामीण को जमीन के आधार पर आसानी से बैंकों से लोन मिलेगा और वह अपना आर्थिक विकास कर सकेंगे। इससे गांवों का विकास होगा और देश विकसित देश बन सकेगा।
संपत्ति कार्ड ग्रामीण क्षेत्रों में जमीन का आकलन करने और सरकारी योजनाओं को आगे बढाने में भी सहायक साबित हो रहे हैं। इससे ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में आसानी हो रही है।इस योजना मे कहीं कोई चूक न हो, कोई गड़बड़ी न हो इसके लिए अत्याधुनिक तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है।इसकी कई स्तरों पर जांच होती है, सत्यापन किया जाता है कि जमीन की पहचान सही हुई है ताकि जमीन का स्वामित्व स्पष्ट रूप से चिन्हित किया जा सके। जब जमीन का स्वामित्व स्पष्ट हो जाता है, तय हो जाता है कि यह जमीन किसकी है तो विवाद की गुंजाइश कम हो जाती है।जमीन का बाजार मूल्य भी बढ़ जाता है।अवैध कब्जे की समस्या भी समाप्त हो जाती है।