विशेष लेख- प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम: स्वरोजगार और आत्मनिर्भरता की ओर एक मजबूत कदम

(एल.डी. मानिकपुरी, सहायक जनसंपर्क अधिकारी)

प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका उद्देश्य देशभर में स्वरोजगार के अवसर पैदा करना और उद्यमशीलता को बढ़ावा देना है। यह योजना सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) के तहत चलायी जाती है और विशेष रूप से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी को कम करने और युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य करती है। इस कार्यक्रम के माध्यम से लाखों युवाओं को खुद का व्यवसाय स्थापित करने के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता और मार्गदर्शन मिल रहा है, जिससे वे अपने सपनों को साकार कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़ में योजना का प्रभाव


छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री विष्णु सरकार ने न केवल नई उद्योग नीति बनाकर नए उद्यमियों को अवसर प्रदान किया है, बल्कि प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम के माध्यम से प्रदेश के युवाओं को स्वरोजगार अपनाने के लिए प्रेरित भी किया है। वर्ष 2023-24 में छत्तीसगढ़ के 1472 युवाओं को स्वरोजगार हेतु 157 करोड़ रुपए का ऋण प्रदान किया गया तथा करीब 49 करोड़ रुपए की सब्सिडी दिया गया। इसी तरह वर्ष 2024-25 में 1311 युवाओं को 153 करोड़ रुपए का ऋण वितरण किया गया और 47 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी गई। यह योजना विशेष रूप से राज्य में रोजगार सृजन को बढ़ावा देने और युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो रही है।

योजना का उद्देश्य और लाभ


प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना है। यह योजना न केवल नए उद्यम स्थापित करने के लिए एक सशक्त मंच है, बल्कि पारंपरिक हस्तशिल्प, कारीगरी और ग्रामोद्योग को भी प्रोत्साहित करने का एक प्रभावी साधन बन चुकी है। इसके तहत ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा किए जाते हैं, जिससे बेरोजगारी की समस्या कम होती है और रोजगार के नए रास्ते खुलते हैं।

योजना की विशेषताएँ


विनिर्माण क्षेत्र के लिए अधिकतम परियोजना लागत 50 लाख रुपए और व्यवसाय/सेवा क्षेत्र के लिए 20 लाख रुपए है। सामान्य श्रेणी के लाभार्थियों को परियोजना लागत का 10 प्रतिशत अंशदान देना होता है, जबकि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिलाएं और दिव्यांग लाभार्थियों के लिए 5 प्रतिशत अंशदान है।शहरी क्षेत्र में सामान्य श्रेणी के लिए 15 प्रतिशत और विशेष श्रेणी के लिए 25 प्रतिशत जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में सामान्य श्रेणी के लिए 25 प्रतिशत और विशेष श्रेणी के लिए 35 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है। 10 लाख रुपये तक के ऋण के लिए किसी संपार्श्विक प्रतिभूति की आवश्यकता नहीं होती है। ऋण पर ब्याज दर संबंधित बैंक की शर्तों के अनुसार निर्धारित होती है।


यह योजना न केवल रोजगार के नए अवसर सृजित करती है, बल्कि लाभार्थियों को अपने उद्यम स्थापित करने के लिए आर्थिक सहायता भी प्रदान करती है। इसके द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार के अवसर बढ़े हैं, जिससे लोग अपने घरों से दूर नहीं जाना पड़ता। इसके अलावा, यह योजना समाज के कमजोर वर्गों, विशेष रूप से महिलाओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और दिव्यांगों के लिए एक वरदान साबित हो रही है।

छत्तीसगढ़ में उदाहरण


यह कार्यक्रम स्थानीय युवाओं के लिए न केवल एक सुनहरा अवसर है, बल्कि यह उन्हें आत्मनिर्भर बनाने और अपने सपनों को साकार करने के लिए एक मजबूत कदम है।


निश्चित ही प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम स्वरोजगार और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह योजना युवाओं को अपने व्यवसाय शुरू करने और आत्मनिर्भर बनने का अवसर देती है, साथ ही ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रोजगार के अवसर सृजित करती है। इससे न केवल व्यक्तिगत स्तर पर आत्मनिर्भरता बढ़ती है, बल्कि यह समाज और देश की प्रगति में भी योगदान करती है। इस योजना के माध्यम से युवाओं को प्रोत्साहित करके हम एक सशक्त और आत्मनिर्भर भारत की ओर अग्रसर हो सकते हैं।