कोरबा,30दिसंबर 2024 (वेदांत समाचार)। कटघोरा वनमंडल के अंतर्गत पसान परिक्षेत्र में पिछले वर्षों में मनमाने ढंग से कराए गए पौधारोपण और बोरवेल का मामला अब संबंधितों के लिए गले की हड्डी बन गया है। चौतरफा दबाव पडऩे के बाद आखिरकार इसमें जांच बैठाई गई। यह प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। कहा जा रहा है कि पूरी व्यवस्था को गड्डमड बनाने में जिनकी भूमिका खास रही वे नप सकते हैं।
कोरबा जिले में वन विभाग के द्वारा कराए जाने वाले अनेक कार्य पिछले वर्षों में सुर्खियों में रहे और इसकी आंच ने कुछ अधिकारियों और कर्मियों को बुरी तरह से झुलसाया। वर्ष 2024 की समाप्ति से पहले पसान वन परिक्षेत्र से जुड़े हुए ऐसे ही एक मामले की जांच पूरी कर ली गई। उसकी रिपोर्ट भी तैयार हो गई। इसके साथ अब अगली कार्यवाही प्रतीक्षित है। खबर के अनुसार पिछले वर्षों में पसान परिक्षेत्र में सरकारी योजना के अंतर्गत सीपतपारा पिपरिया में वृहद पौधारोपण कराया गया था। सागौर सहित कई प्रजाति के पौधे यहां लगाए गए।
प्रावधान के तहत हर हाल में इन्हें सार-संभाल करते हुए बचाना था ताकि इनका व्यवसायिक उपयोग सुनिश्चित हो सके। जिन्हें निगरानी और संरक्षण का जिम्मा दिया गया उन्होंने लापरवाही की। इस स्थिति में विभाग की मंशा पर पानी तो फिरा ही बल्कि 80 फीसदी पौधे खराब हो गए। यानि मौके पर कुल लगाए गए पौधों की 20 फीसदी मात्रा ही बचाई जा सकी। इसे अपने आप में गंभीर माना गया। इस पर न केवल सवाल खड़े हुए बल्कि जांच की मांग तेज हुई।
उक्तानुसार अधिकारियों को तत्परता दिखाना जरूरी हो गया। जानकारी मिली कि सीपतपारा पिपरिया में जो काम कराया गया उसमें पारदर्शिता के अलावा कई चीजों का अभाव रहा। पौधों को अनुकूल वातावरण नहीं मिल सका और वे बहुत जल्द समाप्त हो गए। इस प्रकरण में कुल मिलाकर वन विभाग और सरकार की धन राशि जाया हुई। इसके अलावा पौधारोपण कार्यक्रम से वह उद्देश्य साबित नहीं हो सका, जिसकी पूर्ति की जानी थी। बताया गया कि इसी परिक्षेत्र में मनमाने तरीके से 21 बोरवेल का खनन भी करवाया गया और भारी-भरकम राशि खर्च की गई। यह काम तब हुआ जबकि बोरवेल को संचालित करने के लिए बिजली की व्यवस्था ही नहीं थी। आनन-फानन में ट्रायल के तौर पर चार दिन के लिए जनरेटर की व्यवस्था की गई और उसके बाद सबकुछ गड्डमड हो गया। इससे पता चलता है कि वन विभाग के कामों का स्तर कैसा होता है।
राशि की होगी रिकवरी
पसान वन परिक्षेत्र से संबंधित मामलों को लेकर वन विभाग के द्वारा जांच कराई गई है। इसमें कई बिंदुओं को शामिल किया गया। जांच के दौरान कई तरह की कमियां स्पष्ट रूप से पाई गई। जांच रिपोर्ट प्राप्त हो गई है जिसे फिलहाल डिस्क्लोज नहीं किया जा सकता। लेकिन इतना तय है कि इस मामले में जवाबदेही भी तय होगी और राशि की रिकवरी संबंधितों से होगी।
चंद्रकांत टिकरिया, एसडीओ, वन पाली