नीतीश रेड्डी ने आलोचकों पर साधा निशाना, बोले – ‘टेस्ट क्षमता पर संदेह करने वालों को करना था गलत साबित’

मेलबर्न,29दिसंबर 2024 । भारतीय टीम के युवा ऑलराउंडर नीतीश रेड्डी ने आलोचकों पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि वह उन लोगों को गलत साबित करना चाहते थे, जिन्हें टेस्ट क्रिकेट में उनकी क्षमताओं पर संदेह था। नीतीश ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चौथे टेस्ट की पहली पारी में शतक जड़ा था और भारतीय टीम को मुश्किल से उबारा था। नीतीश ने 114 रन बनाए थे जिससे भारत फॉलोऑन का खतरा टालने में सफल रहा था।

भारतीय टीम के पूर्व मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद सहित कुछ पूर्व खिलाड़ियों ने नीतीश को टेस्ट टीम में लेने पर सवाल खड़े किए थे । इन विशेषज्ञों का मानना था कि नीतीश टेस्ट क्रिकेट के लिए उपयुक्त नहीं है। हालांकि, इस युवा बल्लेबाज ने छह पारियों में 293 रन बनाकर आलोचकों का मुंह बंद कर दिया है। मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड (एमसीजी) पर शतक लगाने के बाद नीतीश की हर ओर प्रशंसा की जा रही है।

नीतीश ने चौथे दिन का खेल खत्म होने के बाद कहा, कुछ लोगों को मुझ पर संदेह था जैसे आईपीएल खेलने वाला कोई युवा खिलाड़ी इतनी बड़ी सीरीज में प्रदर्शन नहीं कर सकता। मैं जानता हूं कि बहुत से लोग इस तरह की बातें करते थे। मैं बस उन्हें यह अहसास दिलाना चाहता हूं कि उन्होंने मेरे बारे में जो कुछ कहा है, वह गलत है और मैं यही कर रहा हूं। मैं लोगों को बताना चाहता हूं कि मैं भारतीय टीम के लिए अपना शत प्रतिशत देने के लिए यहां हूं।

नीतीश ने संघर्ष को किया याद
यह पूछे जाने पर कि वह पिछले एक महीने को कैसे देखते हैं जिसमें उनका जीवन बदल गया, उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि आप लोगों के लिए यह एक या दो महीने ही हैं। लेकिन मेरे लिए यह पिछले दो से तीन साल हैं। मैं अपनी बल्लेबाजी और गेंदबाजी पर कितनी मेहनत कर रहा हूं। पहले आईपीएल सत्र के बाद मुझे अहसास हुआ कि मुझे अपनी बल्लेबाजी में सुधार करना पड़ेगा और मैंने एक योजना बनाई। सत्र के इतर जब मुझे समय मिला तो मैंने अपनी बल्लेबाजी पर बहुत काम किया और अब इससे नतीजे मिल रहे हैं। यह एक महीने या दो महीने की बात नहीं है। मैंने पिछले दो-तीन वर्षों से यहां तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत की है।

पिता के बलिदान को सराहा
पिता मुतयालु की भूमिका के बारे में नीतीश ने कहा, ईमानदारी से कहूं तो मेरे पिता ने केंद्र सरकार में 25 साल तक सेवा की थी और जब मैं कुछ नहीं था और मैं राज्य स्तर पर नहीं खेला था तो सबसे पहले जिस व्यक्ति ने मुझ पर विश्वास किया, वह मेरे पिता थे। उन्होंने मुझ पर विश्वास किया और मेरे लिए अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया। वह मुझे मैदान, जिम ले जाते थे। वह हमेशा मेरे साथ रहना चाहते थे। उन्होंने बहुत सारे बलिदान दिए। अगर मुझे उनके बारे में बताना पड़े तो समय कम पड़ जाएगा लेकिन मैं उनके जैसे पिता को पाकर बहुत आभारी हूं। मैंने अपनी टीम की मुश्किल परिस्थिति में मदद की ताकि हम मजबूती से वापसी कर सकें। इसलिए यह मेरे और मेरे पिता के लिए भी एक खास शतक था।