15वें वित्त की राशि का बंदरबाट! जिला पंचायत CEO के जांच आदेश के बाद भी कोरबा,पाली के जनपदों करारोपण अधिकारियों ने 38 पंचायतों की जांच लटकाई, करतला, पाली के 74 ग्राम पंचायतों ने भी जानकारी दबाई ,आखिर किसका मिल रहा संरक्षण…

कोरबा, 26 दिसम्बर (वेदांत समाचार)। आकांक्षी जिला कोरबा में केंद्रीय कानून सूचना का अधिकार लचर प्रशासनिक व्यवस्था की वजह से आम जनता का हथियार नहीं बन पा रहा। जहाँ ग्राम पंचायतों के जन सूचना अधिकारियों को अपीलीय अधिकारी के आदेशों की परवाह नहीं ,वहीं शिकायती प्रकरणों में जिला पंचायत सीईओ के आदेश की अवमानना कर जांच आदेश महीनों तक लटकाए जा रहे। वित्तीय वर्ष 2022 -23 में पन्द्रहवें वित्त से प्राप्त आबंटन से कराए गए कार्यों की 8 बिंदुओं पर लोकहित में जांच की मांग पर जिला पंचायत सीईओ के आदेश के बाद भी जनपद पंचायत कोरबा 28 जनपद पंचायत पाली 10 ग्राम पंचायतों की जांच आज पर्यंत पूरी नहीं कर सका। जनपद पाली ने जहां करारोपण अधिकारियों को जांच का जिम्मा सौंप अपने कर्तव्यों से इतिश्री कर ली तो वहीं जनपद पंचायत कोरबा ने जांच आदेश तक नहीं निकाली। चंद दिनों बाद निकाय,त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद जांच प्रक्रिया ठंडे बस्ते में डालने के आसार बढ़ गए हैं। जनपदों ,करारोपण अधिकारियों की इस निष्क्रियता से उनके कार्यशैली पर गम्भीर सवाल उठ रहे।

यहाँ बताना होगा कि कार्यालय मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत कोरबा के यहाँ 6 नवंबर को
जनपद पंचायत कोरबा के 28 ग्राम पंचायतों एवं जनपद पंचायत पाली के 10 ग्राम पंचायतों में वित्तीय वर्ष 2022 -23 में 15 वें वित्त के अंतर्गत प्राप्त आबंटन में कराए गए कार्यों की व्यापक लोकहित में 8 बिंदुओं पर जांच का अनुरोध किया गया था। जिसके तहत कराए गए कार्यों के ग्राम सभा की कार्यवाही पंजी ,उपस्थिति पंजी,व्यय प्रमाणक,देयक व्हाउचर ,गुणवत्ता का परीक्षण कर भौतिक सत्यापन कराए जाने की मांग की गई थी। जिसके परिप्रेक्ष्य में कार्यालय जिला पंचायत कोरबा द्वारा पत्र क्रमांक 5323 दिनांक 18 .11.2024 के माध्यम से जनपद पंचायत कोरबा एवं पत्र क्रमांक 5325 दिनांक 18 .11.2024 को कार्यालय जनपद पंचायत पाली को प्रकरण में जांच का आदेश दिया गया था। जिसके परिपालन में सीईओ जनपद पंचायत पाली ने पत्र क्रमांक 4425 ,4431,4431,4427 दिनांक 29 /11/2024 को सहा.आ.ले.परीक्षक एवं करारोपण अधिकारियों त्रिलोक सिंह प्रधान ,महेश सिंह कंवर ,मोहन सिंह मरावी एवं गणेश सिंह पैकरा को 2 दिवस के भीतर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। लेकिन करारोपण अधिकारियों ने उक्त दायित्व का आज पर्यंत निर्वहन नहीं किया। यही नहीं कार्यालय जिला पंचायत कोरबा के पत्र क्रमांक 5599 दिनांक 17 /12 /2024 को प्रकरणों की जांच कर अभिमत भेजे जाने के निर्देश दिए थे। जिसके परिपालन में सीईओ जनपद पंचायत पाली ने पत्र क्रमांक 5355 दिनांक 19 /12/2024 पुनः पत्र जारी कर करारोपण अधिकारियों को 3 दिवस के भीतर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के आदेश दिए थे,ताकि जिला कार्यालय को प्रेषित किया जा सके। लेकिन इसके बाद भी करारोपण अधिकारियों ने आदेश की अवमानना कर आज पर्यंत जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत नहीं किया। कोरबा जनपद पंचायत में तो पूर्व सीईओ ने जांच आदेश तक नहीं निकाली। हालाँकि नवपदस्थ सीईओ ने जांच टीम गठित किए जाने की बात कही है लेकिन जांच आदेश का पता ही नहीं है। कुल मिलाकर जनपद सीईओ एवं करारोपण अधिकारियों की निष्क्रियता की वजह से आज पर्यंत एक भी प्रकरण में जांच सुनिश्चित नहीं कर जिला पंचायत सीईओ के जांच आदेश को मजाक बनाया गया। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो संबंधित प्रकरण में व्यापक पैमाने पर अनियमितता बरती गई है ,यही वजह है कि दस्तावेज की जांच कर कार्यों का मूल्यांकन भौतिक सत्यापन नहीं किया जा रहा। जिसमें सम्बंधितों का निहित स्वार्थ से इंकार नहीं किया जा सकता।

इन पंचायतों की होनी थी जांच 👇

जनपद पंचायत कोरबा के 28 ग्राम पंचायतों की जांच की जानी थी। जिनमें लबेद,चिर्रा,सिमकेंदा ,मूढूनारा,कटबितला,उरगा,कटकोना,माखुरपानी,खोड्डल,बेला, कोरकोमा, कुरुडीह ,गुरमा,भैसमा,अमलडीहा ,दोन्दरो,चुईया,जामबहार,गोढ़ी,मदनपुर,जिल्गा, पसरखेत, बगबुड़ा, बुंदेली , बासीन, बरपाली,केरवां एवं केराकछार शामिल है। जनपद पंचायत पाली के 10 ग्राम पंचायतों की जांच की जानी थी। इनमें बनबाँधा, कर्रनवापारा,सैला,केराकछार,उड़ता,
हरदीबाजार ,केराझरिया,जेमरा,हरनमुड़ी एवं डोंडकी शामिल है।

करतला में अपीलीय अधिकारी के आदेशों की इन पंचायतों ने की अवहेलना ,व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार के आसार !👇

ग्राम पंचायतों की 15 वें वित्त की राशि को लेकर मनमानी ,अनियमितता ,उच्च अधिकारी के आदेशों की अनदेखी का सिलसिला जनपद पंचायत करतला में भी देखा जा सकता है। यहाँ 32 ग्राम पंचायतों ने पंद्रहवें वित्त के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2023 -24 में कराए गए कार्यों के पंचायत (ग्रामसभा)प्रस्ताव से लेकर देयक व्हाउचर की जानकारी छुपाई है। सूचना के अधिकार के तहत प्रथम अपीलीय अधिकारी के आदेश के बावजूद जानकारी प्रदान न कर मानो यह स्पष्ट कर दिया है कि उक्त कार्यों में व्यापक पैमाने पर अनियमितता बरती गई है जिसका काला चिट्ठा दस्तावेजों में उपलब्ध है ,अब भला अपनी बर्बादी का सामान कौन साझा करना चाहेगा कुछ इसी नीयत के साथ चुनावी वर्ष में जन सूचना अधिकारी सह पंचायत सचिवों ने जानकारी देने हाथ खड़े कर दिए हैं। जिन ग्राम पंचायतों के जन सूचना अधिकारियों ने यह कारनामा किया है उनमें केरवाद्वारी , कराईनारा, जामपानी ,महोरा,तुमान , लीमडीह,जर्वे,पुरैना, बरपाली,ढनढ़नी, भैंसामुड़ा,कनकी,जोगीपाली ,रामपुर , नोनदरहा,नोनबिर्रा,पचपेड़ी,उमरेली,
सुखरीकला,सुखरीखुर्द,कर्रापाली, फरसवानी ,खरवानी ,गुमिया,मदवानी,बरकोन्हा, चाम्पा ,सुवरलोट ,संडेंल,जमनीपाली , बुढियापाली ,लबेद शामिल है। ग्राम पंचायत तुमान ने शुल्क जानकारी नहीं दी ,तो वहीं 12 अन्य पंचायतों ने भी अपीलीय अधिकारी के समक्ष भ्रामक जानकारी देकर गुमराह किया। चूंकि त्रिस्तरीय पंचायतीराज व्यवस्था के तहत जल्द चुनाव कार्यक्रम घोषित होने वाला है ऐसे में इन उद्दंड अनुशासनहीन ग्राम पंचायतों के विरुद्ध प्रदेश स्तर पर उच्च स्तरीय जांच कराए जाने की शिकायत कोई हैरानी भरा कदम नहीं होगा।

पाली में अपीलीय अधिकारी के आदेशों की इन पंचायतों ने की अवहेलना ,व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार के आसार !👇

ग्राम पंचायतों की 15 वें वित्त की राशि को लेकर मनमानी ,अनियमितता ,उच्च अधिकारी के आदेशों की अनदेखी का सिलसिला जनपद पंचायत पाली में भी देखा जा सकता है। यहाँ 42 ग्राम पंचायतों ने पंद्रहवें वित्त के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2023 -24 में कराए गए कार्यों के पंचायत (ग्रामसभा)प्रस्ताव से लेकर देयक व्हाउचर की जानकारी छुपाई है। सूचना के अधिकार के तहत प्रथम अपीलीय अधिकारी के आदेश के बावजूद जानकारी प्रदान न कर मानो यह स्पष्ट कर दिया है कि उक्त कार्यों में व्यापक पैमाने पर अनियमितता बरती गई है जिसका काला चिट्ठा दस्तावेजों में उपलब्ध है ,अब भला अपनी बर्बादी का सामान कौन साझा करना चाहेगा कुछ इसी नीयत के साथ चुनावी वर्ष में जन सूचना अधिकारी सह पंचायत सचिवों ने जानकारी देने हाथ खड़े कर दिए हैं। जिन ग्राम पंचायतों के जन सूचना अधिकारियों ने यह कारनामा किया है उनमें तिवरता,कुटेलामुडा ,पोटापानी,दमिया,डोंगा नाला,केराकछार,लाफा,ढूकूपथरा, मुनगाडीह, अलगीडांड, मादन, निरधी, पोंडी, भलपहरी, रामाकछार, बारीउमराव,धतूरा, मुड़ापार ,चेपा,बोईदा,मुरली ,सैला,शिवपुर,कपोट ,जेमरा,डोंडकी ,रतखण्डी,चोढा, कसियाडीह ,कर्रानवापारा,केराझरिया, नुनेरा, बनबाँधा, चैतमा, लाफा, सरईसिंगार, उतरदा ,पहाडग़ांव ,पुलालीकला,बतरा , अमगांव एवं सपलवा शामिल हैं। चूंकि जल्द त्रिस्तरीय पंचायत राज व्यवस्था के तहत का चुनाव कार्यक्रम घोषित होने वाला है ऐसे में इन उद्दंड अनुशासनहीन ग्राम पंचायतों के विरुद्ध प्रदेश स्तर पर उच्च स्तरीय जांच कराए जाने की शिकायत कोई हैरानी भरा कदम नहीं होगा।

तो क्या जिला कार्यालय का है संरक्षण !👇

जिस तरह 15 वें वित्त के कार्यों की जांच के आदेश के बाद भी जांच लटकाई जा रही,सूचना का अधिकार अधिनियम को मजाक बनाया जा रहा ,बावजूद जिम्मेदारों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं होना ,कहीं न कहीं जिला कार्यालय की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े करते हैं। विश्वत सूत्रों की मानें तो कागजों में भले आदेश जारी कर जिला स्तर के अधिकारी प्रक्रिया को पक्षपातरहित पारदर्शितापूर्ण बताने का प्रयास करते हैं वहीं शिकायती प्रकरणों में कार्रवाई न कर मनमाना करने की मौन स्वीकृति भी प्रदान करते हैं। एक तरफ जिले के मुखिया प्रशासन की छवि मजूबत करने की बात अधिकारी कर्मचारियों से कहते हैं दूसरी ओर जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार की शिकायतों में कार्रवाई नहीं करना कहीं न कहीं शासन ,प्रशासन के प्रति अविश्वास की भावना पैदा करती है। जिसको आने वाले समय में आवश्यक कार्रवाई हेतु प्रदेश के मुखिया के संज्ञान में लाया जावेगा।