नई दिल्ली, 16 जून। कोरोना संक्रमण काल में देश की आर्थिक स्थिति बुरी तरह से चरमराई हुई है। बेरोजगारी दर चरम पर पहुंच गई है। ऐसे समय में पेट्रोल और डीजल की लगातार बढ़ रही कीमतों ने महंगाई को भी पलीता दिखा दिया है। पेट्रोल और डीजल के आसमान छूते भाव के कारण थोक महंगाई दर पर भी काफी असर पड़ा है। डीजल महंगा होने से माल ढुलाई महंगी हो गई है, जिसके कारण हर चीज के दाम में इजाफा हो गया है।
जानकारों के मुताबिक देश में थोक महंगाई दर पिछले आठ साल के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई है। लगातार दो महीने से थोक महंगाई दर 10 फीसदी से ऊपर के स्तर में बनी हुई है। मई के महीने में थोक मूल्य सूचकांक (डब्लूपीआई) पर आधारित महंगाई दर मार्च के रिकॉर्ड 12.49 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई। जबकि अप्रैल में ये 10.49 फीसदी और मार्च में 7.3 फीसदी थी। इसी तरह खुदरा महंगाई दर भी छह महीने के सर्वोच्च स्तर 6.3 फीसदी पर पहुंच गई। जबकि अप्रैल के महीन में ये 4.23 फीसदी के स्तर पर थी।
महंगाई दर के आंकड़ों को जारी करते वक्त वाणिज्य मंत्रालय की ओर से जारी स्पष्टीकरण में साफ किया गया कि महंगाई दर में हुई जबरदस्त बढ़ोतरी की एक बड़ी वजह है पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत में हुई बढ़ोतरी है। सरकार की ओर से कहा गया कि लो बेस इफेक्ट और कच्चे तेल की तेजी के साथ ही पेट्रोल-डीजल तथा अन्य खनिज तेल और मैन्फैक्चर्ड आइटम्स के दाम में आई तेजी के कारण महंगाई दर तेजी से बढ़ी है। इस दौरान भारत के तेल कुओं से निकाले जा रहे कच्चे तेल (क्रूड ऑयल) की कीमत में 102.51 फीसदी, पेट्रोल की कीमत में 62.28 फीसदी और डीजल के भाव में 66.3 फीसदी की जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है।
जानकारों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल (कच्चा तेल) की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी के कारण भारत में भी पेट्रोल और डीजल की कीमतों आग लगी हुई है। इस साल फरवरी के महीने में अंतरराष्ट्रीय बाजार में 61 डॉलर प्रति बैरल की कीमत पर बिक रहा कच्चा तेल (क्रूड ऑयल) अब 74.47 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में आई जोरदार उछाल के कारण भारत में सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को भी मजबूरन पेट्रोल और डीजल की कीमत में लगातार बढ़ोतरी करनी पड़ रही है। कच्चे तेल के महंगा होने की वजह से इस साल पेट्रोल और डीजल की कीमत 51 बार बढ़ाई जा चुकी है। जिसके कारण राजधानी दिल्ली में ही पेट्रोल की कीमत में इस साल 6 महीने से भी कम की अवधि यानी 167 दिनों में ही पेट्रोल की कीमत में 12.69 रुपये प्रति लीटर की और डीजल की कीमत में 13.29 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो चुकी है।
ऑल इंडिया ट्रेडर्स एसोसिएशन की ओर से जारी बयान के मुताबिक पेट्रोल और डीजल की कीमत में लगातार हो रही बढ़ोतरी की वजह से उनपर माल ढुलाई का बोझ काफी बढ़ गया है। डीजल की कीमत आई उछाल के कारण इस साल अभी माल ढुलाई की दर में 15 से 22 फीसदी तक का उछाल आ चुका है। जिसकी वजह से बाहर से मंगाई जाने वाली चीजों की खुदरा कीमत भी बढ़ गई है। बयान में ये भी स्पष्ट किया गया है कि अगर पेट्रोल और डीजल की कीमत में उछाल का सिलसिला जारी रहा, तो इसकी वजह से महंगाई भी ऊंची छलांग लगा सकती है।
दूसरी ओर कमोडिटी एक्सपर्ट्स का मानना है कि महंगाई दर में बढ़ोतरी के बावजूद पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी आने की तत्काल कोई उम्मीद नहीं है। धानी सिक्योरिटीज के रिसर्च हेड पवन अग्रवाल का इस संबंध में कहना है कि पिछले डेढ़ से दो महीने के दौरान दुनिया भर में कोरोना संक्रमण पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है। जिसके कारण कई देशों में आर्थिक गतिविधियां जोर पकड़ने लगी हैं। विकसित देशों समेत कई देशों ने अपनी अर्थव्यवस्था पूरी तरह से खोल दी है। इस वजह से दुनिया भर में पेट्रोलियम उत्पादों की खपत लगातार बढ़ती जा रही है। इसके बावजूद तेल निर्यातक देशों का संगठन ओपेक और उसके सहयोगी देश कच्चे तेल के उत्पादन में फिलहाल बढ़ोतरी करने के लिए तैयार नहीं हैं। इसके साथ ही ईरान पर लगी अमेरिकी पाबंदियां अभी भी जारी हैं, जिसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग की तुलना में कच्चे तेल की सप्लाई कम हो रही है। इस वजह से कच्चे तेल की कीमत में लगातार तेजी बनी हुई है।
पवन अग्रवाल के मुताबिक ओपेक और उसके सहयोगी देशों के उत्पादन नहीं बढ़ाने के हठ के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत बढ़ती जा रही है। जिसका असर भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर भी पड़ रहा है। ऐसे में अगर आने वाले दिनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में कमी नहीं होती है, तो भारत में भी पेट्रोल और डीजल की कीमत में राहत मिलने की संभावना काफी कम है। जिसका असर आखिरकार आम उपभोक्ताओं की जेब पर ही प्रत्यक्ष और परोक्ष दोनों रूप में पड़ेगा। लोगों को जहां अपनी गाड़ियों के लिए महंगा पेट्रोल और डीजल खरीदना पड़ेगा, वहीं डीजल की कीमत बढ़ने की वजह से महंगाई दर में हुई बढ़ोतरी के कारण परोक्ष रूप से भी अपनी जेब को ही ढीला करना पड़ेगा।
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