राजनंदगांव,21 दिसम्बर 2024। जिले में बीते दिनों वन विभाग राजनांदगांव डिविजन में ‘बार्बेट वायर’ का टेंडर निकाला गया था। जिसमें टेंडर भरने के लिए अंतिम तिथि 16 दिसंबर की थी। कई फर्मों द्वारा टेंडर भरा गया। लेकिन पूरी प्रक्रिया में कहीं पारदर्शिता नज़र नहीं आती। टेंडर भरने की प्रक्रिया में मांगे गए दस्तावेज और नियमों के साथ खुले तौर पर लापरवाही हुई।
खास बात यह है कि ऐसे फर्म जिनका उत्पाद दर ‘एल टू’ में आया उनके द्वारा जमा किए गए आईटीआर एवं अन्य दस्तावेज गलत लगाने के बावजूद भी टेंडर की प्रकिया पूर्ण कर ली गई।
संबंधित प्रकरण में अधिकारी से सांठगांठ का पूरा मसला नज़र आ रहा है। सांठगांठ की ही वजह है कि बाद में रिप्रेजेंटेशन दे कर अधिकारी द्वारा उन दस्तावेजों में सुधार भी करवा दिया गया।
इन सभी बातों में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि संबंधित फर्म के निर्माता के पास सिर्फ ‘टाईप ए’ लाईसेंस है लेकिन टेंडर में ‘टाईप बी’ उत्पाद के लाईसेंस की मांग की गई थी। यह देखते हुए साफ समझ आता है कि टेंडर की पूरी प्रक्रिया सिर्फ दिखावा मात्र है। टेंडर तो अपने पाले के खिलाड़ी को मिलना पहले से तय था।
पहले गलत तरीके से टेंडर में दस्तावेज लगाए गए, फिर अधिकारी द्वारा उसे सुधार करवाया गया और कानून अपने हाथ में ले कर खुले आम भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया।
इस प्रकरण से साफ समझ आता है कि अधिकार और ‘एल टू’ फर्म के बीच जरूर कोई सांठ-गांठ है। यही कारण है कि जैम के नियमों को ताक में रखकर ‘एल टू’ फर्म की निविदा स्वीकार कर ली गई।
सुशासन के युग में जब सरकार भ्रष्टाचार मुक्ति की बात करती है और सरकार में बैठे अधिकारी ही इन प्रकरणों में शामिल होते हैं तो सारी बातें किताबी नज़र आती है। अब देखना यह होगा कि इस प्रकरण में आगे कोई कार्यवाही होती है या फिर अधिकारी और संबंधित फर्म के बीच मधुर संबंध से बंदरबांट आगे भी ऐसे ही मज़े से चलता रहेगा।
पूरे मामले की जानकारी लेने लिए राजनांदगांव के वन मंडल अधिकारी आयुष जैन संपर्क किया गया लेकिन संपर्क नहीं हो पाया।