भिलाई / एक जनवरी 2017 से लंबित वेतन समझौते को लेकर सेल कर्मी अब आक्रामक हो गए हैं। हड़ताल पर जाने की तैयारी शुरू हो गई है। 30 जून को हड़ताल होनी है। इसे लेकर संयुक्त प्रचार अभियान मंगलवार को शुरू हो गया। मिल जोन में संयुक्त ट्रेड यूनियन मोर्चा ने कर्मचारियों से चर्चा की।
टीम में इंटक से बाल सिंह, कौशलेंद्र सिंह, एस रवि, यशवंत, प्रदीप पाठक , सीटू से केके देशमुख, केवेंद्र सुंदर, जेबी धोटे, आरके देवांगन, डीवीएस रेड्डी के साथ-साथ विभागीय समिति के साथी शामिल थे। प्रचार के दौरान संयुक्त टीम ने विभिन्न पुल पिट, रेस्ट रूम, कैंटीन एवं अन्य कार्य स्थलों पर कर्मियों से मिलकर वेतन समझौता को लेकर 30 जून को होने जा रहे हड़ताल में भाग लेने की अपील की।
वेतन समझौता के लिए बजट बढ़ाने हेतु हड़ताल जरूरी
मिल जोन की संयुक्त टीम ने कहा कि वर्तमान में प्रबंधन ने लगभग 700 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष कर्मियों के वेतन समझौता पर खर्च करने का प्रस्ताव नेशनल ज्वाइंट कमेटी फार स्टील-एनजेसीएस की बैठक में रखा है। जबकि यूनियनों का मानना है कि वेतन समझौते के बाद टेक होम सैलेरी में उत्तरोत्तर वृद्धि के लिए 1000 से 1100 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष बजट की आवश्यकता पड़ेगी, जबकि सेल बोर्ड ने अधिकारियों एवं कर्मचारियों के वेतन समझौता के लिए 1000 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष खर्च करने का निर्णय लेकर कर्मियों को 650 करोड़ एवं अधिकारियों को 350 करोड़ देने का प्रस्ताव पेश किया है। इसीलिए संयुक्त यूनियनों के द्वारा एनजेसीएस में बार-बार कहने के बावजूद प्रबंधन एमजीबी पर्क्स एवं पेंशन में दिए गए अंशदान को बढ़ाने के संदर्भ में प्रस्ताव रखने के लिए तैयार नहीं है। इसीलिए बेहतर वेतन समझौता के लिए बोर्ड द्वारा दिए गए बजट को बढ़ाने के लिए दबाव बनाने के लिए 30 जून की हड़ताल जरूरी है।
प्रबंधन के प्रस्ताव से ठगा महसूस कर रहे हैं कर्मी
कर्मियों का कहना है कि उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी भिलाई सहित सेल को ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। कोरोना संक्रमण के बीच भी संयंत्र के उत्पादन को कम नहीं होने दिया है। अर्जित किए गए लाभ को नीचे नहीं आने दिया। ऐसे में कर्मियों का मनोबल बढ़ाने के लिए वेतन समझौता हेतु प्रबंधन के द्वारा बेहतर प्रस्ताव पेश किया जाना चाहिए था। किंतु प्रबंधन ने ऐसा न कर कर्मियों के मनोबल को ही तोड़ा है। इसीलिए इस बार कर्मी हड़ताल में खुलकर भागीदारी करेंगे एवं अपनी आवाज को बुलंद करते हुए मजबूत एकता का प्रदर्शन करेंगे, जिसके सामने प्रबंधन को हर हाल में झुकना होगा।
1% एमजीबी बढ़ने पर जरूरत होगा 61 करोड रुपए प्रति वर्ष
सीटू डीवीएस रेडडी और इंटक के बाल सिंह ने कहा कि 1% एमजीबी बढ़ने पर प्रतिवर्ष लगभग 61 करोड रुपए का बजट बढ़ेगा। प्रबंधन ने पहले 650 करोड़ बाद में 50 करोड़ बढ़ाकर मात्र 700 करोड रुपया प्रतिवर्ष बजट देने की बात कही है। इसीलिए प्रबंधन बार-बार 11% एमजीबी का प्रस्ताव दे रहा है। यदि हमें 15% एमजीबी लेना है तो 244 करोड रुपए लगभग बजट में बढ़ोतरी करवाना होगा, जिसे प्रबंधन मंजूर करने के लिए तैयार नहीं है। इसीलिए 30 जून को सभी ट्रेड यूनियनों ने मिलकर संयुक्त रुप से हड़ताल करने का आह्वान किया है
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