शून्य दुर्घटना को लेकर श्रमिक संघ व कोल प्रबंधन करेगा मंथन

कोरबा । कोयला खदानों में उत्पादन बढ़ाने के साथ ही शून्य दुर्घटना को लेकर श्रमिक संघ, प्रबंधन व कोयला मंत्रालय मंथन करने जुट गया है। खदानों में कर्मियों की सुरक्षा को लेकर स्टैंडिंग कमेटी चिंतित हो उठी है और आगामी छह जुलाई को कमेटी की बैठक आयोजित की जाएगी।

वर्तमान में कोयला खदानों में उपलब्ध कराई जा रही सुरक्षा व्यवस्था की पहले समीक्षा की जाएगी। बताया जा रहा है कि बैठक में केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी भी शामिल होंगे, हालांकि बैठक की जगह तय नहीं हुई है, पर संभावना जताई जा रही है कि दिल्ली में बैठक होगी। कोल इंडिया प्रबंधन ने सभी केंद्रीय श्रमिक संघ प्रतिनिधियों व सीएमओएआई को इसकी जानकारी देते हुए अपने स्तर पर तैयारी करने कहा है। वहीं डायरेक्टर जनरल माइंस आफ सेफ्टी से सुरक्षा को लेकर एक्शन रिपोर्ट व एजेंडा भी तैयार कर कोयला मंत्रालय भेजने कहा गया है। कोल इंडिया के श्रमशक्ति व औद्योगिक संबंध महाप्रबंधक अजय कुमार चौधरी ने स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य बीएमएस से के लक्ष्‌मारेड्डी, संजय सिंह, एचएमएस से नाथूलाल पांडेय, एटक के रमेंद्र कुमार, सीटू के मानस कुमार मुखर्जी व कोल माइंस एसोसियेशन के पीके सिंह व एमएसए के आरके शर्मा को बैठक में शामिल होने कहा गया है।

यहां यह बताना लाजिमी होगा कि कोयला खदानों में आउटसोर्सिंग से ज्यादा काम कराए जा रहे हैं। आउटसोर्सिंग में लगी निजी कंपनियों में लगे मजदूर पूरी तरह अनुभवी व प्रशिक्षित नही हैं, इसलिए खदान में दुर्घटनाएं हो रहा है। अभी तक विभागीय कर्मचारी से गलती थी, पर इनकी संख्या घटने से निजी कंपनी के कर्मचारी दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं। यही वजह है कि कोयला प्रबंधन इससे चिंतित हो उठा है। एसईसीएल सेफ्टी बोर्ड के सदस्य वीएम मनोहर का कहना है कि हाल ही में हुई ओपनकास्ट खदानों में हुई घटनाओं में आउटसोर्सिंग से लगी कंपनियों के कर्मचारी घायल हुए है। इसकी मुख्य वजह यह है कि ठेका पद्धति से लगे कर्मचारी पूरी तरह अनुभवी नही है और खदान क्षेत्र में काम करना नहीं जानते हैं। नियमतः इन्हें पहले प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए, उसके बाद ही खदान में काम करने की जिम्मेदारी सौंपना चाहिए, पर ठेका कंपनी अपने प्राफिट के लिए मजदूर लाकर सीधे काम पर लगा देती हैं। प्रबंधन भी उत्पादन बढ़ाने में जुटा रहता है, इसलिए मजदूरों की ओर ध्यान नहीं देता है।