सुध लीजिए सीएम साहब : कार्यालय समग्र शिक्षा कोरबा में तत्कालीन कलेक्टर संजीव झा के कार्यकाल के DMF, CSR के 100 करोड़ रुपए के कार्यों की नस्ती हो गई गायब, जिम्मेदारों पर आज पर्यंत दर्ज नहीं हुई FIR, आखिर किसका दबाव !

कोरबा, 18 दिसंबर (वेदांत समाचार)। तत्कालीन कलेक्टर संजीव झा वर्तमान संचालक समग्र शिक्षा के कार्यकाल में वित्तीय वर्ष 2022 -23 एवं 2023 -24 में डीएमएफ एवं सीएसआर स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी /हिंदी माध्यम के विद्यालयों एवं शासकीय स्कूलों के लिए तकरीबन 100 करोड़ से अधिक के सामाग्री खरीदी एवं निर्माण कार्यों से जुड़ी फाइल /नस्ती गायब होने के मामले में वर्तमान डीएमसी द्वारा एफआईआर दर्ज नहीं कराए जाने के मामले में विश्वस्त सूत्रों के हवाले से उच्च अधिकारियों का दबाव बताया जा रहा है।जिसकी वजह से केंद्रीय कानून सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत कानून अपीलीय अधिकारी डीईओ के आदेश के बाद भी डीएमसी जानकारी प्रदान नहीं कर अधिनियम का माख़ौल उड़ा रहे हैं। वहीं शासन प्रशासन कार्रवाई की बजाय जिम्मेदारों को संरक्षण प्रदान कर भ्रष्टाचार करने की मौन स्वीकृति प्रदान कर रही है।

कार्यालय समग्र शिक्षा द्वारा जनसामान्य /आवेदकों को उक्त अधिनियम के तहत चाही गई वांक्षित जानकारी प्रदाय न कर शासन ,केंद्रीय कानून के प्रति अविश्वास की भावना पैदा की जाती रही है। गत वित्तीय वर्ष में सम्बंधित कार्यालय से डीएमएफ सीएसआर के तहत वित्तीय वर्ष 2022-23 एवं 2023 -24 में स्वीकृत कार्यों के सूची,प्रशासकीय स्वीकृति आदेश,देयक व्हाउचर,कोटेशन,निविदा प्रक्रिया ,क्रय प्रक्रिया भौतिक सत्यापन पपत्र आदि की जानकारी मांगी गई थी। जिसके परिपालन में कार्यालय समग्र शिक्षा कोरबा ने कार्यालयीन पत्र क्रमांक 327 दिनांक 13 /03 /2024 के माध्यम से आवेदक को पत्र व्यवहार कर पूर्व डीएमसी द्वारा डीएमएफ एवं सीएसआर से संबंधित फाईल उपलब्ध नहीं कराए गई है लेखकर जानकारी प्रदाय करना संभव नहीं है लेख किया गया था। जबकि कायदे से ऐसे प्रकरणों में सम्बंधितों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराए जाने का प्रावधान है। लेकिन भ्रष्ट अफसरों को बचाने प्रकरण में एफआईआर तक दर्ज नहीं कराई जा सकी हैं। जबकि कार्यालय सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग में संविधान के अनुच्छेद 275 (1 ) मद के 3 करोड़ के कार्यों की भुगतान से सबंधित नस्ती कार्यालय में उपलब्ध नहीं होने पर पूर्व सहायक आयुक्त के विरुद्ध शासन ने जांच कमेटी बैठा दी है। डीएमएफ से स्वीकृत कार्यों , टेंडर में हुए अनियमितता के मामले में पूर्व सहायक आयुक्त हिरासत में हैं। जबकि समग्र शिक्षा में किसी को आंच तक नहीं आई। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो 2022-23 ,2023 -24 इन दोनों वित्तीय वर्षों में डीएमएफ एवं सीएसआर से सेजेस,स्कूलों के लिए तकरीबन 100 करोड़ रुपए से अधिक के फर्नीचर, बर्तन, भवन ,कम्प्यूटर लैब समेत विभिन्न कार्य कराए गए हैं ,सामाग्रियों की खरीदी की गई है । लेकिन जिन तत्कालीन कलेक्टर संजीव झा के कार्यकाल में यह सारी अनियमितता हुई है सत्ता परिवर्तन के बाद उन्हें उसी विभाग का संचालक समग्र शिक्षा के महत्त्वपूर्ण पद पर बिठा दिया गया है।जिससे सत्ता पक्ष की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं।

इसी साल पीएम श्री स्कूलों के लिए प्राप्त आबंटन में बाजार से 3 गुना अधिक दर पर वाद्य यंत्रों की खरीदी करने के मामले में भी कार्यालय समग्र शिक्षा की कार्यशैली चर्चित रही। जिसमें जिम्मेदारों पर आज पर्यंत कार्रवाई नहीं की जा सकी। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो उच्च अधिकारी के दबाव पर फाइल गुम हो जाने का बहाना बनाकर आवेदकों को गुमराह किया जा रहा है।जबकि हफ्ते भर पूर्व सीएसईबी फुटबॉल ग्राउंड में आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे मुख्यमंत्री ने मीडियाकर्मियों के सवाल पर वर्तमान में भी डीएमएफ एवं कोयला में अनियमितता शिकायती प्रकरणों के मामले में भी कार्रवाई की बात कही थी। लेकिन सीएम हाउस तक लिखित शिकायतों के बावजूद आज पर्यंत कार्रवाई नहीं होना कहीं न कहीं ऐसे भ्रष्टचार के लिए सम्बंधितों को बल प्रदान करता है।इस साल 2024 -25 में भी डीएमएफ एवं सीएसआर से जुड़ी जानकारी अपीलीय आदेशों के बावजूद डीएमसी दबाए बैठे हैं।

विशेष शक्ति का प्रभाव, यहाँ इनकी चलती है….

जिस पर केंद्रीय कानून,उच्च अधिकारी के आदेश की अवहेलना का सिलसिला कार्यालय समग्र शिक्षा में बना हुआ है। शिकायतों ,शासन के आदेश पर भी कोई कार्रवाई नहीं होती ,वाकई हैरान करने वाला है। जिला गठन के बाद पहली बार ऐसा कोई कार्यालय होगा जो इतनी हिमाकत करने के बाद बेख़ौफ मनमाना कार्य कर रहा होगा। सूत्र बताते हैं डीएमसी से ज्यादा यहाँ के एक चर्चित शाखा प्रभारी की चलती है। जिसके लिए जिले के एक प्रभावशाली शख्स की सिफारिशें आती है।डीएमएफ ,सीएसआर,पीएमश्री ,सेजेस,
लगभग सभी मलाईदार शाखाएं इन्हीं की अधीन है जिसे परिवर्तन करने की हिमाकत कोई नहीं कर सकता। यूं कहें पूरा कार्यालय और अधिकारी इन्हीं के इशारों पर चलते हैं। इन्हें इस कदर छूट और बेझिझक कार्य करने का लाइसेंस मिला है कि शिकायतकर्ताओं के विरुद्ध ही ये छल कपटपूर्वक निराधार शिकायत करवाने करने में माहिर हैं। सत्ता परिवर्तन के बाद भी जब इन पर आंच तक नहीं आई तो यह बात स्वीकार करने में कोई गुरेज नहीं कि इन पर ऊपरवालों की विशेष कृपा बनी हुई है।