1971 में भारत के सामने पाकिस्तान के आत्मसमर्पण और बांग्लादेश के जन्म की याद में मनाए जा रहे विजय दिवस समारोह में भारत और बांग्लादेश के मुक्ति योद्धा भाग लेने पहुंचे। भारत-बांग्लादेश के संबंध इन दिनों कुछ ठीक नहीं चल रहे हैं।
इस बीच भारत के आठ वरिष्ठ पूर्व सैनिक विजय दिवस समारोह में भाग लेने ढाका गए हैं। जबकि बांग्लादेश के आठ मुक्ति योद्धा कोलकाता आए हैं। विजय दिवस समारोह में युद्ध के दौरान शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि दी गई। बांग्लादेश के अधिकारियों और ढाका स्थित भारतीय उच्चायोग ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत-बांग्लादेश के दो सेवारत अधिकारी भी आए हैं।
हर साल 16 दिसंबर को भारत और बांग्लादेश में विजय दिवस मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन वर्ष 1971 में भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में ऐतिहासिक जीत हासिल की थी। इस जीत की वजह से बांग्लादेश को अपना खुद का बजूद मिला था। विजय दिवस समारोह में हर साल भारत-बांग्लादेश के मुक्ति योद्धा भी भाग लेते हैं। ये वह योद्धा हैं जिन्होंने 1971 में पूर्वी पाकिस्तान में आजादी के लिए लड़ाई लड़ी थी। इन्होंने पाकिस्तानी शासन का विरोध किया था।
बांग्लादेश में पूर्व पीएम शेख हसीना के पद छोड़ने और वहां हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को लेकर दोनों देशों के नाजुक संबंध के बीच सैनिकों की यह पहली यात्रा है। ढाका के एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा कि पूर्व सैनिकों की यात्राएं 1971 में बनी मित्रता की याद दिलाती हैं। उन्होंने कहा कि नौ दिसंबर को भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री के अपने समकक्ष जशीम उद्दीन के साथ मुलाकात के लिए ढाका आने के बाद से द्विपक्षीय संबंधों में तनाव कम हुआ है। अब पूर्व सैनिकों के दौरों से दोनों देशों की एक-दूसरे के प्रति सद्भावना प्रकट होने की उम्मीद है।
भारतीय उच्चायोग ने कहा कि यह द्विपक्षीय यात्राएं मुक्ति योद्धाओं और मुक्ति संग्राम के दिग्गजों को दोनों देशों की अद्वितीय मित्रता का जश्न मनाने का मंच प्रदान करती हैं। यह अवसर मुक्ति संग्राम की यादों को ताजा करता है। यह कब्जे, उत्पीड़न और सामूहिक अत्याचारों से बांग्लादेश की आजादी के लिए भारत और बांग्लादेश के सशस्त्र बलों के साझा बलिदान का प्रतीक है।