भूमकाल विद्रोह के महान नायक डेबरीधुर के पैतृक ग्राम में लगा स्वास्थ्य शिविर

सुकमा 14 जून (वेदांत समाचार) बरसात के मौसम में कई दिनों तक नदी नालों में  पानी के अधिक बहाव के कारण दूरस्थ एवं तराई क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीण अपने सेहत की जांच कराने स्वास्थ्य केंद्र नही जा पाते है | प्राथमिक उपचार के लिये भी ग्रामीणों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग खुद ही कच्चे रास्ते , पहाड़ व नदी के बहाव को पार करते हुए ग्रामीणों तक पहुँच बना रहा है। अति संवेदनशील इलाके के अंतर्गत आने वाले ग्राम झीरम घाटी की तराई से, 8 किलोमीटर दूर पहाड़ के ऊपर बसा हुआ है ग्राम एलेंगनार। इस ग्राम में पहुंचने के लिये पहले लगभग 1 किलोमीटर खड़ी पहाड़ की चढ़ाई करनी पड़ती है। पथरीले पगडण्डी रास्तों से होते हुए अपने कार्य और सेवाभाव के लिये समर्पित स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा यहाँ पर एक दिवसीय स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया।

“एलेंगनार गाँव बस्तर के लिये एक ऐतिहासिक महत्व रखता है। क्योंकि 1910 में हुए भूमकाल विद्रोह के वीर गुंडाधुर के प्रमुख साथी डेबरीधुर का यह पैतृक गांव है। जो अंचलवासियों के लिये आज भी पूज्यनीय है”

इस समय स्वास्थ्य विभाग द्वारा पहाड़ी क्षेत्र व स्वास्थ्य केंद्रों से दूर बसे गांवों में रहने वाले ग्रामीणों को उनके ही ग्राम में शिविर आयोजित कर मलेरिया व मौसमी बीमारियों की जांच के साथ ही कोरोना के टीके भी लगाए जा रहे है।

शिविर में आई महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता शश्मिता राव ने बताया, “2015 से वह अपने सहयोगियों के साथ, गर्भवती महिलाओं की जांच, बच्चों को टीका लगाने, सहित अन्य बीमारियों के जांच के लिये हर माह एलेंगनार आती रही हैं। इस बार लगाए गए शिविर में 45 वर्ष से अधिक के 11 लोगों को कोरोना का टीका भी दिया गया और 25 लोगों के मलेरिया की जांच की गई इनमें से किसी में भी मलेरिया के लक्षण नही मिले हैं। साथ ही 2 गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच भी की गई। इसके अलावा सर्दी खांसी के रोगियों  का परीक्षण कर उपचार किया गया। उपचार के लिये आए ग्रामीणों को कोरोना की वजह से सोशल डिस्टेनसिंग का पालन करने व जिनके पास मास्क उपलब्ध नहीं थे उन्हें निःशुल्क मास्क वितरण किया गया”।

कोरोना टीका लगवाने आए 50 वर्षीय पिडे ने स्थानीय बोली में बताया ” सरकार हमारे पास पहुँचकर टीका लगा रही है ये अच्छी बात है लेकिन गाँव के कुछ लड़के अज्ञानता के कारण बहुत से लोगों को टीकाकरण करवाने से मना कर रहे हैं ऐसे में मैं शिविर में सबसे पहले टीका लगवाकर सबको ये सन्देश देना चाहता हूं कि आगे आकर टीका लगवाएं। ये हमारे गांव और परिवार की सुरक्षा के लिये जरूरी है, पिडे ने बताया, स्वास्थ्य केंद्र से दूरी अधिक होने और ग्राम में यातायात की सुविधा नही होने के कारण टीका लगवाने या अन्य बीमारियों की जांच के लिये बहुत दूर चलकर जाना पड़ता है। इससे बच्चों और बुजुर्गों के लिये थोड़ी मुश्किल हो जाती है , लेकिन समय-समय पर गाँव में ही दीदी-भैया(महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता और अन्य) के आ जाने से हमें बहुत सहूलियत मिलती है”।

शिविर में उपचार के दौरान ग्रामीणों को अपने सेहत के प्रति देखभाल रखने के बारे में बताया गया। इसके अतिरिक्त ग्रामीणों में व्याप्त कोरोना के भय को दूर करने का प्रयास किया गया व उन्हें कोरोना से बचाव के उपाय भी बताए गए। स्वास्थ्य टीम जब वापस लौट रही थी तब तेज़ बारिश ने समस्या बढ़ा दी। खड़ी पहाड़ होने के कारण फिसलन की स्थिति उत्पन्न हो गयी थी। लेकिन सभी ने एक दूसरे का साथ देते हुए अपनी यात्रा पूरी की। शिविर हेतु गये दल में शश्मिता राव (महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता), मिनकेतन मांझी(आर.एच.ओ.), सीताराम (आर.एच.ओ), चन्द्रवती कश्यप(एम.टी.), सुखमती वेट्टी(मितानिन) ललित ओझा (आर.ए.ई.ओ) जितेंद्र मण्डावी(कनकापल सरपंच), सहदेव नाग, हीरा सिंह सेठिया, सोमारू मौर्य, भीमाराम सोढ़ी आदि थे।