मौत मांग रहा छत्तीसगढ़ का बेरोजगार:कर्ज लेकर दो वक्त की रोटी जुटा रहा शिक्षक,अब छत्तीसगढ़ी गीत गाकर सरकार से कहा- नौकरी नहीं त देदे तैं फांसी मोला

बलौदा बाजार के रहने वाले िजतेंद्र बार्वे से ज्यादा बेरोजगारी की वजह से उपजे बुरे हालातों को कोई नहीं समझ सकता। 11 सदस्यों के परिवार में अकेला कामकाजी युवक साल 2020 से बेरोजगार है। सरकारी शिक्षक के तौर पर सलेक्शन हो चुका है मगर सरकार नियुक्ति नहीं दे रही। काम नहीं है तो परिवार का पेट भरने के लिए पैसे नहीं हैं। बैंक से लोन, गांव में रिश्तेदारों से उधार और कुछ सामाजिक संगठनों से आर्थिक मदद लेकर ये दो वक्त की रोटी का इंतजाम कर रहे हैं।

नौकरी या मौत दे दे सरकार
शनिवार को जितेंद्र ने अपने ही घर पर एक वीडियो रिकॉर्ड किया। वीडियो में जितेंद्र ने छत्तीसगढ़ की भरथरी शैली में गीत गाकर सरकार ने रोजगार देने की मांग की है। शिक्षक भर्ती की अटकी प्रक्रिया से तंग आकर अपनी भाभी संतोषी के साथ इस गाने को जितेंद्र ने गाया है। इस गाने की लाइनों में जितेंद्र कह रहे हैं ढाई साल ले सुध नई लेस का होगे कका(भूपेश बघेल) तोला, नौकरी मोर दे दे तैं नई तो फांसी देदे तैं मोला। ये गीत अब जितेंद्र की ही तरह बेरोजगार हो चुके शिक्षकों का एंथम बन चुका है तेजी से वायरल हो रहा है।

केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह ने भी किया ट्वीट

पैसे नहीं थे मां को भेजना पड़ा बहन के पास
जितेंद्र के परिवार की माली हालत ठीक नहीं है। इस शिक्षक ने दैनिक भास्कर को बताया कि मेरी मां के पैरों में हमेशा दर्द रहता है। पिछले कुछ महीनों से उनकी तकलीफ बढ़ गई है। मेरे पास उनका इलाज करवाने के पैसे नहीं थे। भिलाई में मेरी बहन रहती है, मजबूरी में मां को मुझे उनके पास भेजना पड़ा। घर की हालत से मैं काफी परेशान हूं।

इनके पढ़ाए 30 बच्चों का सलेक्शन नवोदय स्कूल में
जितेंद्र पिछले 15 सालों से प्राइवेट स्कूल में गणित पढ़ा रहे थे। इनके पढ़ाए 30 स्टूडेंट्स का सलेक्शन नवोदय विद्यालय में हुआ जहां वो अपने सुनरहे भविष्य की क्लास अडेंट करते हैं, मगर उन्हें पढ़ाने वाला ये शिक्षक अब बदहाली के अंधेरों के बीच जी रहा है। जितेंद्र खुद क्रिएटिव कंटेंट लिखते हैं, गाते हैं, बच्चों को गाने और गीत के जरिए कुछ नया सिखाते हैं, मगर इस टैलेंट पर बेरोजगारी का जंग लग रहा है।

जितेंद्र की ही तरह पूरे प्रदेश में 14 हजार 580 युवा परेशान
2019 में सरकारी स्कूलों में पढ़ाने के लिए सरकार ने 14 हजार 580 युवाओं को चुना मगर अब तक नियुक्ति नहीं दी गई। करीब ढाई साल से नौकरी दिए जाने की मांग की जा रही है। छत्तीसगढ़ के प्रशिक्षित डीएड-बीएड संघ संगठन के प्रमुख दाउद खान ने बताया कि प्रदेश में 14 हजार 580 शिक्षकों का चयन हो चुका है मगर भर्ती नहीं हो रही। इससे पहले सभी शिक्षक किसी न किसी प्राइवेट स्कूल में नौकरी कर रहे थे, सभी ने इस आस में नौकरी छोड़ दी कि उन्हें सरकार की तरफ से रोजगार मिलना था। अब कोई दूसरी नौकरी इसलिए नहीं मिलती क्योंकि ये उम्मीदवार चयनित हैं, लॉकडाउन में सभी शिक्षकों की माली हालत और भी खराब हो गई मगर सरकार ने ध्यान नहीं दिया।

फिर से होगी सरकार से बात
जितेंद्र ने कहा कि इस बीच सरकार स्वामी आत्मानंद स्कूल में भर्ती कर रही है, शिक्षकों के परिवार को अनुकंपा नियुक्ति दे रही है। हमारी बारी जब आती है तो स्कूल बंद होने की बात कह दी जाती है। ये तो दोहरा रवैया हुआ। अब सोमवार को छत्तीसगढ़ के प्रशिक्षित डीएड-बीएड संघ के पदाधिकारी फिर से शिक्षामंत्री से मुलाकात कर सरकार का रुख जानने की कोशिश करेंगे। इस सप्ताह पुलिस की धमकियों की वजह से छत्तीसगढ़ के प्रशिक्षित डीएड-बीएड संघ को अपना आंदोलन टालना पड़ा था।