महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के कुछ ही घंटों के भीतर देवेंद्र फडणवीस ने राज्य की चर्चित ‘लाडकी बहिन योजना’ की जांच करवाने का ऐलान कर दिया. इस योजना के तहत महिलाओं को वित्तीय सहायता दी जाती है, राज्य की एक महत्वपूर्ण सामाजिक कल्याण योजना मानी जाती है. लेकिन नई सरकार ने इसमें कथित अनियमितताओं को देखते हुए लाभार्थियों की सूची की जांच करने का निर्णय लिया है.
क्या है लाडकी बहिन योजना?
‘लाडकी बहिन योजना’ महाराष्ट्र की महिलाओं के लिए बनाई गई एक कल्याणकारी योजना है, जिसमें हर महिला को ₹1,500 मासिक सहायता उनके खाते में सीधे ट्रांसफर की जाती है.
इस योजना से 2.43 करोड़ महिलाएं जुड़ी हुई हैं. राज्य सरकार इस योजना पर हर महीने ₹3,700 करोड़ खर्च करती है. इस योजना का सालाना बजट लगभग ₹46,000 करोड़ है.
योजना में गड़बड़ियों की शिकायतें
मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि लाभार्थियों की सूची में गड़बड़ियों की शिकायतें मिली हैं. कुछ लाभार्थी योजना के मानकों पर खरे नहीं उतरते. ऐसे में उनकी पहचान कर उन्हें योजना से हटाया जाएगा. यह जांच उसी तरह की जाएगी, जैसे केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री किसान योजना में की थी, जहां अपात्र लाभार्थियों ने स्वेच्छा से योजना का लाभ लेना छोड़ दिया था.
योजना बंद नहीं होगी, बल्कि सुधारी जाएगी
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि इस योजना को बंद नहीं किया जाएगा, बल्कि इसे सुधारा जाएगा. चुनावी घोषणा पत्र के अनुसार, अगले वित्तीय वर्ष से योजना के तहत महिलाओं को ₹1,500 की बजाय ₹2,100 मासिक सहायता दी जाएगी.
चुनावी सफलता में योजना की भूमिका
‘लाडकी बहिन योजना’ को महायुति सरकार की चुनावी जीत में एक बड़ा योगदान माना जा रहा है. इस योजना ने ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में महिलाओं का समर्थन हासिल किया. फडणवीस सरकार का मानना है कि इस योजना को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाकर इसका व्यापक लाभ महिलाओं तक पहुंचाया जा सकता है.
जाति आधारित जनगणना पर विचार
मुख्यमंत्री फडणवीस ने प्रेस कांफ्रेंस में जाति आधारित सर्वेक्षण पर भी अपनी राय दी. उन्होंने कहा, “हम जाति आधारित सर्वेक्षण के खिलाफ नहीं हैं. हमने बिहार में इसे समर्थन दिया. लेकिन यह सर्वेक्षण किसी राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल न हो.” उनका मानना है कि सर्वेक्षण का उद्देश्य स्पष्ट होना चाहिए, ताकि OBC और अन्य समुदायों के हित प्रभावित न हों.