आजादी के बाद से देश की सियासी पृष्टभूमि पर एक चीज बेहद कॉमन रही है, वो है राजनीतिक दलों के बीच पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग की चिंता। यह चिंता कुछ ऐसी है जिसे सभी दल न केवल ख़ुशी-ख़ुशी ओढ़ने के लिए तैयार रहते हैं, बल्कि खुद को इस वर्ग विशेष का सबसे बड़ा हितैषी बताने पर भी आतुर रहते हैं। लेकिन सही मायने में किसी एक दल या व्यक्ति विशेष के योगदान को आंक पाना कठिन है, क्योंकि इतिहास में ऐसे कई नाम रहे हैं जिन्होंने सामाजिक रूप से पिछड़े, शोषित, वंचित इस पूरे समाज के उत्थान के लिए सालों संघर्ष किया है, लेकिन वर्तमान में यह संघर्ष सही मायनों में कुछ गिने-चुने दलों या नामों तक ही सीमित रह गया है। इनमें से एक नाम स्व. डॉ सोनेलाल पटेल के संघर्षों से सिंचित अपना दल का भी है, जिसे केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के नेतृत्व में अपना दल (सोनेलाल) का नाम मिला और उनके ही आदर्शों पर चलते हुए पार्टी आज दलित-पिछड़ों की प्रमुख अगुआ बनकर उभरी है। हालांकि यहां अपना दल (एस) की उन उपलब्धियों का जिक्र किया जाना जरुरी है जिसने पार्टी और पार्टी नेतृत्व को एक विश्वसनीय जनाधार प्रदान किया है।
कुर्मी-किसान, कमेरों और पिछड़ों को शोषण के विरुद्ध एक मंच उपलब्ध कराने और उनमें राजनीतिक एवं व्यवस्था परिवर्तन की अलख जगाने के लिए डॉ सोनेलाल पटेल ने जो संघर्षपूर्ण यात्रा शुरू की, उसे आज उनकी बड़ी बेटी और केंद्रीय राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल सुचारु रूप से आगे बढ़ा रही हैं। बेशक कई पहलुओं पर संघर्ष अभी भी जारी है और कोई निश्चित समय नहीं कि यह संघर्ष आगे कब तक जारी रहने वाला है, लेकिन जिस तरह अनुप्रिया और उनकी पार्टी ने पिछड़े वर्ग की आवाज को संसद के अंदर और बाहर बुलंद करने का काम किया है, वह वर्तमान में किसी अन्य दल या नेता से देखने को नहीं मिलता है। शायद इसी का परिणाम है कि पार्टी को उत्तर प्रदेश की जनता ने तीसरे सबसे बड़े राजनीतिक दल के रूप में स्थापित किया है। लगातार तीन बार पूर्वांचल की किसी सीट से जीत हासिल करने का ऐतिहासिक कारनामा भी उसी संघर्ष और मेहनत की एक उपलब्धि के रूप में गिना जा सकता है।
उत्तर प्रदेश की सियासत खासकर पूर्वांचल में अपनी अलग पहचान बनाने वाली अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने न केवल अपने संसदीय क्षेत्र में अनेक विकास कार्यों को अंजाम दिया है बल्कि पिछड़ा दलित और किसान वर्ग के हक़ की लड़ाई भी बखूबी लड़ी है। ओबीसी के लिए अलग मंत्रायल की बात हो या शिक्षक भर्ती में आरक्षण की अनदेखी का मुद्दा, दलित पिछड़ों के प्रति हिंसा के खिलाफ आवाज उठाना हो या महिलाओं के सम्मान में सीधे सत्ता से प्रश्न पूछने का जज्बा दिखाना, ऐसे कई मौके रहे हैं, जब उन्होंने प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से प्रताड़ना का सामना कर रहे वर्ग विशेष के लिए सत्ता और प्रशासन से दो टूक बात की है। इसे भले ही उनकी उपलब्धि में नहीं गिना जाए लेकिन इससे उनके राजनीतिक चरित्र को जरूर समझा जा सकता है। ऐसे ही एक सांसद के रूप में अनुप्रिया के विकासकार्य भी इसकी गवाही देते हैं।
अपने पूर्व कार्यकाल में मंत्री पद संभालते हुए उन्होंने जनपद को विकास की राह पर ले जाने का काम किया है। आम जनमानस में उनकी छवि न सिर्फ एक अच्छी नेता के रूप में है, बल्कि मिर्जापुर में उन्हें विकासशील सांसद के रूप में भी जाना जाता है। पहली बार केेंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री का पदभार संभालने के बाद उन्होंने मेडिकल कालेज के साथ ही रेलवे स्टेशन पर स्वचालित सीढ़ी व दक्षिणी प्रवेश द्वार बनवाने का कार्य शुरू कराया। इसके अलावा चुनार किला व जान्हवी होटल का सुंदरीकरण भी उनके द्वारा किए विकासकार्यों की लिस्ट में आता है। स्वास्थ्य विभाग में एक बड़ी उपलब्धि दर्ज करते हुए उन्होंने जनपद में डायलिसिस सेंटर लाने का सबसे महत्वपूर्ण कार्य किया। जिससे जनपद के लोगों को उपचार के लिए वाराणसी या प्रयागराज जाने से छुटकारा मिला और खासकर किडनी के मरीजों को लाभान्वित होने का अवसर मिला।
इसके अलावा मिर्जापुर मंडलीय चिकित्सालय में सिटी स्कैन मशीन लगवाने का श्रेय भी उन्ही को जाता है। यही नहीं, उन्होंने जनपद को जीवनरेखा एक्सप्रेस के रूप में भी एक तोहफा दिया है, जिसमें लोगों ने कैंसर जैसी बीमारी से लेकर शुगर, किडनी, हार्ट आदि रोगों का इलाज कराया है। स्वास्थ्य सेवाओं के साथ-साथ वह खिलाड़ियों के बीच भी बेहद लोकप्रिय हैं। इसका एक उदाहरण एक महिला पावर लिफ्टर को 25 लाख रुपये की सहयोग राशि प्रदान कर, विदेश खेलने के लिए भेजने के रूप में देखा जा सकता है। ऐसी अन्य कई परियोजनाओं और योगदान का नतीजा है कि जनमानस के सहयोग से शून्य से शिखर पर पहुंचने की उनकी गति इतनी तेज रही है। हालांकि पार्टी और अनुप्रिया की उपलब्धियों के पीछे यूपी कैबिनेट में मंत्री आशीष पटेल के योगदान और मार्गदर्शन को भी कम नहीं आँका जा सकता।
अपना दल (एस) वर्तमान में गरीब, शोषित, वंचित वर्ग की प्रखर आवाज सिर्फ इसलिए नहीं है कि पार्टी के बैनर तले दलित-पिछड़ों की आवाज उठाई जा रही है, बल्कि इसलिए है क्योंकि जनमानस ने पार्टी नेतृत्व पर अपना विश्वास जताया है और इसी भरोसे का नतीजा है कि पार्टी की विचारधारा आज उत्तर प्रदेश से बाहर निकल मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी तेजी से फ़ैल रही है। हाजिर तौर पर यह कुछ ऐसे तथ्य हैं जिन्हे पार्टी की सबसे बड़ी उपलब्धि के रूप में गिना जा सकता है।
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