कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद आज बीजेपी में शामिल हो गए। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के सीनियर नेताओं में से एक जितिन प्रसाद का बीजेपी जॉइन करना प्रदेश में अगले साल होने वाले चुनावों के लिहाज से अहम हो सकता है। हालांकि, जितिन प्रसाद को यह बगावत विरासत में मिली है। दरअसल, जितिन के पिता जितेंद्र प्रसाद भी साल 2000 में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए चुनाव में सोनिया गांधी के खिलाफ लड़े थे। हालांकि, वह हारे और कुछ ही समय बाद उनका निधन भी हो गया था।
जितेंद्र प्रसाद ने सांसद रहते हुए सोनिया गांधी के लगातार पार्टी अध्यक्ष बनने का विरोध किया। ऐसा इसलिए भी क्योंकि जितेंद्र प्रसाद बतौर कार्यकर्ता पार्टी में सोनिया गांधी से बहुत वरिष्ठ थे। हालांकि, साल 2000 में जब पार्टी अध्यक्ष पद के लिए वह सोनिया गांधी के खिलाफ खड़े हुए तो उन्हें इसमें हार मिली।
इसके चार साल बाद यानी 2004 में ही जितिन प्रसाद पहली बार अपने गृहक्षेत्र शाहजहांपुर से लोकसभा सांसद बने थे। इतना ही नहीं साल 2008 में वह पीएम मनमोहन सिंह की कैबिनेट में मंत्री बने। उस समय वह सबसे कम उम्र के मंत्री बने थे।
राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले जितिन प्रसाद कांग्रेस से दो बार सांसद रहे हैं। हालांकि, वह दो साल पहले भी पार्टी छोड़ने वाले थे। बताया जा रहा है कि कांग्रेस कार्यसमिति का सदस्य होने के बाद भी जितिन पार्टी नेतृत्व से खुश नहीं है। उत्तर प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनावों के वक्त भी प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए जितिन प्रसाद को सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा था लेकिन उस समय राज बब्बर को यह जिम्मेदारी सौंपी गई, जो जितिन को रास नहीं आया। हालांकि, जिस समय राहुल गांधी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनें, उस दौर में भी उत्तर प्रदेश में पार्टी में दोबारा जान फूंकना सबसे बड़ी चुनौती बना रहा।
जितिन के पिता जितेंद्र प्रसाद तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और नरसिम्हा राव के सलाहकार भी रह चुके हैं। जितिन प्रसाद को सचिन पायलट, ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह कांग्रेस से जुड़े परिवारों की विरासत संभालने वाले युवा नेताओं में माना जाता रहा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह ही जितिन का बीजेपी में जाना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
हालांकि, उत्तर प्रदेश कांग्रेस में जितिन के खिलाफ आवाजें भी उठीं। बीते साल ही कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर बड़े बदलावों की मांग की थी। इन नेताओं के समूह को जी-23 के नाम से जाना जाता है। चिट्ठी लिखने वालों में से एक प्रमुख नाम जितिन प्रसाद का भी था। हालांकि, इस चिट्ठी के सार्वजनिक होने के बाद उत्तर प्रदेश कांग्रेस में जितिन के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग भी उठाई गई थी। प्रदेश इकाई ने चिट्ठी लिखने वाले सभी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी, जिसमें जितिन प्रसाद का खास जिक्र था।
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