ऐतिहासिक फैसला : 11 साल की लड़की पहुंची हाईकोर्ट, कहा – ‘मी लॉर्ड मुझे बच्‍चा गिराना है’…30 सप्‍ताह की है प्रेग्‍नेंट

बॉम्‍बे हाईकोर्ट ने 11 साल की एक नाबालिग लड़की की याचिका पर बड़ा फैसला दिया है. दरअसल, नाबालिग बच्‍ची के साथ रेप किया गया था, जिसके बाद वह प्रेग्‍नेंट हो गई. गर्भवती पीड़िता ने अबॉर्शन के लिए बॉम्‍बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

हाईकोर्ट ने अब 11 साल की नाबालिग लड़की को गर्भपात कराने की अनुमति दे दी है. कोर्ट ने इसके साथ ही भ्रूण (Fetus) के ब्‍लड और टिश्‍यू को सुरक्षित रखने का आदेश दिया है, ताकि भविष्‍य में जरूरत पड़ने पर बच्‍चे का DNA या कोई और अन्‍य मेडिकल टेस्‍ट किया जा सके. बता दें कि 20 सप्‍ताह से ज्‍यादा का गर्भ होने पर अबॉर्शन के लिए कोर्ट की मंजूरी अनिवार्य है.

बॉम्‍बे हाईकोर्ट ने रेप की शिकार 11 वर्षीय लड़की को 30 सप्ताह की गर्भावस्था समाप्त करने की गुरुवार को अनुमति दे दी. जस्टिस शर्मिला देशमुख और जस्टिस जितेंद्र जैन की वेकेशनल बेंच ने कहा कि गुरुवार को सरकारी जेजे अस्पताल में गर्भपात की प्रक्रिया की जाएगी. नाबालिग लड़की ने प्रेग्‍नेंसी को समाप्त करने की अनुमति मांगने के लिए अपने पिता के माध्यम से बॉम्‍बे हाईकोर्ट का रुख किया था. मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्‍नेंसी एक्‍ट के प्रावधानों के तहत 20 सप्ताह से अधिक की प्रेग्‍नेंसी को समाप्त करने के लिए अदालत की अनुमति की आवश्यकता होती है.

कोर्ट ने क्‍या कहा?

याचिका के अनुसार, लड़की यौन उत्पीड़न की शिकार है और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) पॉक्सो एक्‍ट के तहत एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. कोर्ट ने कहा कि वह संविधान के तहत, मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्‍नेंसी एक्‍ट में निर्धारित आकस्मिक परिस्थितियों में 20 सप्ताह की गर्भावस्था को मेडिकली तरीके से समाप्त करने की अनुमति दे सकती है. कोर्ट ने कहा, ‘याचिकाकर्ता एक नाबालिग लड़की है जो यौन उत्पीड़न की शिकार है. इसलिए याचिकाकर्ता को प्रेग्‍नेंसी की मेडिकल टर्मिनेशन की अनुमति दी जाती है.’

बॉम्‍बे हाईकोर्ट ने इसके साथ ही सरकार को भी खास निर्देश दिया है. बॉम्‍बे हाईकोर्ट की पीठ ने शिशु के ब्‍लड और टिश्‍यू को सुरक्षित रखने का आदेश दिया है, ताकि भविष्‍य में जरूरत पड़ने पर उसका DNA टेस्‍ट कराया जा सके. साथ ही सरकार को निर्देश दिया कि यदि शिशु जीवित रहता है तो उसे हर तरह की मेडिकल सुविधा मुहैया कराई जाए. यदि उसके परिजन बच्‍चे को स्‍वीकार करने से इनकार कर दें तो सरकार उसकी देखरेख करे.

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