कोरबा, 19 अक्टूबर। कार्तिक मास (18 अक्टूबर से 15 नवंबर 2024) में आयुर्वेदिक जीवनशैली अपनाकर स्वस्थ रहें। आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. नागेंद्र नारायण शर्मा ने बताया कि इस मास में पित्त दोष का प्रकोप होता है, इसलिए पित्त शामक खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
आहार
कार्तिक मास में निम्नलिखित आहार का सेवन करना चाहिए:
- जिमीकंद: यह पित्त शामक होता है और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
- मूली: यह पित्त शामक होती है और पाचन को मजबूत करती है।
- आंवला: यह विटामिन सी का अच्छा स्रोत है और पित्त शामक होता है।
- च्यवनप्राश: यह रसायन के रूप में काम करता है और स्वास्थ्य को मजबूत करता है।
- हरीतकी: यह पित्त शामक होती है और पाचन को मजबूत करती है।
वर्जित आहार
कार्तिक मास में निम्नलिखित आहार का सेवन नहीं करना चाहिए:
- मट्ठा (छाछ): यह पित्त वर्धक होता है और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
- दाल: यह पित्त वर्धक होती है और पाचन को कमजोर करती है।
- कड़वे और कसैले रस वाले आहार: यह पित्त वर्धक होते हैं और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।
जीवनशैली
कार्तिक मास में निम्नलिखित जीवनशैली का पालन करना चाहिए:
- धूप, ओस और पूर्वी हवाओं से बचें।
- दिन में शयन न करें।
- भूख लगे बिना भोजन न करें।
- अधिक व्यायाम से बचें।
- पूर्वी हवाओं का सेवन करें।
- प्रातःकाल में व्यायाम करें।
- रात्रि में समय पर सोने का प्रयास करें।
आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. नागेंद्र नारायण शर्मा के अनुसार, कार्तिक मास में आयुर्वेदिक जीवनशैली अपनाकर स्वस्थ रहा जा सकता है।
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