वर्षों से लंबित परसा परियोजना के शुरू होने से सरगुजा जिले में मिलेंगे हजारों रोजगार

  • राजस्थान सरकार की प्रस्तावित खनन परियोजना के 19 प्रभावितों को मिले नियुक्ति पत्र
  • अन्य 206 प्रभावित स्थानीय युवाओं को भी नजदीकी भविष्य में मिलेगा रोजगार
  • पीईकेबी खदान के बाद पिछड़े हुए जिले में शुरू होगी एक और महत्वाकांक्षी परियोजना
  • सीएसआर पहलों से होगा स्थानीय लोगों का सशक्तिकरण

उदयपुर; 18 अक्टूबर, 2024: सरगुजा जिले के उदयपुर ब्लॉक में विगत चार वर्षों से लंबित परसा कोयला परियोजना के शुरू होने की कवायद अब शुरू हो गई है और उसके साथ ही जिले और राज्य में हजारों रोजगार के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष अवसर पैदा होने जा रहे हैं। राजस्थान सरकार के निगम ने स्थानीय प्रभावशाली युवाओं को नियुक्ति पत्र देने की शुरुआत कर दी है। राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) की यह कोयला परियोजना पूरी अनुमति के बावजूद विदेशी चंदे से लैस बाहरी द्वारा विरोध के चलते चार वर्षों से शुरू नहीं हो पाई थी। लेकिन स्थानीय लोगों के समर्थन और सहयोग से राजस्थान और छत्तीसगढ़ के राज्य प्रशासन ने जरूरी कदम उठाकर परसा खदान खोलने के लिए रास्ता साफ कर दिया है।

उल्लेखनीय है कि राजस्थान सरकार के आरआरवीयूएनएल को केंद्र सरकार द्वारा आवंटित तीन खदानों में से सिर्फ परसा ईस्ट केते बासन खदान अकेली ही कार्यरत है, जो कि करीब 10,000 लोगों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा कर रही है। माना जा रहा है कि आरआरवीयूएनएल की तीनों खदानों के शुरू हो जाने से हसदेव क्षेत्र के महत्वपूर्ण जिले की काया पलट जाएगी।

शुक्रवार को आयोजित भूमि पूजन कार्यक्रम में पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन के लिए चुने गए कुल 225 में से 25 ग्रामीणों को नौकरी के लिए नियुक्ति पत्र प्रदान किया गया। जबकि 10 लोग पहले ही नियुक्त कर लिया था। इस तरह अब तक कुल 19 स्थानीय ग्रामीणों को परसा कोयला खदान में नौकरी मिल गई है वहीं शेष 206 लोगों को भी खदान का काम आगे बढ़ाने पर नियुक्त किया जाएगा। जैसे-जैसे खदान का विकास आगे बढ़ेगा, वैसे-वैसे सभी के लिए रोजगार के अन्य अवसर पैदा होते रहेंगे।

दरअसल ग्राम साल्ही, घाटबर्रा, फतेहपुर, तारा हरिहरपुर और जनार्दनपुर सहित सभी छह गांव के कुल 819 लोगों ने अपना मुआवजा ले लिया है, जिसमें से लगभग 225 लोगों ने पुनर्वासन एवं पुनर्व्यवस्थापन योजना के प्रावधानों के अन्तर्गत रोजगार का विकल्प चुना है। हालांकि चार सालों से खदान न खुलने के कारण जिन लोगों को नौकरी का इंतजार था, उन्हें खदान शुरू होने की संभावना के दिखते ही प्रबंधन द्वारा आरआरवीयूएनएल ने स्थानीय लोगों को रोजगार देने के अपने वादे को चरितार्थ किया है।

नियुक्ति पत्र मिलने पर ग्राम हरिहरपुर के ठाकुर सिंह कोर्राम ने कहा, “यह नियुक्ति पत्र पाकर आज मैं और मेरा परिवार बहुत खुश है। पिछले चार सालों से मुझे इसका इंतजार था, किन्तु बाहरी लोगों के विरोध की वजह से हमारा नुकसान हो गया। इससे अब मैं अपने परिवार को रोजी रोटी के साथ अच्छी शिक्षा भी दे सकूँगा। इसके लिए मैं कम्पनी को धन्यवाद देता हूँ।“

फतेहपुर के केश्वर सिंह ने कहा, “मेरी जमीन जाने से मेरे पास नौकरी के अलावा और कोई जरिया नहीं था। जब से जमीन गई थी, तब से इस पत्र का इंतजार था, जो आज खत्म हो गया। अब मैं अपने बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाऊँगा और परिवार का अच्छा भरण पोषण कर सकूँगा।“ तारा गांव के शिवमंगल ने कहा, “मेरी चिंता खत्म हो गई। अब हमारे क्षेत्र में भी विकास होगा और हमारे बच्चे भी अच्छे स्कूल में पढ़ेंगे।”

आरआरवीयूएनएल के सरगुजा एवं सूरजपुर जिला में फैले परसा कोयला ब्लॉक से प्रभावित छः ग्रामों में से ग्राम साल्ही, घाटबर्रा एवं जनार्दनपुर में मुआवजा भी बांटा जा चुका है, जबकि शेष तीन ग्रामों में मुआवजा वितरण की प्रक्रिया जारी है। लेकिन, भूमि के अर्जन उपरान्त परियोजना के पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन योजना के तहत जिन्होंने रोजगार का विकल्प चुना है, उन्हें परसा परियोजना का संचालन शुरू होने पर आरआरवीयूएनएल संस्थान रोजगार प्रदान करना प्रस्तावित है।