इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के छात्रों ने विभिन्न कलाकृतियों को विशेष रूप से किया प्रदर्शित

धमतरी 07 अक्टूबर (वेदांत समाचार)। जल जगार महोत्सव में जल चित्र दृश्यात्मक रूप से आकर्षक प्रदर्शनी, पानी के प्रकृति और मानवता के साथ पानी का जटिल संबंध प्रस्तुत किया गया। कलाकृतियों के एक संग्रह के माध्यम से प्रदर्शनी दर्शकों को एक चिंतनशील यात्रा में आमंत्रित की, जो जीवन देने वाले इस तत्व की बहुमुखी प्रकृति को प्रकट करती है। जल चित्र के नाम से एक सुंदर कला प्रदर्शनी अनुभवी और युवा कलाकारों की कलाकृतियों को एक मंच पर लाकर कृतियों के माध्यम से जल एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए लोगों को प्रेरित करने का अभिनव प्रयास है।

प्रदर्शनी में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा विभिन्न कलाकृतियों को विशेष रूप से प्रदर्शित किया गया, जो कि जल संरक्षण एवं जीवन की विशेष अनुभूतियों को प्रदर्शित किया। प्रदर्शनी में बस्तर के ढोकरा कला, बांस एवं काष्ठ शिल्प, मेटल शिल्प एवं मिट्टी शिल्प से बनी विभिन्न वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया है। प्रदर्शनी में ढोकरा शिल्प एवं पिता का संघर्ष नामक प्रदर्शनी आकर्षण का केंद्र बना रहा। बस्तर के ढोकरा कला कांस्य ढलाई का एक अद्वितीय और आकर्षक रूप है। इस कला में, कुशल शिल्पकार जटिल और विस्तृत पैटर्न और डिजाइन उत्कीर्ण करते हैं, जो अक्सर आध्यात्मिक और पौराणिक विषयों से प्रेरित होते हैं। ढोकरा कला बस्तर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक अनमोल रत्न है, जो अपनी सुंदरता और जटिलता से दर्शकों को मोहित करता है। प्रदर्शनी में ढोकरा शिल्प से निर्मित विभिन्न आकृतियां जैसे जीव, जंतु, मानव, देवता और अन्य उपयोगी बर्तनों को प्रदर्शित किया गया।

इसी प्रकार पिता के संघर्ष नामक अपनी कलाकृति के माध्यम से कलाकार गणेश राम ने पिता द्वारा अपने बच्चों के लिए उठाए गए कष्टों और त्यागों को दर्शाया। बच्चों का भरण-पोषण करने के लिए माता-पिता बिना किसी शिकायत के अपने कंधों पर अतिरिक्त भार उठाते हैं। यह कलाकृति दिखाती है कि कैसे माता-पिता भोजन उपलब्ध कराते हुए, यह सुनिश्चित करते है कि बच्चे पढ़ाई करें, खेलें और जीवन में सर्वोत्तम अनुभव प्राप्त करें। साथ ही पिता पूरे घर का बोझ उठाते हैं। यह कलाकृति एक साइकिल के पहिए के रूप में जीवन में पिता के विभिन्न संघर्ष को दिखाया गया।

जल चित्र जल की शांत सुंदरता को अपनी कृतियों में संजोने वाले परिदृश्य से लेकर ग्रामीण समुदायों के सामने आने वाली चुनौतियों को रेखांकित करने वाले विचार-उत्तेजक प्रतिष्ठानों तक विभिन्न दृष्टिकोणों का एक समुह प्रस्तुत किया गया। प्रत्येक कलाकृति जीवन को बनाए रखने में जल की आवश्यक भूमिका के एक मार्मिक अनुस्मारक के रूप में कार्य कर रही है, जो कि मानव के साथ जल का अंतर्संबंध और जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देती है। अपने दृश्य प्रभाव से परे, जल चित्र प्रतिबिंब और कार्रवाई के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है। मानवीय आवश्यकताओं और पर्यावरण संरक्षण के बीच नाजुक संतुलन को उजागर करते हुए, प्रदर्शनी में आगंतुकों को पानी के संरक्षक बनने के लिए प्रेरित करती है, जो स्थायी प्रथाओं की वकालत करती है और प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण सह- अस्तित्व को बढ़ावा देती है। जल चित्र निस्संदेह दर्शकों को जल संरक्षण के लिए प्रेरित कर पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाया है।