रायपुर 4 जून (वेदांत समाचार) संयुक्त किसान मोर्चा और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के विभिन्न घटक संगठन 5 जून को भाजपा नेताओं और भाजपाई जन प्रतिनिधियों के कार्यालयों और घरों के समक्ष तीनों किसान विरोधी कानूनों की प्रतियां जलाएंगे तथा इन कानूनों की वापसी की मांग करेंगे।
आज यहां जारी एक बयान में छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के संयोजक सुदेश टीकम तथा संजय पराते, आलोक शुक्ला, नंद कश्यप आदि ने बताया कि पिछले साल 5 जून को ही इन किसान विरोधी कानूनों को अध्यादेशों के रूप में देश की जनता पर थोपा गया था। तभी से इन अध्यादेशों और बाद में बने कानूनों के खिलाफ देश की आम जनता के संघर्ष के एक साल पूरे हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि 5 जून को ही विश्व पर्यावरण दिवस है और इस देश का किसान आंदोलन अपनी खेती-किसानी को बचाने के लिए इस देश के पर्यावरण और जैव-विविधता को बचाने तथा विस्थापन के खिलाफ भी लड़ रहा है। 5 जून 1974 को ही लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने तत्कालीन केंद्र सरकार के तानाशाहीपूर्ण रूख के खिलाफ ‘संपूर्ण क्रांति’ का बिगुल फूंका था। यह जन आंदोलन देश में संवैधानिक मूल्यों पर आधारित शासन देने और गरीब मजदूर-किसानों को खुशहाल बनाने वाली नीतियों को लागू करने की अवधारणा पर आधरित था। पिछले 6 महीनों से दिल्ली की सीमाओं पर डटकर देश के लाखों किसान और उनके सैकड़ों संगठन इसी अवधारणा पर आधारित जन आंदोलन का संचालन कर रहे है।
किसान आंदोलन के नेताओं ने कहा कि जिस प्रकार संपूर्ण क्रांति के आंदोलन ने देश की आम जनता को आपातकाल से मुक्ति दिलाई थी, उसी प्रकार कृषि कानूनों के खिलाफ यह देशव्यापी किसान आंदोलन भी देश की जनता को मोदी सरकार की कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों से मुक्ति दिलाने की लड़ाई लड़ रहा है। उन्होंने आम जनता के सभी तबकों से इस देशभक्तिपूर्ण संघर्ष को मजबूत करने के लिए अपना योगदान देने की अपील की है। उन्होंने बताया कि इस संघर्ष के क्रम में 5 जून को छत्तीसगढ़ और पूरे देश में देश की जनता पर इन किसान विरोधी कानूनों को थोपने वाली पार्टी भाजपा के जन प्रतिनिधियों के कार्यालयों व घरों के सामने इन कानूनों की प्रतियां जलाई जाएंगी।
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